सीहोर 24 मई (नि.सं.)। बैंक से लोन दिलाने के नाम पर बने सिंह के साथ बेईमानी करने अर्थात छल के अपराध धारा 420 भादवि में अभियुक्त वीरेन्द्र पुत्र इंदर सिंह को विद्वान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री कुलदीप जैन साहब ने तीन साल की सश्रम कारावा एवं एक हजार रुपये अर्थदंड की सजा का फैसला सुनाया। मामले में राय की और से पैरवी व्ही.के.सिंघई डीपीओ ने की।
मामले में अभियोजन की और से श्री सिंघई ने पैरवी करते हुए जानकारी दी कि अभियोजन मामले के अनुसार बने सिंह से आरोपी वीरेन्द्र ने बैंक से एक लाख रुपये लोन दिलाने के नाम पर 10 हजार रुपये प्राप्त की व बेईमानी पूर्वक छल से राशि लेकर बेक लोन के नाम पर समाज विरोधी कृत्य किया। मामले में रिपोर्ट की गई। पुलिस ने अनुसंधान किया। विवेचना बाद न्यायालय में प्रकरण आरटी 29305 अपराध क्रमांक 7905 धारा 420 भादवि में कायम हुआ।
विद्वान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री कुलदीप जैन साहब ने अभियोजन की गवाही का सूक्ष्म अवलोकन किया। बचाव पक्ष को सुना पश्चात धारा 420 भादवि में मामला सिध्द पाते हुए अभियुक्त वीरेन्द्र पुत्र इंदर सिंह निवासी ढाबला केलवाड़ी थाना बिलकीसगंज को तीन साल की सश्रम कारावास व एक हजार रुपये अर्थदंड का आठ पृष्ठीय निर्णय सुनाया। इस प्रकार छल करने के अभियुक्त को न्यायालय ने जेल भेजा है।