Wednesday, March 26, 2008

काला है कोट हमारा
राजमल धारवां : हम हैं राही प्यार के
ए.के.कुरैशी : बेटे ने चिंता कम कर दी
नगीन जैन : महिला मोर्चा भी देखता हूँ
भेरु सिंह ठाकुर : थोड़ी-थोड़ी पिया करो
सत्यनारायण शर्मा : अब आराम भी करो
विजेन्द्र सिंह ठाकुर : मैं ही अध्यक्ष हूँ
निर्मल रांका : मेरा पप्पु पास हो गया
मोर सिंह मेवाड़ा : धका रहे हैं
कांतिलाल जोशी : फंसते रहते हैं
सुरेन्द्र परमार : उभरता हीरो
महेन्द्र भूतिया : शेयर का भूत
ताज मोहम्मद : पना मंगा दूंगा
शमीम जहीरी : सलाम नमस्ते
श्रीराम प्रेमचंदानी : अलविदा

व्यापारियों के ठेकेदार

राजेश मित्तल : सबसे बात हो गई है
नवनीत संचेती : मुझे अतिथि क्यों नहीं बनाया
विनय आर्य : क्यों कहा मिली
संजय सोनी बंटु : रिपिट हुए
हंस कुमार वर्मा : बात हो गई है
कैलाश जैन : अलीपुर का हिन्दु
अशोक शीतल : धक्का क्यों दिया था
अरुण खंडेलवाल : घुमक्कड़
संतोष सुराणा : अब तो सुधर जा
मनोहर भोजवानी : पानी वाले बाबा
रमेश चौरसिया : बड़ी कलर टी.वी.
प्रवीण धाड़ीवाल : मैं चुप रहूंगा
सतीश नावेल्टी : ईसान कोण में
अशोक देशलहरा : मेरी आवाज सुनो
पारसमल सिंघवी : प्रतिष्ठा हो गई

वार्डों के दरोगा

श्रीमति लक्ष्मी मेवाड़ा : बेटे के भरोसे
कमलेश जैन : खाये जाओ खाये जाओ प्रभु के
सलीम भाई : जो दे उसका भी भला जो ना दे
शहजाद बी : कहाँ करना है हस्ताक्षर
रासीदा बेगम : मैं तो प्रेम दिवानी मेरा दर्द ना जाने कोई
हुसैन शाह : हुं (सेन) अर्थात....
आनन्द जैन : दोस्तों के चक्कर में
अंजीज अंसारी : विकास मंच की आड़ में
राजू जैन : हम्माल
सिस्टर मेहमूदा कुरैशी : अब ठीक हूँ
जगदीश खत्री : ...मैं बारुद मत फूंक
मंगला सोनी : यही है राईट च्वाईस बेबी
मदन लाल भूतिया : मेरा बेटा नोटरी बन जाये
सुनीता मालवीय : मेरा बाबु छैल छबिला मैं तो...
रवि सोनी : जिला बदर
मखमल डुमाने : थोड़ा स्टेण्डर्ड तो सुधारो
माखन कुशवाह : समाज का दरोगा
रसीद पठान : कंट्रोल की मेहरबानी

कलम के दुश्मन

कामरेड मंजूद खां : हमें तो नवाब ने मारा
सैयद नवाब अली : बुरे दिन शुरु हुए
रामचरण सोनी : खबर छापना मना है
सुधीर पाठक : विज्ञापन के चक्कर में
नरेन्द्र गंगवाल : दफीने के लिये खुदाई
अ.रऊपलाला : पंजाबी चैनल
बाबु पांचाल : अब किसके कंधे पर रखा है
अबरार अली : नकलची
दिनेश माथुर : छापने के बाद पढ़वाता भी हूं
सुरेन्द्र पोरवाल : नौ दिन चले अढ़ाई कोस
राकेश बैरागी : फोटो ग्राफी में डाक्टरी
रघुवर दयाल गोहिया : घाटे वाले बाबा
बहादुर सिंह ठाकुर जावर : यहाँ के हम हैं पत्रकार

सरकार के एजेंट

जी.व्ही.रश्मि एसडीएम : मोहे पिया की याद सताए
तूफान सिंह अहिरवान एसडीएम : नाम के तूफान
मनु व्यास एसडीओपी : चिकना घड़ा
बिहारी सिंह तहसीलदार : बाबुजी जरा धीरे चलना
दीपक राय (सीएमओ) : हिस्से का झगड़ा
अतीक अहमद खान टीआई.: पहले सबकुछ समझ लेना
एच.एल.वर्मा सीईओ : रोजगार की ग्यारंटी
सी.एन.गुजराती वीईओ : चुपके-चुपके
छोटू खान मंडी सचिव : पैरोल पर आया हूँ
श्री मांझी (लो.निर्माण वि.): गरीब विभाग का मालिक
राहुल शर्मा सीएमओ जावर : मिल बांट कर खायेंगे
बी.के.उपाध्याय टीआई जावर : विधायक से दोस्ती महंगी पड़ी

