सीहोर 2 सितम्बर (आनन्द भैया)। कल गणेश चतुर्थी पर पूरे देश की तरह नगर में भी चाँद नहीं देखने की मान्यता है, लेकिन जो चाँद देख लेता फिर वह उसका उतारा भी करता है। इसके उतारे करने की प्रथा बड़ी रोचक है जिसके तहत किसी न किसी व्यक्ति के यहाँ छत पर पत्थर फें के जाते हैं....तब तक पत्थर फेंके जाते हैं जब तक मकान मालिक व्यक्ति गालियाँ बकना ना शुरु कर दे। आज भी कुछ क्षेत्रों व मोहल्लों में लोग दूसराें की छतों पर पत्थर फेकेंगे।
उल्लेखनीय है कि गणेश चतुर्थी पर जब भगवान श्री गणेश का जन्मदिन है तब पुराणोक्त कथा के अनुसार चन्द्रमा देव ने एक बारगी गणेश जी को चतुर्थी के दिन देखकर उनके शारीरिक संरचना पर हंसी उड़ाई तब गणेश जी कुछ नाराज हो गये थे उन्होने हंसी का कारण पूछा तब पता चला कि चन्द्रमा देव उनके शारीरिक वनावट हंस रहे हैं और खुद सुन्दरता पर मोहित हैं। तब भगवान गणेश जी उन्हे यह श्राप दिया था कि आज से जब भी कोई व्यक्ति गणेश चतुर्थी पर आपको देखेगा तो उसे कलंक लगेगा। इस प्रकार चतुर्थी पर अब चन्द्रमा जी नहीं बल्कि विघ्हर्ता भगवान श्री गणेश के ही दर्शन किये जाते हैं।
लेकिन भारतीय संस्कृति में हर दोष का निवारण भी उल्लेखित है। इसी तारतम्य में जब भी कोई व्यक्ति गणेश चतुर्थी को भूलवश चन्द्रमा के दर्शन कर लेता है तो वह रात के समय किसी भी अड़ोसी-पड़ोसी के यहाँ दूर से पत्थर फेंकता है, चद्दर वाले मकान पर फेंका पत्थर बहुत तेज आवाज करता है, जिसके घर पर पत्थर फिंकाता है वह दुखी होकर यदि बाहर आकर गालियाँ बकना शुरु कर दे तो समझ लो चन्द्रमा को देखने से लगा कलंक धूल जाता है।
उल्लेखनीय है कि इस कलंक स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी भी नहीं बच सके थे। कृष्ण जी को क्या कलंक लगा था इस संदर्भ में 1 सितम्बर सोमवार के फुरसत उत्सव में एक कहानी भी प्रकाशित हुई थी उसे पढ़े।
हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।