Saturday, November 15, 2008

भाजपा की कमरा बैठकों में भी नहीं बन पा रहा उत्साह

      सीहोर 14 नवम्बर (नि.सं.)। भारतीय जनता पार्टी के बाहुबलि प्रत्याशी रमेश सक्सेना ने विगत तीन दिनों से लगातार नगरीय क्षेत्र में कमरा बैठकों का दौर जारी रखा। इस दौरान भाजपा का वह उत्साह नजर नहीं आया जो पिछले चुनावों में दिख जाया करता था।

      श्री सक्सेना द्वारा ली जा रही संगठनात्मक बैठकों में उपस्थिति भी उत्साह से कुछ कम रही है। हालांकि संगठनात्मक दृष्टि से भाजपा की मजबूती अन्य किसी भी पार्टी से सर्वाधिक है बल्कि सिर्फ भाजपा के पास ही संगठनात्मक मजबूती नजर आ रही है, लेकिन उस लहर और उत्साह की कमी है जिसकी आज आवश्यकता प्रतीत हो रही है।

      जमीनी कार्यकर्ताओं की पार्टी भाजपा, इस बार चुनाव को अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के बल पर जीतने की फिराक में नजर आ रही है। यही कारण है कि जहाँ कांग्रेस प्रत्याशी अपना प्रचार-प्रसार करने में लगे हैं वहीं भाजपा प्रत्याशी विगत तीन दिनों से सिर्फ कमरा बैठकों का दौर चला रहे हैं और कार्यकर्ताओं को भाजपा की उपलब्धियों की घूंटी पिला रहे हैं।  हर एक वार्ड में भाजपा प्रत्याशी श्री सक्सेना ने खुद संगठनात्मक ढंग से कमरा बैठकों का क्रम चला रखा है।

      हालांकि श्री सक्सेना की वजनदारी और आकर्षण के चलते भीड़ तो यहाँ खिंची चली आ रही है लेकिन भाजपा का उत्साहित कार्यकर्ता आज कहीं उत्साह से दूर नजर आ रहा है। हालांकि कमरा बैठकों के साथ ही श्री सक्सेना के स्वागत का दौर भी चल पड़ता है, कुछ स्थानों पर ढोल भी बुला लिये जाते हैं। तीन दिन पूर्ण होने के बाद जब सारी बैठकें समाप्त हो गई हैं अब भाजपा ने निर्णय लिया है कि कम से कम दो दिन और भाजपा प्रत्याशी को सीहोर में ही रहकर कुछ और रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है, संभवत: यह दो दिन फिर नये सिरे से निर्धारित होंगे।

      ऐसा पहली बार हो रहा है जब भाजपा को चुनाव के ठीक 15 दिन पूर्व कमरा बैठकें लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। वरना भाजपा का कार्यकर्ता समाज का ऐसा छंटा हुआ व्यक्ति होता है जो सदैव उत्साह में बना रहता है। आज यदि उसका उत्साह कम है तो फिर इसके पीछे के कारणों को भाजपा अभी तक टटोलने का सोच भी नहीं पाई है वह सिर्फ कमरा बैठकों में उत्साह का संचार करने की संघ वाली पध्दति से चल रही है।

      उधर कांग्रेस की स्थिति इस दृष्टि से कहीं भी वजनदार नहीं है। कांग्रेस के संगठन की स्थिति लगभग समाप्ति की और है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष  चूंकि इस बार आष्टा के बने हुए हैं और आष्टा के कैलाश परमार आष्टा में ही लगे हुए हैं इसलिये सीहोर में संगठन की दृष्ठि से कोई व्यक्ति नजर नहीं आ रहा है। यहाँ तो वार्डश: कार्यकर्ताओं की सूची और पदाधिकारियों को ढूंढ पाना भी मुश्किल है। इसलिये कांग्रेस बजाय कार्यकर्ताओं की तरफ ध्यान दे, उन्हे संगठित करने के सिर्फ अपने प्रचार प्रसार पर ध्यान दे रही है।

      विधायक श्री सक्सेना देर रात तक नगर के विभिन्न हिस्सों में पहुँच रहे हैं लेकिन इनके साथ वजनदार भाजपाईयों का अभाव और कुछेक ठेकेदार चेहरों की उपस्थिति विपरीत प्रभाव डाल रही है।