Saturday, August 23, 2008

भगवान कृष्ण की सहेली का मोलगा में जन्म, हाथों से निकल रहा माखन 16 वर्ष से सिर्फ माखन पर जीवित

कृष्णजन्माष्टमी पर लगेगा मेला
इछावर 22 अगस्त (राजेन्द्र सक्सेना)। आज से 25 वर्ष पहले ग्राम मोलगा में भगवान कृष्ण की सहेली के रूप में खाती परिवार में जन्म हुआ है सुनाती बाई का। सुनीता बाई को 16 वर्ष पूर्व कृष्ण के स्वरूप के दर्शन होने लगे परिवार वालों से जब कहा तो वे कोरी गप्प मान कर अनसुनी कर गये। जब सुनीता अपने खेत पर गई तो उन्हें बांसुरी की मधुर आवाज सुनाई दी वे मदहोश होती हुई उस बांसुरी की धुन की तरफ अपने आप खिंची चली गई तो वहां पीपल के वृक्ष पर भगवान बांसुरी बजा रहे हैं ऐसा उन्हे प्रतीत हुआ।
यह देखा और सुनीता से कहा कि तुम पिछले जन्म में मेरी सहेली थी, और मुझे बार-बार माखन खिलाती थीं अब मैं तुम्हें माखन खिलाऊंगा। तभी से सुनीता ने भोजन करना बन्द कर दिया और कृष्ण भक्ति में डूब गई । सुनीता का विवाह हो चुका था गोना नहीं हुआ था भगवान उन्हें रोज माखन खिलाते उनसे बात चीत करते और चले जाते । यह सिलसिला लगातार होने लगा तो परिवार के लोगों ने सोचा की एक सप्ताह तक भोजन नहीं किया तो सुनीता से पूछा तो उसने जवाब दिया की मैं भगवान कृष्ण की सहेली पूर्व जन्म में थी यह भगवान ने बताया और मुझे प्रतिदिन पेट भरकर माखन खिलाते हैं और चले जाते है।
परिवार वालों ने कहा हमें भी माखन खिलाओं तब सुनीता ने भगवान से कहा परिवार एवं गांव वालों को भी आप माखन दें। तब भगवान ने कहा जब तुम मेरी पूजा एवं गीत पाठ करोगी तब अन्न में मैं तुम्हें माखन दूंगा तुम सब लोगों को प्रसाद के रूप में बांटना तभी से सुनीता बाई के हाथों से माखन निकलता है और भक्त प्रसाद के रूप में माखन खाते हैं। माखन अति स्वादिष्ट होता है। तभी से लगातार 16 वर्षो से माखन हाथों में आ जाता है।
जब यह चर्चा फैली तो काफी भीड़ हो गई लोग मन्नत भी मांगने आने लगे। सुनीता के भाई चन्दर सिंह ने बताया कि तभी से कैंसर एवं सन्तान प्राप्ति के लिये लोग आने लगे उनका कार्य होने लगा।
सुनीता के पति ने स्वेच्छा से पत्नि रूप से मुक्ति दे दी पत्नि को छोड़ दिया तो सुनीता ने कहा तुम्हारें यहां पानी का संकट है। समाप्त हो जावेगा । तभी से वहां उनके सिंचाई हेतू भरपूर पानी हो गया।
आज भी प्रतिदिन लगातार प्रात: 8 और 9 बजे के मध्य माखन हाथों से निकलता है और प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। बहन सुनीता 16 वर्षो से निराहार रहकर सिर्फ माखन एवं फल खाकर अपना समय व्यतीत कर रही है।


हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।