आष्टा 3 जनवरी (नि.सं.)। परमपिता की दया से दुनिया दर्शन का मेला है, जब भी मेला लगा करता है कोई भी मेले से अपने घर जरुर आया जाता है, मेला तो बाजार है दर्शन करने के बाद में जो भव बनता है वह भाव ही तय करता है कि मनुष्य नर्क में जायेगा या की बैकुंठ में जायेगा। दर्शन का मतलब होता देखना, देखने से मन शुध्द होगा तो भव अच्छा बनेगा तो कर्म अच्छे होंगे तो मार्ग भी अच्छा बनेगा, और वही मार्ग आपको बैकुंठ के द्वार तक ले जायेगा।
उक्त उद्गार श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन संत श्री गोविन्द जाने ने खंडेलवाल मैदान में अपार श्रध्दालु समूह के सामने व्यक्त किये। आज विशाल पंडाल में मौजूद नर-नारियों का समूह भाव विभोर होकर संत की वाणी के जादू में खो गए और आध्यात्म की गंगा में मग् होकर झूमते गाते मंत्रमुग्ध रह गये। अपने सद्वचनों के माध्यम से संत श्री गोविन्द जाने के कहा कि संसार में आये हो तो कंचन, कामिनी और कीर्ति में कभी मत उलझना, जो इनसे बचकर निकल गया वह महापुरुष बन गया है, नर से नारायण की तरफ मुड़ो, पूरा दुनिया भी साथ दे तो और बात है। पर तुम भी साथ दो तो और बात है, चलने को तो एक पांव से भी चला करते हैं लोग पर तुम साथ दो तो और बात है, पूरा जमाना साथ दे तो और बात है पर पर्दे के पीछै रहने वाला साथ दे तो और बात है। हम टाकीज में फिल्म देखने जाते हैं तो वहाँ की नग्न तस्वीरें और पता नहीं क्या-क्या देखकर आने पर मन मुरझा जाता है लेकिन जब हम मंदिर में भगवान के रुप के मन से दर्शन करके निकलते हैं तो मुख पर तेज होता है, मन संतुष्ट और प्रसन्न रहता है। जब तक आप मर्यादित रहेंगे एक पति-पत्न वृत रहेंगे। मन को अपने मस्तिष्क पर सवार मत होने दो, चरित्रवान बनो, आप कोशिश करो की सौ साल की जिंदगी का चुनाव आप जीत जाएं तो आपके पल्ले कोई मंत्री, विधायक की 5 साल की कुर्सी नहीं हमेशा अमर रहने वाला सिंहासन मिल जायेगा, दुनिया के किसी सत्संग में किसी नेता या मंत्री का गुणवान नहीं गाया जाता है, वहाँ केवल उस सिंहासन में बैठने वाले का गुणवान होता है वे सब महापुरुष है, सिंहासन तब मिलेगा जब कंचन, कामिनी और कीर्ति से बच जायेंगे। कपड़े मेले हो गऐ तो आप धोबी से धुलवा कर साफ करवा लेंगे। लेकिन जब मन मैला हो जाए तो किससे धुलवाएंगे, सद्गुरु यही धोबी से धुलवा कर साफ करवा लेंगे, लेकिन जब मन मैला हो जाए तो किससे धुलवाऐंगे, सद्गुरु यही धोबी का काम करता है, आप मन के मैल को धुलवाने के लिये सद्गुरु के चरणों में जाएं, जिससे आपको भी वह सिंहासन मिल सके। जमाने में रहते हुए अगर मन का मैल धुल जाए तो समझना आपका जीवन सफल हो गया। जब भी गोपाल का नाम, किसी महापुरुष का नाम लो, उनका ध्यान करो तो भीतर से, अंतरात्मा से करो, ऐसा करने से आपका संपर्क सीधे परमसत्ता से होगा और आप जिसके लिये दुआएं करेंगे, जिसके सिर पर हाथ रख देंगे तो उसके दुख दर्द दूर हो जायेंगे। आप करके तो देखो। जन्म और मरण महत्वपूर्ण नहीं होता है, कर्म महत्वपूर्ण होता है, आपके अच्छे कर्म ही दुनिया मे पूजे जायेंगे, मैं सभी माताओं बहनों से अनुरोध करता हूँ कि रोज शाम को जब सूर्यास्त होता है तो घर में दीपक जलाकर ईश्वर का नाम सुमिरन करें, घर में प्रेम का माहौल बनाएं, इससे ही आपके जीवन के कष्ट दूर हो जायेंगे, आप खाना ईश्वर का नाम लेकर उसका ध्यान करके बनाएं, और रोटी के टिफिन में सबसे नीचे एक तुलसी का पत्ता रख दें, तो इससे खाने वाले के विचार शुध्द होते जायेंगे और विश्वास करना आपके पति की शराब भी छूट जायेगी। जिस घर में माता, पिता, पत्नि, बच्चे दुखी रहते हैं, रोते हैं, लड़ते रहते हैं, उस घर से लक्ष्मी भी चली जाती है, इनके आंसू आपकी जिंदगी का े तबाह कर देंगे।
श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ होने से पूर्व संयोजक गोपी सेठी, विजय खंडेलवाल, अध्यक्ष गजेन्द्र टेलर, गोविन्द सोनी, महेन्द्र तलवारा, मनोज नागर, दिनेश डाबी, वरिष्ठ समाजसेवी अनोखीलाल खंडेलवाल, नपाध्यक्ष कैलाश परमार, जिला कांग्रेस अध्यक्ष, रामेश्वर खंडेलवाल, बापूलाल मालवीय, धरम सिंह आर्य, सोभाल सिंह भाटी, देवबगस मेवाड़ा, कमल किशोर नागौरी, गजराज सिंह सरपंच, शंकर लाल बालोदिया डाबरी, संतोष झंवर, प्रदीप प्रगति, अवध नारायण सोनी, सौभाग सिंह पटेल, लोरास, सौभाग सिंह पटेल जताखेड़ा, भेरुलाल परमार हकीमाबाद, पप्पु पद्मसी, सुरेश चंद परमार किलेरामा, संजय जैन पत्रकार, अजय टेलर, जगदीश खत्री पार्षद, कैलाश बगाना, मदनलाल भूतिया, देशचंद बोहरा, रमेश राठौर, पंकज यादव, मोतीलाल आदि सहित हजारों श्रध्दालुजनों ने कथा का आध्यात्मिक खजाना लूटा।