Thursday, November 13, 2008

गुणवान की वापसी पर भाजपाईयों को भी संदेह, गुणवान को फिर न लग जाये फिर साध्वी का श्राप

सीहोर 12 नवम्बर (नि.सं.)। भारतीय जनता पार्टी की आष्टा में वजनदारी से इंकार नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि विगत तीन चुनावों से लगातार भाजपा को विजयश्री मिल रही है लेकिन यह विजयश्री क्या भाजपा के  कार्यकर्ताओं की है या फिर भाजपा के प्रत्याशियों की विजय है यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। वर्ष 2003 के चुनाव में जिन रणजीत सिंह गुणवान की अनेकानेक शिकायतों के बाद अंतत: अंतिम समय में अचानक भाजपा ने पेंतरा बदलकर गुणवान को टिकिट नहीं दिया था कोठरी के भाजपा नेता रुगनाथ मालवीय को अपना प्रत्याशी बना दिया था उससे लगता है कि कहीं ना कहीं गुणवान को लेकर भाजपा में अंतरविरोध था जो ऊपर के नेताओं तक पहुँचा था और उसके बाद ही यह निर्णय लिया गया था। लेकिन इस बार भले ही गुणवान की वापसी हो गई हो पर भाजपा की जीत को लेकर खुद भाजपा कार्यकर्ताओं में ही असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

      दिग्विजय सिंह सरकार के समय कांग्रेस के शासन से हर आम आदमी त्रस्त हो चुका था और वह इससे राहत चाहता था। उसी समय राष्ट्रीय नेत्री उमाश्री भारती का पदार्पण भोपाल की राजनीति में हुआ और उन्हे भाजपा ने मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर दिया। इसके साथ ही पूरे मध्य प्रदेश में भाजपा की लहर चल पड़ी। यह लहर धीरे-धीरे आंधी बन गई और पूरे प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया था। इस शानदार भाजपाई लहर के बावजूद  कांग्रेस प्रत्याशी अजीत सिंह को 40 हजार मत मिले थे। जबकि भाजपा लहर में भी मात्र 51 हजार मतों पर रुक गई थी। ऐसे में चौराहों के चुनावी गणितज्ञों का मानना है कि जब पिछले चुनाव में लहर के बावजूद मात्र 11 हजार मत अधिक मिले थे तो क्या इस बार बिना किसी लहर के भाजपा आसानी से आगे बढ़ पायेगी। राजनीति में पुराने चेहरों को लेकर उदासीनता भी रहती है। गुणवान भी पुराना चेहरा है, हालांकि वह एक साफ-स्वच्छ और ईमानदार छवि के रुप में जाने जाते हैं लेकिन भाजपा के अंत:विरोध के अलावा कोठरी में रुगनाथ को टिकिट नहीं देने के कारण उपजा विरोध तथा खुद रुगनाथ मालवीय की नाराजी क्या उनके लिये राह आसान रहने देगी। पिछले चुनाव में कोठरी में एक तरफा भाजपा को मतदान हुआ था। 80 प्रतिशत मत भाजपा को मिले थे। इस बार कोठरी क्षेत्र में रुगनाथ को टिकिट नहीं मिलने के कारण आक्रोश व्याप्त है। और यह आक्रोश कोठरी में भाजपा के ऊपर निकल गया तो करीब 4 हजार मतों का विपरीत प्रभाव भाजपा पर पड़ जायेगा और भाजपा कोठरी से पिछड़ सकती है।

उमाश्री फिर गुणवान को घर ना बैठा दें

      वर्ष 2003 में जब गुणवान का टिकिट तय हो चुका था और वह भाजपा से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर चुके थे ऐसे में अंतिम समय में अचानक उमाश्री भारती की इच्छा  से रणजीत सिंह गुणवान का टिकिट काट दिया गया था। उस समय गुणवान समर्थकों ने उमा दीदी से विरोध भी जताया था लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला था और जितना उमा को कोसा गया उतना ही गुणवान को घर बैठने को मजबूर होना पड़ा। 5 साल तक गुणवान अपने घर बैठे रहे। आज जब एक बार फिर भाजपा ने गुणवान को घर से निकालकर टिकिट दिया है ऐसे में फिर उनके सामने उमाश्री भारती रुपी समस्या खड़ी हो गई। उमा भारती जनशक्ति पार्टी के रुप में भाजपा का विरोध कर रही हैं और जनशक्ति के उम्मीद्वार के रुप में भाजपा ने सिध्दिकगंज के सरपंच, सहकारी नेता और पूर्व सहकारी बैंक अध्यक्ष रहे चुन्नीलाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। चुन्नीलाल का अपना एक प्रभाव क्षेत्र है इस पर खुद उमाश्री भारती ने यह तय किया है जहाँ-जहाँ आष्टा में पूर्व में उमाश्री ने सभाएं ली थीं और वहां जनता प्रभावित रही थी उन्ही स्थानों पर एक बार फिर उमाश्री भारती की जनशक्ति के लिये और चुन्नीलाल के पक्ष में सभाएं होंगी। इस कारण बड़े स्तर पर भाजपाई मत जनशक्ति  के नगाड़े के पक्ष में बैठ सकता है।

      इस हिसाब से खुद भाजपाई गणितज्ञ भी संदेह के घेरे में आ गये हैं चूंकि वह पूरे विधानसभा क्षेत्र के भाजपाईयों के मन की थाह समझते हैं। मात्र 11 हजार मतों से विजयी रही भाजपा को इस बार जीत मुश्किल नजर आ रही है। नगर के चौराहों पर भाजपा और कांग्रेस दोनो को ही आमजन बराबर का मान रहा है। इस बार कांग्रेस को कमतर नहीं आंका जा रहा है और भाजपा के पक्ष में कोई लहर भी नजर नहीं आ रही है। देखते हैं इस बार आष्टा में विधानसभा चुनाव किस करवट बैठता है।