आष्टा 9 अप्रैल (नि.प्र.)। जब भी आष्टा नगर की जीवन दायनी पार्वती नदी को लबालब भरा देखते है तो आष्टा का ही नही पूरे क्षैत्र का नागरिक लबालब भरी पार्वती को देखकर उपने पूर्व लोकप्रिय सांसद सुशील चंद्र वर्मा एवं तात्कालिक आष्टा विधानसभा क्षैत्र के विधायक स्वर्गीय श्रीनन्द किशोर खत्री को याद किये बिना नही रहते है । आष्टा का अगर किसी ने स्थाई जल संकट को हल किया है तो उसका नाम है सांसद सुशील चंद्र वर्मा अपने लम्ब संसदीय कार्यकाल में श्रीवर्मा ने पूरे लोकसभा क्षैत्र के प्रत्येक ग्राम में अगर किसी बात पर उस वक्त जोर दिया तो वो था बहते पानी को रोकने की बात पर आष्टा से 35 कि.मी.दूर सिद्दीकगंज क्षैत्र में रामपुरा डेम का वर्षो से रूका कार्य का दिल्ली के दरबार से लालबस्तों से निकालकर सभी बाधाओं को दूर करवा कर उसके निर्माण कार्य को शुरू कराने और फिर जब तक उक्त कार्य पूरा नही हुआ तब तक लगे रहने का श्रेय सांसद सुशील चन्द्रवर्मा को जाता है । इस कार्य में थोड़ा श्रेय उस वक्त के विधायक श्री खत्री और म.प्र. की पटवा सरकार को भी जाता है। आज उक्त डेम जो की बरसात में भरा जाता है । और उसके बाद गर्मी के सीजन में पूरे क्षैत्र की खासकर आष्टा की प्यास बुझाने में महत्वपूर्ण रहता है वही इस डेम से सिंचाई के लिए जहां-जहां तक नहर पहुंची है उस ग्राम की सैकड़ो एकड़ जमीन को भी भरपूर पानी प्राप्त होता है । डेम के बनने से सिद्दीकगंज आस-पास का क्षैत्र सोना उगलने गला है । किसान सम्पन्न हुए है पानी के कारण इस क्षैत्र में भरपूर गेंहू-चना गन्ना पैदा होता है। इस क्षैत्र मे गुण भी सबसे अधिक बनया जाता है । इस वर्ष सीहोर गंभीर जल संकट के दौर से गुजर रह है । जल उपयोगिता समिति की बैठक में उठी मांग पर अब रामपुरा डेम से सीहोर के लिए पानी छोड़ा गया है जो बोरखेड़ा से भी आगे निकल चुका है लेकिन पूरी नदी सुखी होने के कारण उक्त पानी सीहोर कब पहुंचेगा कहना मुश्किल है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामपूरा डेम से सीहोर के लिए लगभग 20 लाख घन मीटर पानी छोड़ा जा रहा है । इससे ज्यादा पानी डेम में नही है। क्योंकि एक निश्चित माप तक पानी डेम में सुरक्षित रखा जाता है। उक्त पानी छोडने के बाद डेम में केवल 18 से 119 लाख घनमीटर पानी ही बचने की सम्भावना है ।
एक लाख ही दिया :- प्राप्त जानकारी के अनुसार जल उपयोगिता समिति की बैठक के अनुसार रामपुरा डेम से पानी छोड़ने की बात उठी थी तब कहा गया था कि सीहोर न.पा. इसके बदले सिंचाई विभाग को 5 लाख रुपये जमा करायेगा । लेकिन खबर है कि सीहोर न.पा. ने मात्र एक लाख रुपया ही जमा किया है ।
अच्छे के साथ गन्दा भी :- रामपुरा डेम सीहोर के लिए जो पानी छोड़ा गया वो आष्टा से पार्वती पर बने बंधान के ऊपर से बहकर जा रहा है । साथ ही इस पानी के साथ आष्टा नगर का गन्दे नाले का पानी भी उस अच्दे पानी में मिलकर साथ-साथ जा रहा है अगर सीहोर पहुंचने पर उक्त पहुंचे पानी को प्रर्याप्त शुद्ध फिल्टर नही किया गया तो पहुंचे पानी से बिमारी फैलने का भी अंदेशा है । सीहोर न.पा. को एंव सीहोर प्रशासन को इस मुद्दे पर जागरूकता का परिचय देना होगा ।
