Sunday, June 15, 2008
इसलिये निरक्षरों का अंगूठा मान्य होता है
आष्टा 14 जून (नि.सं.)। जो लोग निरक्षर होते हैं और वे जरुरी दस्तावेतों व अन्य लिखा पढ़ी में हस्ताक्षर नहीं कर पाते हैं इसलिये उनका अंगूठा मान्य होता है। अंगूठे की निशानी को ही हस्ताक्षर माना जाता है। अब प्रश् यह उठता है कि हाथ में पाँच अंगुलिया होती हैं उनमें से किसी अंगुली को अंगूठे की तरह मान्यता क्यों नहीं अंगुलियों को दस्तावेजों पर या लिखापढ़ी में निशानी क्यों नहीं ली जाती है। शायद इसके बारे में किसी को ज्ञान हो ऐसा कम को ही मालूम होगा लेकिन इसके पीछे एक ऐसा सत्य छुपा है जो परिवर्तित नहीं हो सकता। अंगूठे को ही निशानी या निरक्षर व्यक्ति के हस्ताक्षर के रुप में इसलिये मान्य किया गया है क्योंकि हाथ में जो अंगूठे के अलावा चार अन्य ऊंगलियां हैं इनकी रेखाएं परिवर्तित होती हैं जबकि अंगूठा एक मात्र ऐसा है जिसकी रेखाएं कभी भी परिवर्तित नहीं होती हैं इसलिये अंगूठे की निशानी को निरक्षरों के हस्ताक्षर के रुप में मान्य किया गया है। उक्त रहस्यमय तथ्य परक बात महावीर स्वामी श्वेताम्बर प्यास प्रवर मुनि श्री वीररत्न विजय जी ने धर्मसभा में अरिहंत की वाणी को समझाने के लिये बताई। मुनिश्री ने बताया कि जिस प्रकार अंगूठे की रेखा परिवर्तित नहीं होती है ठीक उसी प्रकार अरिहंत की वाणी में कभी भी किसी भी युग में परिवर्तित नहीं होती है।