Saturday, August 23, 2008

धर्म से कमाए अर्थ से भोगा जा सकता है कामनाओं को -रंगनाथाचार्य जी

बड़ा बाजार में श्रीमद भागवत कथा महोत्सव का दूसरा दिन
सीहोर 22 अगस्त (नि.सं.)यदि मानव धर्म की राह पर चलकर अर्थ यानी धन कमाता है तो उस धन से वह अपनी सभी कामनाओं को भोग सकता है क्योंकि धर्म से कमाए गए धन से शरीर में भोगों को भोगने की सामर्थ्य रहती है। यदि धन बेईमानी से कमाया गया तो शरीर किसी भी भोग का सुख ले नहीं पाएगा, शरीर को तरह-तरह की व्याधियां सताती हैं और शरीर किसी का काम का नहीं रहता।
उक्त आशय के उद्गार स्थानीय बड़ा बाजार में श्री रामानुज मंडल के तत्वाधान में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव में दूसरे दिन उौन से पधारे परम पूजनीय संत प्रवर 1008 श्री स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज, व्याकरण वेदान्ताचार्य श्री रामानुज कोट उौन ने अपनी ओजस्वी एवं अमृतमयी वाणी से बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुजनों को कथामृत का पान कराते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने कहा कि अनेकता में एकता, यही है हिन्दू धर्म की विशेषता। उन्होंने कहा कि अलग-अलग देवी-देवताओं और परम्पराओं को मानने के बाद भी हिन्दू धर्म की विशेषता। उन्होंने कहा कि अलग-अलग देवी-देवताओं और परम्पराओं को मानने के बाद भी हिन्दू सभी त्यौहार एक साथ मनाते हैं, इसलिए हिन्दूओं में एकता है। उन्होंने कहा कि जो नव संवत्सर गुड़ी पड़वा को ही होता है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन सदा उत्सव में डूबा रहकर आनन्द लेता रहे इसलिए सनातनी हिन्दू परम्परा में प्रतिदिन उत्सव की व्यवस्था संत-मुनियों एवं ज्ञानी जनों ने की है। स्वामी जी ने हका कि सत्य सभी को भाता है, बेईमान और नास्तिक सेठ भी अपने मुनीम से यही अपेक्षा करता है कि मुनीम अपना काम ईमानदारी से करे। इसीलिए सत्य की आराधना नास्तिक भी करते हैं। इसलिए सत्य को ईश्वर का दर्जा दिया गया है। बिना सत्य के आप एक दिन भी नहीं जी सकते। यदि आप किसी दिन संकल्प लें ले कि आज दिन भर सत्य बोलना ही नहीं है तो आप देखेंगे कि आपको भोजन भी नसीब नहीं होगा क्योंकि यदि आपकी पत्नि पूछेगी कि भूख लगी है तो आप मना कर देंगे।
स्वामी जी ने भगवान के चरणामृत को भगवान से भी अधिक महत्ता वाला बताया और कहा कि भगवान के पैर से निकली गंगा जी के पुत्र भीष्म के सामने भगवान को भी हारना पड़ा था इसलिए महाप्रलय के बाद पुराणों में कथा आती है कि भगवान भी बालरूप में वटरूप पर अपने दाहिने पांव का अंगूठा चूसते है क्योंकि वे भी चरणामृत पान कर सृष्टि को पुन: रचने की ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
श्रीमदभागवत कथा को सुनने पूरे शहर भर से लोग एकत्रित हो रहे हैं। प्रतिदिन कथा के बीच में स्वामी जी के सुमधुर भजनों को सुनकर भक्तजन आनंद में मग् होकर नृत्य करने लगते हैं। पूरा बड़ा बाजार क्षेत्र में माहौल धार्मिक हो गया है। श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के मुख्य यजमान विधायक रमेश सक्सेना ने सभी श्रद्धालुजनों से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर पुण्यलाभ प्राप्त करें।


हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।