आष्टा 23 अप्रैल (नि.सं.)। 8 दिनो से हम्मालों की हम्माली की दर को लेकर आष्टा मंडी में जो कुछ घटना घटी, काला अध्याय लिखा गया, गंदी राजनीति हुई उस सबका आज पटाक्षेप होने की स्थिति एक बारगी बन गई।
कल आष्टा मंडी समिति की बैठक में व्यापारी प्रतिनिधि छीतरमल जैन के 2.10 पैसे के प्रस्ताव को स्वीकृत करने के बाद आज मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष नवनीत संचेती एवं हम्माल संघ के अध्यक्ष भगवान दास कुशवाह ने मंडी द्वारा तय की गई दर को किसान हित में स्वीकृत कर दोनो संघों ने स्वीकृति पत्र मंडी को सौंपे और मंडी सचिव छोटू खान ने बताया कि 24 अप्रैल को प्रात: खुशनुमा माहौल में पूर्व में घटी सब कुछ बातों को भूलकर सभी पक्ष मंडी में नीलामी कार्य तुलाई कार्य शुरू करेंगे। कल मंडी ने दोनो संघों को पत्र भेजकर बता दिया था कि 24 को नीलामी एवं हम्माली कार्य में भाग लेवें। आज दोनो संघों ने अपने-अपने सदस्यों की सहमति के बाद स्वीकृति पत्र मंडी को सौंपा।
स्मरण रहे 15 को मंडी में हम्मालों द्वारा अचानक कार्य बंद करने से किसान आक्रोशित हो गये थे और ऐसा घटनाक्रम घटा जिसे आष्टा मंडी के इतिहास में काला दिन अंकित हो गया उसके बाद भी कई ऐसे वाकिये हुए जिससे पूरा प्रशासन मंडी शुरु कराने के लिये जुट गया था। स्वयं म.प्र. के मुख्यमंत्री आष्टा मंडी को लेकर काफी चिंतित थे।
जिलाधीश राघवेन्द्र सिंह रोजाना मंडी सचिव से चर्चारत थे। वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष ललित नागौरी ने स्वयं मुख्यमंत्री की चिंता अनुरुप कई बार व्यापारी संघ अध्यक्ष हम्माल संघ अध्यक्ष, मंडी के संचालकों, सचिव आदि से चर्चा कर हल निकालने के प्रयास किये थे और आज सभी के सहयोग से एक बारगी हल भी निकल गया। आठ दिनों से मंडी के बंद रहने से व्यापारियों मंडी को, हम्मालों को और खासकर पूरे आष्टा के व्यापारियों को विभिन्न तरह से लाखों का नुकसान हुआ। मंडी बंद रहने से किसान अपनी कृषि उपज को सीहोर, इछावर, सोनकच्छ, जावर, कन्नौद बेचने पहुँचे थे। अब सभी पक्षों के लिये आज यह शुभ खबर आई है कि सभी ने सभी की चिंता कर आज सहमति जता दी और अब 24 अप्रैल से रोजाना की तरह आष्टा मंडी में नीलामी जावक का कार्य शुरु होगा। मंडी सचिव छोटू खान ने क्षेत्र के सभी कृषक बंधुओं से अपील की है कि वे अपनी-अपनी कृषि उपज बेचने हेतु आष्टा मंडी में पधारे आष्टा मंडी में आपका स्वागत है। मंडी शुरु होने की सूचना से पूरा जिला और तहसील के प्रशासन ने बड़ी राहत की सांस ली है क्योंकि मंडी बंद होने से जो सरकारी खरीदी का लक्ष्य था वो भी गड़बड़ा रहा था। मंडी की जो दर तय हुई है वो दो वर्ष के एग्रीमेंट पर हुई है।