आष्टा 2 जनवरी (नि.सं.)। लगता है कि वर्ष 2009 का आगमन आष्टा सिविल अस्पताल के लिये शुभ नहीं है क्योंकि 2009 की शुरुआत होते ही अस्पताल में रोजाना किसी ना किसी बात को लेकर हंगामा हो रहा है आज तीसरे दिन भी अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा हुआ। अगर समय पर पुलिस नहीं आती तो आज खबर कुछ और ही बनती।
हंगामा का कारण था प्रसूति के लिये आष्टा तहसील के ग्राम ग्वाला से आई एक महिला जिसका नाम श्रीमति जरीना बी पत्नि रफीक खां है, जब शाम को सिविल अस्पताल पहुँची तो उससे महिला चिकित्सक डॉ. श्रीमति अंजना सिंह ने देखा और खून की कमी बताकर उसके साथ आये परिजनों को बता दिया कि इनकी डिलेवरी यहाँ नहीं हो सकती है क्योंकि यहाँ खून चढ़ाने की सुविधा नहीं है यह सुनकर परिजन उक्त महिला को सीहोर ले जाने के बदले प्रसूता को एक निजी सिध्दार्थ अस्पताल ले गये वहाँ से भी इन्हे सीहोर जाने का सुझाव दिया गया।
जब प्रसूता एवं उनके परिजन सिध्दार्थ से पैदल आ रहे थे तभी अचानक चौरसिया टीवी सेंटर बुधवारा के सामने चौराहे पर उक्त महिला को जोर से दर्द उठा वह जमीन पर बैठ गई और थोड़ी देर बार एक लड़के को जन्म दिया। यह देखकर आसपास के सब लोगों ने प्रसूता के आसपास ओट व अन्य बड़े-बड़े खोखे लगाकर आड़ की तथा डिलेवरी हो जाने के बाद उसे भीड़ अस्पताल लेकर पहुँची। यहाँ पर उसे भर्ती किया गया और भीड़ ने इस संवेदनशील मामले को लेकर जमकर हंगामा किया।
भीड़ की मांग थी कि महिला चिकित्सक ने इस प्रसूता को जबरन अस्पताल में डिलेवरी ना करते हुए सीहोर भेजने के लिये रवाना किया था। भीड़ ने नारे लगाये कि महिला चिकित्सक को बर्खास्त किया जाये। भीड़ में काफी आक्रोश था ऐसा लग रहा था कि कुछ भी हो सकता है। तत्काल यहाँ तैनात सैनिक ने थाने को सूचना दी थाने से टीआई हनुमंत सिंह राजपूत सादल बल के अस्पताल पहुँचे और भीड़ को खदेड़ा। लगभग आधा घंटे के बाद अस्पताल स्थिति सामान्य हुई जिस महिला को जचकी हुई। महिला चिकित्सक ने बताया कि यह उसकी 6 टी डिलेवरी थी इसके पहले उक्त महिला पाँच बच्चों को जन्म दे चुकी थी और यह काफी कमजोर थी। महिला को खून की कमी होने के कारण आष्टा से सीहोर स्थानान्तरित कर दिया गया।