Wednesday, November 5, 2008

हलछट उत्सव मना, सूर्य आराधना के साथ चली आतिशबाजी




                  सीहोर 4 नवम्बर (नि.सं.)। आज यहाँ सीवन नदी महिला घांट पर कार्तिक सुदी छट सूर्य पूजा भोजपुरी समाज के तत्वाधान में धूमधाम से मनी। करीब डेढ़ से दो सौ भोजपुरी समाज की महिलाओं ने छट का व्रत पूरे विधि-विधान से किया था। मंगलवार शाम सूर्यास्त के समय सूर्य भगवान की पूजन की गई। नदी घांट पर शाम से ही मेला लग गया था। रात भर यहाँ रात्रि जागरण हुआ। देर रात भजन मण्डल द्वारा सुन्दर काण्ड का आयोजन भी किया गया। बुधवार की सुबह अंधेरे में ही 4 बजे से यहाँ फिर महिलाओं के आने का क्रम जारी हो जायेगा, जो सूर्य उदय के साथ उनकी आराधना करेंगी, और इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना कर जलग्रहण कर व्रत तोड़ेंगी। आज शाम महिला घांट पर जमकर आतिशबाती चलाई गई। जगमगाती विद्युत व्यवस्था के साथ उत्सवी माहौल नजर आया।

      विशेष रुप से छट पूजा का महत्व बिहार और उत्तर पूर्वी प्रांतों में रहता है। जहाँ भगवान नारायण के महत्वपूर्ण कार्तिक मास के दौरान शुक्ल पक्ष की छट को सूर्य षष्टी के रुप में मनाये जाने का विधान है। इसका महत्व के साथ मान्यताएं और परम्पराएं भी जुड़ी हुई हैं। सीहोर नगरीय क्षेत्र में विगत कुछ वर्षों से भोजपुरी समाज ने सीहोर में भी इस उत्सव को बड़े रुप में मनाने का कार्य शुरु किया है। जिसके तहत बकायदा भोजपुरी समाज की एक समिति भी गठित कर ली गई है और समिति द्वारा ही इस आयोजन की रुपरेखा बड़े स्तर पर कर ली गई है। नई युवा पीढ़ी ने आगे आकर नगर में रहने वाले सभी भोजपुरी समाज के लोगों को इस उत्सव में सहयोग देने के लिये आमंत्रित किया है जिससे पता चला कि सीहोर में ही समाज के पर्याप्त घर है। सभी को जोड़ते चलने के इस अभियान में अब स्वयं ही भोजपुरी समाज के लोग निसंकोच जुड़ने लगे हैं और बकायदा एक साथ नदी पर आकर महिलाएं पूजन पाठ भी करने लगी हैं। यहाँ सीहोर में करीब डेढ़ से दो सौ परिवारों में तीन दिवसीय छट पूजा का उत्सव मनाया जाता है। आज नदी चोराहे छट पूजा के अवसर पर भोजपुरी समाज ने स्वागत द्वार लगवाया था, अंदर चूने की लाईन डलवाई गई थी। लाउडस्पीकर पर छट पूजन के गीत बजाये जा रहे थे। आकर्षक विद्युत सजा भी कराई गई थी। महिला घांट पर व्याप्त गंदगी को साफ कराने के लिये आवेदन देने पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने इसकी विशेष सफाई भी करवाई। नदी घांट के साथ ही नदी की सफाई भी कराई गई।

      शाम 5 बजे से छट पूजन करने वाली महिलाओं के आने का क्रम शुरु हो गया था। पूजन करने वाली महिलाएं अपने-अपने सिर पर परम्परा अनुसार पूजन की सामग्री रखकर ला रही थी। यहाँ घांट पर पहले से ही छट माता की मिट्टी की प्रतिमाएं भोजपुरी समाज समिति ने बनवा दी थी। महिलाएं पहले इसी की पूजा अर्चना करती है। आज महिलाएं अपने साथ पूजा सामग्री में विशेष रुप से घर से बना हुआ ढेकुआ लाई थीं जो आटा व गुड़ से बनाया जाता है। इसके साथ ही पूरी और फिर फल आदि से पूजा अर्चना की गई।  कुछ परिवार गन्ने भी लाये। महिलाओं ने यहाँ आराम से बैठकर काफी देर तक पूरे मनोयोग से पूजा अर्चना की।

