Sunday, June 22, 2008

वार्ड 15 में सड़क बनाने वाले बोल रहे थे मैं नहीं था और वार्ड 17 की बनी हुई सड़क की ढुंढाई चल रही (खास खबर)

सीहोर 21 जून (नि.सं.)। नगर पालिका द्वारा कराये गये कामों की जांच करने के लिये जो दल आया था उस दल के प्रभारी जी.के.श्रीवास्तव ने जब वार्ड 17 में जाने के पूर्व वार्ड 15 में रुककर अचानक सड़क देखी तो यहाँ भीड़ एकत्र हो गई जनता ने कहा कि यह सड़क आपके साथ चल रहे इस चश्मे वाले ने अपने सामने बनवाई है और वो चश्मे वाला कहता रहा कि साहब मुझे नहीं मालूम यह सड़क कब बनी है। जबकि वार्ड 17 में तो जिस सड़क को देखने दल पहुँचा था वहाँ सड़क कभी बनी ही नहीं है और कागजों पर बन गई है। देखिये इन दोनो स्थानों पर क्या रोचक स्थिति बनी....।
भोपाल से आये जांच दल के प्रभारी का वाहन काफिला जब वार्ड 15 प्रेम पहलवान के घर के सामने अचानक रुका और जांच अधिकारी ने यहाँ सड़क का मुआयना किया। सड़क देखी तो उसकी हालत रद्दी हो रही थी। उन्होने जब नगर पालिका अधिकारी से पूछा कि यह सडक़ कब बनी तो उन्होने साफ इंकार कर दिया कि साहब मुझे नहीं मालूम सड़क कब बनी लेकिन यहाँ आसपास खड़े लोग व शिकायत कर्ता पार्षदों ने बताया कि साहब यह जो सडक़ है मात्र 4-5 माह पूर्व ही बनी है। इतनी ताजी सड़क और हालत इतनी बदतर देखकर जांच अधिकारी अचरज करने लगे।
इसी दौरान भारी भीड़ एकत्र हो गई, नगर पालिका का अमला कह रहा था कि सड़क हमारे कार्यकाल में नहीं बनी, इसी दौरान जनता ने नगर पालिका के उस इंजीनियर अधिकारी को पहचान लिया जिसने खड़े होकर सड़क बनवाई थी। जनता ने कहा कि साहब यह जो व्यक्ति यही आज से 4-5 माह पूर्व जब सड़क बन रही थी तब आता था और सड़क का काम देखता था। बस फिर क्या था भोपाल से आये संभागीय अधिकारी श्री श्रीवास्तव अच्छे खासे नाराज हो गये। उन्होने यह भी समझ लिया कि नगर पालिका के अधिकारी कर्मचारी बात छुपा भी रहे हैं और गड़बड़ करके बचना भी चाहते हैं। उन्होने यहीं इस अधिकारी को डांटा और फिर वाहन का काफिला आगे बढ़ गया।
वार्ड 17 में जब शिकायत निरीक्षण दल पहुँचा तो वहाँ कागजों पर उल्लेखित रामकली बाई के घर से लेकर रितेश के घर तक की सडक़ को देखा गया। निरीक्षण दल रामकली बाई के घर के सामने गया तो वहाँ न कोई सड़क थी न सड़क के अवशेष दिख रहे थे। यह वार्ड पार्षद दिनेश भैरवे का है। आखिर कागजों पर सड़क बन गई और हकीकत में कैसे गायब हो गई इसे देखकर अधिकारी हतप्रभ थे।
आखिर सडक़ जमीन में चली गई थी या आसमान में उड़ गई थी ? यह प्रश् उठ रहा था और जांच दल यहाँ से भी कार्य देखकर चला गया।
इस संबंध में फुरसत ने वार्ड पार्षद दिनेश भैरवे से बातचीत की तो उन्होने बताया कि साहब सड़क तो वास्तव में स्वीकृत हुई थी और कागजों पर बनी भी है लेकिन हकीकत में वो वहाँ नहीं बनी जहाँ लिखी गई है।
हुआ यह था कि मेरे वार्ड में दो सड़क स्वीकृत हुई थी एक शीतला माता से लेकर पूरन माली के घर तक और दूसरी रामकली बाई के घर से लेकर रितेश के घर तक रामकली बाई के घर के सामने से बनने वाली सड़क छोटी-सी थी और पहले शीतला माता से लेकर पूरन माली वाली सड़क बनना शुरु हो गई जब सड़क बनी तो जनता ने मांग कर दी कि इस सड़क और आगे तक बनाया जाये, जनता जिद करने लगी, वह चाहती थी कि सड़क हरिजन मोहल्ले तक बन जाये, मजबूर होकर मैने भी एक आवेदन नगर पालिका में दिया, पार्षद ने कहा कि खुद मैने प्रयास किया की सड़क आगे तक बन जाये, तब मुझसे लिखित में लिया गया और उसके बाद जो सडक़ रामकली बाई से लेकर रितेश के घर तक बनना थी वह नहीं बनी उसके स्थान यह शीतला माता वाली सड़क ही आगे बना दी थी। यह कोई भ्रष्टाचार नहीं है यह सामान्य प्रक्रिया है।
जबकि प्रश् उठता है ? कि पूर्व में जो दो सड़क बनना थी उनके स्थान पर एक ही सड़क को बढ़ा बना दिया गया। जबकि पूर्व में दोनो सड़कें मात्र तीन-सवा तीन लाख में बन जाती है बाद के निर्णय के कारण एक ही सडक़ 6 लाख रुपये की विशाल राशि से भी अधिक में बनी है। तो रुपयों का यह अंतर कैसे समयोजित किया गया ? यह जांच का विषय हो सकता है।
इसी मोहल्ले में एक कुंआ भी चर्चा का विषय बना हुआ था। जो कुंआ क्षतिग्रस्त अवस्था में पड़ा है । पिछले दिनों विधानसभा में विधायक उमाशंकर गुप्ता द्वारा एक प्रश् सीहोर नगर पालिका के वार्ड 17 में स्थित कुएं को लेकर उठाया गया था प्रश् क्रमांक 176 के तहत पूछा गया था कि एक कुंआ जो यहाँ बना है क्या वह नगर पालिका ने बनाया है और कितनी लागत आई है, इसके जबाव में नगर पालिका ने कहा था कि यह कुंआ जनभागीदारी से बना है। इसका नगर पालिका से लेन देन नहीं है। जबकि दो माह पूर्व ही इस कु एं को लेकर 50 हजार रुपये की राशि का भुगतान एक राजेश नामक ठेकेदार को दिया गया है। तो फिर जो कुंआ नगर पालिका जनभागीदारी का बता रही थी उसका भुगतान कैसे कर दिया गया ? इसकी भी जांच दल द्वारा बारीकी से की जा रही है।
नगर पालिका द्वारा अन्य वार्डों भी जो कार्य कराये गये हैं और कहाँ-कहाँ सड़कों के नीचे से गड्डे निकले हैं। एक वार्ड में तो विशेष रुप से सड़क के दौरान बनी एक नाली को छोटी पुलिया बताकर 40-50 हजार रुपये का बिल बना लिया गया था। ऐसी ही अन्य जानकारियाँ भी सामने आई हैं? आगामी अंकों अन्य वार्डों जो गड़ बड़ी सामने आई है उसका भी प्रकाशन किया जायेगा।