आष्टा के अनाड़ी

रघुनाथ मालवीय : घड़ा भरा गया है
रंजीत सिंह गुणवान : इस बार उम्मीद है
अनोखीलाल खंडेलवाल : बज गये बाजे
कैलाश परमार : खर्चे बढ़े...कमीशन बढ़ाया
देवी सिंह परमार : मार्केटिंग का सपना
राकेश सुराना : बेचना हो तो बताना
प्रेम बाई ठाकुर : ओ मिट्ठु मियां आज मैं...
विजया बनवट : गैस की गाड़ी
शेषनारायण मुकाती : दोस्त चुनाव में चूना लगा गया
प्रेम राय मामा : तारे जमीं पर
ललित नागौरी : से मारुती जो आई है खूब.... खाई है
अशोक राठौर : राजनीति से लुप्त
राजा पारख : होली का हीरो
ललित अग्रवाल : पाला पड़ गया है
प्रमोद सुराना : घर वालों को तो छोड़ दो
विजय देशलहरा : बाम्बे टू गोवा
कैलाश टेलर दादू : अब नी बनु घीसू
कृपाल सिंह ठाकुर : कांटा साफ हुआ
मुकेश बड़जात्या : बोलने वाली मशीन
अशोक कासलीवाल : दुखी हूँ
संतोष झंवर : फुस्सी बम
बापूलाल मालवीय : उधारी की दुकान
राजमल सेठी : उतार पे
मिर्जा बशीर बेग : हो किसके साथ
मिर्जा हबीब बेग : बेटे ने बदनाम कर दिया
प्रदीप प्रगति : चलता फिरता टेलिफोन
अनुप जैन कचरु : देने लेने से ही काम चलता है
उमेश शर्मा (हिउस) : हिसाब में कमजोर
सुरेश पालीवाल : गुरुजी ने कहा है मकान मत बनाना
प्रेमनारायण शर्मा : स्कूल भी चलाना है
अतुल राय संघवाले : लगे रहो मुन्नाभाई
नोशे खान मुविमंच : किसके इसारे पे
रतन सिंह ठाकुर : एजेंट
विनित सिंगी : सबकी निगाह है
राय सिंह मेवाड़ा : संभल के
धरम सिंह आर्य : कागजी घोड़ा
बाबुलाल पटेल जावर : सपना जो हो ना सका पूरा
राकेश सिंह सेंधव : थोड़ी-थोड़ी.....करो
श्रीमति चंदा बोहरा : वकील साहब के भरोसे
श्रीमति प्रतिभा नागर : हिन्दी कमजोर है

मंडी के मजदूर

जमना प्रसाद राठौर : च्यवनप्राश खा रहे हैं
छीतरमल जैन : जहाँ मिल बैठे तीन यार मैं तू और
द्वारका प्रसाद खंडेलवाल: सबको दूंगा
मांगीलाल साहू : मैं मांगी+लाल=....नहीं हूँ
दिलीप सुराना : भैया चैक मत लगाना
हुकम वोहरा : हंसते रहो गम भुलाते रहो
रुपचंद रांका : 5-5 करके दूंगा
पुखराज वोहरा : गर्दीश में
दीपक सेठी : हवा हुए वो दिन....
राजू बनवट : मंडी का खवास
सुमत जैन : छड़ीदार
रविन्द्र रांका : नोट गिनने की मशीन
डॉ राजेन्द्र जैन : भाई के भरोसे
दीपक जायसवाल : मामा के भरोसे
सुशील रांका : घर के वकील साहब मंडी के कर्णधार
श्रीमति हंसुबाई ठाकुर : नाम का अध्यक्ष
बाबुलाल मालवीय : पीना पिलाना हराम है
सोहेल मिर्जा : घर का भेदी
बहादुर सिंह ठाकुर : बयाना ले लिया था
कुमेर सिंह ठाकुर : कमीशन बराबर बांटो
दशरथ सिंह राजपूत : खायेंगे नहीं तो ढोल देंगे

यमराम के यमदूत


डॉ रामचन्द्र गुप्ता : मुझे मेरी बीबी से बचाओ...
डॉ हीरा दलोद्रिया : रास्ता बंद करके ही दम लूंगा
डॉ के.के.चतुर्वेदी : ना काहु से दोस्ती ना काहू से बैर
डॉ एच.व्ही. बड़गैया : फर्जी डाक्टरों के सरगना
डॉ ए.के.जैन : बच्चों में बच्चे
डॉ जी.डी.सोनी : टूटे तो जोडूं
डॉ अर्चना सोनी : आपरेशन चालू हैं
डॉ प्रवीर गुप्ता : ग्राहकी बढ़ गई है
डॉ एम.एच.अंसारी : हज सफल रहा
डॉ मुकेश इन्दौरिया : चंदे वालों से परेशान
डॉ सीमा इन्दौरिया : चंदे वालों से परेशान
डॉ बलराम झरबड़े : नौकरानी से परेशान
डॉ मीनाक्षी झरबड़े : नौकरानी से परेशान
डॉ मिनल सिंगी : ये आग कब बुझेगी
डॉ अशोक विद्यार्थी : सब ठीक है
डॉ माधवी राय : पति का पेहरा
डॉ शोएब नागौरी : जुम्मापुरा से बाहर निकलो
डॉ असलम : बुलाऊं क्या ?