      छट पूजा करने वाली महिलाओं ने कल पंचमी को दिनभर निराहार किया था। कल की पूजा को खरना कहते हैं। खरना के बाद शाम पंचमी को महिलाओं ने फलाहार किया था इसके बाद रात 12 बजे से उन्होने व्रत धारण कर लिया था जो आज सुबह छट व्रत पर्व के रुप में मनाया गया और शाम को निराहार और निर्जला व्रत रखते हुए इन महिलाओं ने पूजन सामग्री नदी घांट पर ले जाकर लम्बी पूजा अर्चना की। कल बुधवार की सुबह तीसरे दिन सप्तमी को सूर्योदय की पूजा अर्चना कर महिलाएं जल ग्रहण करेंगी और इस प्रकार तीन दिवसीय यह व्रत पूर्ण होगा।

      ज्ञातव्य है कि छट पर्व को चाह-हठ पर्व के रुप में भी मान्यता प्राप्त है। अर्थात अपनी चाह को हठ से भगवान सूर्य से मनवाने के लिये यह कठोर व्रत किया जाता है। अपनी मनोकामना की पूर्ति निराहार रहकर हठ पूर्वक सूर्य भगवान से कराई जाती है। इस प्रकार छट पर्व पर महिलाएं हर बार अपनी-अपनी कोई एक चाह अवश्य लेकर यह पर्व करती हैं। अधिकांश महिलाएं संतान के लिये यह व्रत रखती हैं व अपने पति की दीर्घायु व सुख समृध्दि के लिये भी महिलाएं यह कठोर व्रत रखती हैं। छट व सप्तमी रात्री में व्रत धारण करने वाली महिलाएं तकिया गद्दे पर न सोते हुए जमीन पर सोती है।

      वैष्णव समाज की तरह की भोजपुरी समाज के लिये पूरे कार्तिक मास में घर में शुध्दता व पवित्रता का ध्यान रखा जाता है, इस आधार पर ही छट पर्व में हिस्सा लेने की मान्यता है।

       यदि कोई परिवार में किसी तरह का मांस भक्षण या फिर शराब आदि पीने की आदत हो तो वह भी इस कार्तिक मास के दौरान छोड़ दी जाती है घर में पूरे भारतीय परम्परानुसार शुध्दता व पवित्रता का ध्यान रखा जाता है तभी छट पूजन महिलाएं करती है। महिलाएं घर से पूजन की सामग्री सूपड़ी जिसे भोजपुरी समाज में ''दौरा'' कहते हैं में रखकर उसे सिर पर रखकर लाती हैं। सीहोर में लगभग सभी महिलाएं नए दौरा सूपड़ी में पूजा सामग्री रखकर लाई थीं। वैसे कुछ महिलाएं पीतल थाली में भी सामग्री लाई थीं, इसे भी शुध्द माना जाता है।

      आज रात यहाँ महिला घांट पर पूजा अर्चना के बाद सूर्यास्त के समय भी काफी उत्सव मय वातावरण बना हुआ था। हालांकि बड़ी संख्या में महिलाएं पूजन करके वापस घर रवाना हो गई थी लेकिन पुरुष वर्ग, बच्चे व कुछ महिलाएं यहाँ नदी किनारे रुके  रहे। जमकर आतिशबाजी यहाँ चली। रात सुन्दर काण्ड का आयोजन भजन मण्डली द्वारा किया जायेगा। रातभर यहाँ रात जगा होगा। चाय का दौर चलता रहेगा। अर्धरात्री 4 बजे से ही महिलाएं पुन: महिला घांट पर एकत्र होना शुरु हो जायेंगी और कंपकपाती ठंड में नदी किनारे सुबह सूर्योदय के साथ ही बुधवार को यहाँ पुन: सूर्य देव को अर्ध्य दिया जायेगा। इसके बाद इनका व्रत पूर्ण हो जायेगा।

      इधर सुबह से भोजपुरी समाज के अध्यक्ष शिवजी सिंह, उपाध्यक्ष लक्ष्मी शंकर यादव, विनोद जायसवाल, रामजी सिंह, सचिव रामभरोस सिंह, मंटु सिंह, प्रवण दत्ता, संगठन सचिव तारकेश्वर सिंह, उमाशंकर यादव, शिवभरोस सिंह, संजय पाठक, प्रचार सचिव शैलेन्द्र सिंह, नीरज सिंह, ओम प्रकाश भारती, कोषाध्यक्ष केपी गिरी, सदस्य नगीना शर्मा, सियाराम सिंह, सुरेन्द्र सिंह आदि लगे हुए हैं जो रातभर लगे रहेंगे। इस पर्व में पुरुष वर्ग भी अपनी सहभागिता निभाते हैं यहाँ कई पुरुष पूजन के समय उपस्थित रहे। साथ ही कुछ महिलाओं की पूजन सामग्री पुरुष वर्ग अपने सिर पर भी रखकर लाते हैं।


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