सीहोर 27 जून (नि.सं.)। नगर पालिका में कमीशन खाने की ऐसी आदत कुछ कर्मचारियों को हो गई है कि वह कई बार तो घर के लिये दाल-सब्जी खरीदने जाते हैं तो उसमें भी दुकानदार से पूछते हैं कि तुम्हारे यहाँ से खरीदने में हमें क्या लाभ होगा ? ऐसे ही एक कर्मचारी ने तब हद कर दी जब नगरीय प्रशासन विभाग एक वरिष्ठ अधिकारी सीहोर आये हुए थे और वह उनकी जबरिया सेवा खुशामद में लगा हुआ था, अधिकारी ने इसे ठीक-ठाक व्यक्ति समझक र एक जरा-सा सामान लाने के लिये काम सौंपा और ईमानदारी का परिचय देते हुए सामान के लिये रुपये भी दे दिया। सामान लाने वाले कर्मचारी ने आदत अनुसार इसमें भी बड़ा घपला कर डाला जबकि इसकी भनक भोपाल के अधिकारी को लगी तो उन्होने करीब आधे घंटे तक उसकी इतनी खरी-खोटी सुनाई की बस...अब इस घटना की चर्चाएं नगर पालिका में हास्य का कारण बने हुए हैं।
पिछले दिनों एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी का असामायिक निधन हो गया था। इनके एक पुत्र भोपाल नगरीय प्रशासन विभाग के एक अधिकारी के रुप में कार्य करते हैं वह अपने इसी तारतम्य में सीहोर आये। यह जब सीहोर आये तो नगर पालिका के वरिष्ठ और कुछ खास कर्मचारी इनके यहाँ गमी में बैठने भी गये। इन्होने इतना दुख प्रकट किया कि लगा मानों इन लोगों को भारी दुख हुआ है, फिर तो जब तक अधिकारी जी सीहोर रहे यह अधिकारी लगातार यहीं इनके आसपास मंडराते रहे और सेवा का अवसर देने को कहते रहे। इन्होने अधिकारी के घर में कुछ नल फिटिंग गड़बड़ थी तो उसे भी ठीक करा दिया, कुछ और काम करने का भी प्रयास किया। अधिकारी जरा ईमानदार किस्म हैं इसलिये वह कोई विशेष सेवा तो लेते ही नहीं। हाँ उन्हे घर में एक सिंटेक्स की टंकी चाहिये तो इसके लिये उन्होने एक कर्मचारी को नगद रुपये और कहा कि टंकी ला दो।
अब अधिकारी जब टंकी लेने गया तो यह भूल ही गया कि काम अधिकारी जी का कर रहा है, अपने आदत अनुसार वह जितने का माल था उससे यादा का बिल ले आया, और बिल थमा दिया। अधिकारी ने जब दूसरे दिन बाजार में सिंटेक्स के भाव पता करे तो वह अचरज कर बैठे, क्योंकि उनके यहाँ डेढ़ गुने भाव में टंकी लाई गई थी, उन्होने तत्काल नगर पालिका के उस कर्मचारी को बुलाया और उसकी लू उतार दी, खूब खरी-खोटी सुनाई। नाराज अधिकारी अच्छी तरह उसे कान के कीडे झाड़ दिये और कमीशन खाने वाला सीहोर नगर पालिका का कर्मचारी नीचे मुँह करके सुनता रहा।
अब जबसे यह किस्सा नगर पालिका के कर्मचारियों को पता चला है वह चटखारे ले-लेकर मजे ले रहे हैं, और एक दूसरे को सुना भी रहे हैं कि देखो वो अधिकारी के रुपय में ही कमीशन ले बैठा।