Saturday, November 15, 2008

कमल छाप कांग्रेसी भंवरे की तरह कमल पर मंडराने लगे

सीहोर 14 नवम्बर (नि.सं.)। सीहोर कांग्रेस में कमल छाप कांग्रेसियों की वर्षो पुरानी परम्परा सी बन गई है कि जब-जब चुनाव आते हैं यह कमल छाप कांग्रेसी  बाहर निकल आते हैं और भंवरे की तरह कमल पर मंडराने लगते हैं। इस बार भी पहले ही दिन से ऐसे कमल छाप कांग्रेसी सभी की निगाहों में है। एक कमल छाप कांग्रेसी नेता तो करीब 20 साल से कमल का दामन ऐसा थाम रखा है कि जब-जब चुनाव आते हैं वह कांग्रेस को ठिकाने लगाने के कमर कसकर तैयार हो जाते हैं। अभी हाल ही में भाजपा के एक कद्दावर नेता भी इन कमल छाप कांग्रेसी नेता से मंत्रणा करने गये थे तो यहाँ पूरे नगर में इसकी चर्चाएं हो गई थीं। सबको पता चल गया था कि कमल छाप कांग्रेसी नेता के घर कमल के लिये मंत्रणा चल रही है। इस बार एक और कांग्रेसी नेता है जो कमल का काम करने के लिये लोगों के घर और मोहल्लों में जा रहे हैं और तरह-तरह की बातें करके कमल के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। यह कांग्रेस के पुराने नेताओं के घर पर जाकर उनका मन बनाने का प्रयास करने में लगे हैं। इस प्रकार कमल छाप कांग्रेसी बहुत तेजी से कमल के लिये सक्रिय हो गये हैं।

 

 

 

शिवराज ने इशारे में थावर चंद गेहलोत को लोकसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया

      आष्टा 14 नवम्बर (नि.सं.)।  परिसीमन में अब सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा भोपाल लोकसभा से कट कर देवास शाजापुर लोकसभा में शामिल हो गई है जब से परिसीमन का कार्य सम्पन्न हुआ वर्तमान इस सीट से भाजपा के सांसद श्री थावरचंद गेहलोत भी सक्रिय हो गये हैं। वहीं भाजपा के स्थानीय नेता समय-समय पर उन्हे विभिन्न कार्यक्रमों में आमंत्रित कर कार्यकर्ताओं एवं जनता से रुबरु कराने में लगे हैं।

      परिसीमन के बाद भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ में जिला सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, गोपीकृष्ण नेमा के साथ आये और पूरे नगर में उनका स्वागत हुआ। जनता से रुबरु हुए। वहीं अब कल प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में एक आम सभा को संबोधित करने आये तो अपने साथ थावरचंद गेहलोत को भी लेकर आये खबर है कि श्री चौहान ने गेहलोत को एक दिन पहले ही बता दिया था कि आष्टा चलना है। कल आमसभा में भाषण के बीच में श्री चौहान ने मंच पर बैठे श्री गेहलोत की और इशारा करके कहा कि अभी तो आप गुणवान को जिताओ और थोड़े समय बाद आ रहे लोकसभा के चुनाव में आपको श्री थावरचंद गेहलोत को जिताने के लिये जुटना पड़ेगा क्योंकि अब ये ही आपके सांसद है। थावर चंद गेहलोत जो की नागदा जंक्शन के रहने वाले हैं तथा अपने मधुर और मिलनसार व्यवहार तथा सभी से बात करने की उनकी जो शैली है उसके कारण वे लगातार देवास-शाजापुर क्षेत्र से लोकसभा के लिये चुने जाते रहे हैं। भाषण में श्री चौहान ने जो इशारा किया उससे स्पष्ट है कि इस बार भी इस सीट से श्री गेहलोत ही मैदान में आयेंगे। सभा के बाद श्री चोहान तो भोपाल रवाना हो गये लेकिन श्री गेहलोत मंच से उतरकर जनता के बीच पहुँचे और आमजन से मिलते रहे। श्री गेहलोत पार्टी में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं वे राष्ट्रीय महामंत्री भी है।

 

 

 

 

यदि मोबाइल से दिया संदेशा : तो चुनाव आयोग ले लेगा खबर

      सीहोर 14 नवम्बर (नि.सं.)। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी द्वारा या प्रत्याशी के पक्ष में किये जा रहे खर्चो पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजरे होने से सारा प्रचार तंत्र ठंडा पड़ गया है। जहाँ विगत चुनावों में प्रचार वाहनों का बड़ा महत्व था वहीं इस बार प्रचार वाहन गायब से हो गये हैं। चुनाव प्रचार के हर तरीके पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर के कारण ही यह स्थिति बनी है। जहाँ इस बार फ्लेक्स तक का कम उपयोग करने की सलाह चुनाव आयोग दे रहा है वहीं झण्डी-बेनर, पोस्टर पर भी निगाह बनी है।

      प्रत्याशी के पक्ष में कुछ लोग जब मोबाइल पर एसएमएस की शुरुआत करने लगे और मुख्यमंत्री के संदेश मोबाइलों पर आने लगे तो अचानक इस खर्च पर भी चुनाव आयोग की नजरें पहुँच गई हैं। चुनाव आयोग ने हाल ही में यह जानकारी भी प्रसारित की है कि अब जिन मोबाइल कम्पनियों के मोबाइलों से चुनावी संदेशों का आदान-प्रदान होगा उनसे उसके खर्च का हिसाब भी चुनाव आयोग स्वयं के स्तर पर संग्रहित करेगा। जिस मोबाइल से एसएमएस होगा उस पर निगाह रखी जायेगी और इस प्रकार प्रचार करने की अनुमति आदि लेने के जो नियम हैं उनका प्रयोग भी होगा।

      चुनाव के दौरान कुछ प्रत्याशी समर्थक थोक में अपने सारे मित्रों और अन्य लोगों को एसएमएस भेजकर अपने प्रत्याशी को जिताने के लिये माहौल बनाया करते हैं, इसके अलावा रह-रहकर बीच में भी तरह-तरह के चुनावी संदेश, नारे आदि लिखकर भेजे जाते रहते हैं, यह सब भी प्रचार का एक खर्चिला माध्यम है जिस पर चुनाव आयोग ने निगाह रखना शुरु कर दिया है। कम्पनियों को ही निर्देश दे रखे हैं कि वह इस पर निगाह रखें और चुनाव आयोग की जानकारी दे। इधर आयोग भी अपने स्तर पर इसकी जानकारी एकत्रित करेगा।

      इसी प्रकार स्थानीय केवल आपरेटर द्वारा भी किसी प्रत्याशी के समर्थन में यदि विज्ञापन प्रसारित किया जायेगा तो उस पर भी निगाह रखी जायेगी। इतना ही नहीं टाकीजों में फिल्म के दौरान भी यदि विज्ञापन दिखाया जाता है तो उस पर भी चुनाव आयोग की नजर रहेगी।

      इस प्रकार चुनाव आयोग इस बार हर तरफ निगाह रखे हुए हैं। स्थानीय स्तर पर चुनाव आयोग के प्रभारी अधिकारियों में भी यह भय बना हुआ है कि कहीं उनकी निगाह चूक गई तो उनकी शिकायत हो गई तो नौकरी कलंकित हो सकती है, इसलिये हर एक अधिकारी व कर्मचारी बारीकी से निगाह रखे हुए हैं।