क्या उक्त पानी सीहोर पहुंचेगा:- आष्टा से सीहोर तक का जो नदी मार्ग है वो लम्बे समय से नदी में पानी नही होने से खाली सुखा पड़ा है अब जो पानी सीहोर जा रहा है। उसकी गति काफी धीमी है क्योंकि पुरा खाली मार्ग अत्याधिक पानी को आगे बढ़ने से रोक रहा है । कईयों के मन में अभी से यह शंका पैदा हो गई है कि क्या यह जा रहा पानी समय पर सीहोर तक पहुंच पायेगा ।
सीहोर भी निगाह लगाये रखा है:- आष्टा से वह कर पार्वदी नदी के माध्यम से रामपुरा डेम का जो छोड़ा गया पानी सीहोर जा रहा है चिन्तित सीहोर नगरपालिका पुरी निगाह लगाये हुए है। खबर है कि रोजाना इसकी रिपोर्ट ली जा रही है । कि आज उक्त पानी कहां तक पहुंच गया और सीहोर आने में कितना समय लगेगा ।
रास्ते में खेचा जा रहा है पानी:- एक तो खाली पड़ी नदी के कारण पानी देरी से आगे बढ़ रहा है वही जहां तक पानी पहुंच गया है । खबर है कि उन रास्तों में पड़ने वाले ग्राम व खेतों के कृषक जा रहे पानी को मोटरे लगाकर खेचने में भी लग गये है । नदी से उक्त पानी को खेचने पर कड़ी निगाह रखे जाने की भी आवश्कता है नही तो सीहोर के लिए उक्त पानी माथे का नाम कपाल वाली कहावत को चरितार्थ करेगा ।
आष्टा के मजे हो गये :- डेम से सीहोर के लिए पानी छोड़ा गया है लेकिन मजे में आष्टा वाले है और न.पा. का तो बहुत बड़ा फायदा हुआ है । क्योंकि सीहोर के कारण जब तक डेम से पानी चलेगा आष्टा की पार्वती तो लबालब भरी रहेगी इसलिए आष्टा को जो जल संकट का थोड़ा बहुत सामना मई-जून में करना पडता शायद वो इस कारण से नही करना पड़ेगा । वही रामपुरा डेम से आष्टा तक नदी मार्ग पर स्थित खेतों के किसानों के भी मजे हो गये है। वो बिन मौसम खेती कर रहे है । खासकर सब्जियां अच्छी मात्रा में पैदा करने में जुटे है।
विरोध के स्वर भी उठ थे :- जल उपयोगिता समिति की बैठक में निर्णय के बाद जब रामपुरा डेम से सीहोर के लिए पानी छोड़ा गया तब कई ग्रामों के किसानों ने इस निर्णय का विरोध करते हुए आष्टा एसडीएम को शिकायत तक कर दी थी उनकाा कहना था कि रामपुरा डेम का पानी किसानों के लिए है तथा जरूरत पड़ने पर आष्टा को दिया जाये सीहोर इसके कमान्ड क्षैत्र मेें आता ही नही है तो वहां पानी क्यों भेजा जा रहा है ।
रामपूरा डेम जैसी योजना सीहोर के लिए भी बनना चाहिये
आष्टा 9 अप्रैल (नि।प्र।)। जिस प्रकार आज सीहोर गंभीर जल संकट से हरवर्ष गर्मी में जुझता है । वर्षो पहले इसी तरह आष्टा भी जुझा करता था लेकिन तात्कालिक आष्टा सांसद सुशील चन्द्र वर्मा के प्रयास से आष्टा क्षैत्र को रामपुरा डेम की ऐसी सौगात मिली की आष्टा का व आस-पास के क्षैत्र को जलसंकट से स्थाई हल मिल गया । जिस प्रकार आष्टा के स्थाई जल संकट के लिए उक्त योजना बनाकर उसे पुरी की गई और एक विकट समस्या का स्थाई हल हुआ ठीक इसीप्रकार आज सीहोर की भी ऐसी किसी बड़ी महत्वपूर्ण योजना को बनाकर सीहोर को स्थाई जल संकट हल हो के लिए योजना बनना चाहिये और प्रयास ऐसे किये जाना चाहिये कि वो शीध्र चालू हो कर पूर्ण हो ताकि आष्टा की तरह सीहोर को भी स्थाई जल संकट से मुक्ति मिल सके इसके लिए सीहोर की जनता को पार्वती योजना के दूसरे चरण को लेकर विचार विमर्श करना चाहिये।
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