आष्टा 24 अक्टूबर (सुशील संचेती)। किसी भी प्रकार का चुनाव हो और कांग्रेस में बगावत के सुर सुनाई ना दे ऐसा कैसा हो सकता है अभी कांग्रेस में प्रत्याशियों को लेकर घमासान मचा हुआ है प्रत्याशी घोषित ही नहीं हुआ है लेकिन उसके पहले ही दावेदारों की ओर से बगावती सुर सुनाई पड़ने लगे है आष्टा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के 1-2 नहीं 20-25 दावेदार बाहे चढ़ाये टिकिट पाने के लिए दौड़ धूप कर रहे है इन दावेदारों में एक दावेदार है बंशीलाल धनवाल और उनकी पत्नि श्रीमति रम्बा धनवाल।
धनवाल जो कि शिक्षक है लेकिन नियमानुसार कांग्रेस से चुनाव लड़ने के इच्छुक धनवाल ने अपनी सर्विस को 3 माह के लिए ब्रेक (कहते है शिक्षा विभाग में ऐसी योजना है) के लिए आवेदपन देने के बाद कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए आवेदन दिया और उसके बाद आष्टा से भोपाल दिल्ली तक दौड़ लगा आये है तथा नाम घोषित होने का इंतजार कर रहे है। आज फुरसत ने धनवाल से जब चर्चा की तो धनवाल के बगावती सुर सुनाई पड़े।
बंशीलाल धनवाल ने फुरसत से कहा कि उन्होंने कांग्रेस से टिकिट मांगा है 01मेरी पत्नि श्रीमति रम्बा धनवाल ने भी टिकिट के लिए कांग्रेस को आवेदन किया है। बंशीलाल धनवाल जो कि एक संगठन के जिला अध्यक्ष भी हैँ धनवाल ने फुरसत को बताया कि मैं जांगड़ा (चमार) समाज का हूं तथा इस समाज के आष्टा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 25 हजार मतदाता है वर्षो हो गई कांग्रेस से इस समाज को टिकिट नहीं दिया गया इस बार टिकिट जांगड़ा समाज को देने की मांग के साथ हमने आवेदन किया है। अगर टिकिट नहीं मिला तो क्या वे निर्दलीय मैदान में उतरेगें इस प्रश् पर श्री धनवाल ने खुल कर कहा कि अगर कांग्रेस ने इस बार जांगड़ा समाज की उपेक्षा की और टिकिट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़ा जायेगा चुनाव लड़ने का पूरा मन बना चुका हूंँ।
धनवाल के उक्त बगावती सुर निश्चित कांग्रेस के लिए परेशानी का सूचक है क्योंकि कांग्रेस से जितने उम्मीदवारों ने आवेदन देकर टिकिट की मांग की है निश्चित उसमें से टिकिट तो एक को ही मिलेगा जिन्हें नहीं मिलेगा वे कितने कांग्रेस के प्रति निष्ठावान एवं समर्पित भाव से जीते टिकिट मिलेगा उसके लिए कार्य करेंगे यह एक यक्ष प्रश् खडा है लेकिन धनवाल की बात से यह तो स्पष्ट है कि वे टिकिट नहीं मिलने पर निर्दलीय लड़ेगे वैसे टिकिट घोषित होने के बाद और क्या गणित बैठते है इसके लिए भी चर्चा अलग है लेकिन यह तो सत्य है कि इस बार कांग्रेस ने चुनाव लडने वालों से जो आवेदन लिये थे वे ही आवेदन उसके लिए चुनाव में परेशानी का बड़ा कारण बन सकता है।