सीहोर 4 नवम्बर (नि.सं.)। इस चुनावी माहौल में हर एक नेताजी कुछ तत्पर, सक्रिय, तैयार से नजर आ रहे हैं। जहाँ जैसा माहौल उन्हे मिल रहा है वहाँ वैसे वह घुल-मिल जाने का प्रयास कर रहे हैं... आजकल नगर में चल रहे विशाल योग शिविर में भी कुछ नेताजी पहुँच जाते हैं और तरह-तरह के योग पूरी तन्मयता से करते नजर आते हैं। इसके बाद सबसे मिलना, मुस्कुराना, बातचीत करना तो चलता ही है। यहाँ हर दिन तरह-तरह के काढ़े भी लोगों के लिये रखे जा रहे हैं। इन काढ़ो का अपना महत्व है। हर काढ़े के आगे वह किस बीमारी का काढ़ा है इसकी पट्टिका भी यहाँ लगा कर रखी जाती है। जिसके चलते हर व्यक्ति अपनी-अपनी बीमारी के अनुसार काढ़ा पीता है और स्वास्थ्य लाभ लेता है। यहाँ सबसे यादा कब्ज की शिकायत वाले पी रहे हैं। कब्ज हरने के लिये जिस काढ़े को यहाँ बताया जाता है वहाँ अनेक लोग टूट पड़ते हैं।
पर नेताजी तो नेताजी ठहरे, वह भीड़ थोडे ही हैं...वह कुछ हटकर हैं तभी तो नेता हैं....और नेता होना भी एक कला है...वह भीड़ के पीछे थोड़े ही जायेंगे.... आज सुबह एक नेताजी ने यहां सबसे हटकर महिलाओं की तरफ ध्यान दिया। भले ही किसी भी पार्टी के हों लेकिन यह सबको समान निगाह से देखते हुए उस काढ़ की तरफ बढ़ चले जहाँ रजोनिवृत्ति वाला काढ़ा रखा हुआ था। उन्होने बकायदा धीरे -से यह काढ़ा लिया और पीते हुए घूमकर मुस्कुराने लगे....। कुछ ही देर में जब लोगों का ध्यान गया कि नेताजी तो वो महिलाओं वाला काढ़ा पी आये हैं तो लोग उन्हे देखकर मुस्कुराते रहे....।