Thursday, November 13, 2008

सन्नी महाजन ने खड़े होते ही त्रिकोणीय स्थिति पैदा की

सीहोर 12 नवम्बर (आनन्द भैया)। विधानसभा चुनाव में जहाँ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की वजनदारी रहती है वहीं इस बार अचानक भाजपा के बागी प्रत्याशी के रुप में देखे जा रहे गौरव सन्नी महाजन का नाम भी चुनावी चकल्लस में प्रमुखता से शामिल हो गया है।

      पहले ही दिन से सन्नी की चर्चाएं पूर्ववर्ती निर्दलीय प्रत्याशियों से उसकी तुलना के साथ बहुत तेजी से शुरु हो गई है। हालांकि भाजपा के अनुभवी प्रत्याशी और कांग्रेस के अखलेश स्वदेश राय की मैदानी दौड़ धूप के आगे सन्नी महाजन की उपस्थिति और चुनावी चर्चाओं में उसको लेकर बन रहे आंकड़ो ने कई नये-नये समीकरणों को जन्म दे रखा है। किसी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में सन्नी ने पहले ही दिन से चर्चाओं को जन्म दे डाला है।

      भारतीय जनता पार्टी सत्तासीन पार्टी और भाजपा का प्रत्याशी पूरे प्रदेश में अपने बाहुबल के लिये पहचाना जाता है। ऐसे बाहुबलि प्रत्याशी के चुनावी मैदान में होने के बावजूद और कांग्रेस की अखलेश स्वदेश राय द्वारा अपनी छवि और निरन्तर समाजसेवा के आधार पर चुनावी रणक्षेत्र उतरने के बाद यदि सिर्फ यही दोनो चेहरे आमने-सामने होते तो आज सीहोर की चुनावी स्थिति कुछ और होती। भाजपा और कांग्रेस पारम्परिक विरोधी हैं और इस दृष्ठि से यदि सीहोर में सिर्फ यही दो प्रत्याशी दमदारी से मैदान में होते तो निश्चित रुप से आज चौराहों की चर्चाओं में कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस की वजनदारी बताई जाती और यादा गहमा-गहमी की स्थिति नहीं बन पाती। चुनावी पंडित दो झटके अपने आकड़े प्रस्तुत करते और दोनो में से किसी एक की जीत तय कर  देते।

      लेकिन गौरव सन्नी महाजन के खड़े हो जाने से सारे चुनावी गणितज्ञों की गणित भी धरे के धरे रह गये हैं। आज चौराहों पर दो नहीं तीन प्रमुख प्रत्याशी देखे जा रहे हैं। तीन प्रत्याशियों की उपस्थिति के चलते किसको नुकसान होगा ? किसको इससे फायदा होगा ? कौन किसके वोट खायेगा ? क्या समीकरण बैठेंगे यह सब बातें प्रमुखता से उठने लगी है।

      कुल मिलाकर सन्नी चौराहों की चर्चाओं में अपना स्थान बना चुका है। नामांकन दाखिल करने की तिथि के दिन भले ही उसका छोटा-सा जुलूस निकला हो लेकिन उसके नामांकन दाखिले के साथ ही वह हर एक जुबान पर आ चुका है। इसके बाद सन्नी महाजन को निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में देखा जा रहा था।

      उसी समय उमाश्री भारती की पार्टी जनशक्ति में किसी तरह सन्नी के शामिल हो जाने की बातें चल रही थीं लेकिन माना जा रहा था कि विगत ढाई साल से सीहोर में जनशक्ति को स्थापित करने वाले लोकेन्द्र मेवाड़ा क्या खुद चुनाव लड़ेगे या फिर महाजन को प्रवेश देंगे। अंतिम समय तक पशोपेश की स्थिति थी और अचानक उमाश्री ने सन्नी की घोषणा करके गौरव महाजन के समर्थकों में उत्साह का संचार कर दिया।

      जनशक्ति में शामिल हो जाने के बाद भी संभवत: गौरव महाजन की चर्चाएं कुछ और वजनदारी से होने लगी हैं। और इसके बाद ही राजनैतिक समीकरण नये तरीके से बनने लगे हैं। कहीं ना कहीं सन्नी महाजन के खड़े हो जाने से मुकाबला अब त्रिकोणीय माना जा रहा है और इस कारण स्पष्ट रुप से यह बात सामने नहीं आ पा रही कि आखिर इस मुकाबले में कौन कितना आगे रहेगा ? किसको कितना नुकसान होगा? और किसकी जमानत जप्त हो जायेगी।

      अक्सर किसी बागी की चर्चाएं चौराहों पर तो खूब हुआ करती हैं लेकिन आखिरकार मतदान के दिन क्या होता है ? मतदाता मतदान किसे करता है और मतपेटियाँ खुलने के बाद क्या होता है यह बातें बाद में पता चल सकती है।