Friday, January 9, 2009

ठंड बढ़ी, बच्चों पर हो रहा अत्याचार, शासन का ध्यान नहीं

      सीहोर 8 जनवरी (नि.सं.)। विगत दो-तीन दिन से बढ़ती हुई ठंड आज नगर में हुई अच्छी बरसात के बाद तो एकदम से चमक उठी है, ठंड का जोर आज दिनभर रहा। दिन-दिनभर बादलों की ओट में छुपे हुए सूर्य को देखने के लिये उनकी कुनकुनी धूप से सिकने के लिये नगरवासी लालायित रहे। देश के उत्तरी क्षेत्रों में तो ठंड से दिल्ली सहित कई प्रांत चपेट में हैं लेकिन अभी उत्तर की ठंडी हवाएं बड़ी मात्रा में यहाँ तक नहीं आई हैं। सुबह से कोहरा छाने के बाद दिनभर रही ठंड ने बाहर आने-जाने में परेशानी पैदा की। ऐसे में उन नन्हे बच्चों की हालत सोचकर मन सिहर उठता है जो सुबह से विद्यालय जा रहे हैं। अभी तक जिला प्रशासन इस वर्ष विद्यालयों का ठंड का समय नहीं बदलवाया है और ना ही विशेष ठंड की छुट्ठियों के आदेश कोई दिये गये हैं।

      सुहावना ठंड का मौसम यूँ तो कई लोगों को खासा पसंद होता है, लेकिन इन दिनों जितनी ठंड बढ़ती जा रही है उसने कईयों के दांत किटकिटा भी दिये हैं। आज सुबह से हुई बरसात के बाद तो स्थिति यह हो गई कि अब रात चाहे कितनी ही रजाईयाँ ओढ़ ली जाये लेकिन गर्मी का माहौल नहीं बनने वाला। उन बंद कमरों में भी ठंड का असर नजर आ रहा है जहाँ पिछले दिनों कही राजनीतिक सरगर्मियाँ थी। कोहरा तो कुछ दिनों से लगातार छाने ही लगा है लेकिन अब बरसात के बाद स्थिति और भी बिगड़ गई है।

      ठंडी हवाएं भी अब शुरु हो गई हैं। जिससे ठंड काफी अधिक बढ़ गई है। ठंड के इतने असर का ही परिणाम है कि दिन-दिनभर लोगों को गर्म कपड़े पहनना पड़ रहे हैं। बिना टोप लगाये और कान ढके वाहन चलाना मुश्किल हो रहा है। सुबह 10 के पहले और शाम सूर्यास्त के बाद से ही अचानक ठंड जोर करने लगती है।

      इन दिनों पड़ रही ठंड का असर इतना तेज है कि चौराहों पर अलावा जलाने के बाद भी लोग थोड़ी बहुत देर तापकर घर को रवाना हो जाते हैं क्योंकि ठंडी हवाओं के सामने अलाव भी गर्मी पैदा करने में असमर्थ हो जाते हैं जिस किसी चौराहे पर अलाव जलता है वहाँ भीड़ बहुत शीघ्र एकत्र हो जाती है।

      आज तो दिनभर इतनी ठंड रही कि लोगों ने दिनभर अलाव जलाकर रखे। तभी वह दुकानों पर डटे रहे, कुछ अन्य ने हीटर से राहत ली।

      ठंड के कारण बाजार की ग्राहकी पर भी असर पड़ रहा है। गर्म कपड़ों की दुकानों पर जबर्दस्त भीड़ है गर्म कपड़े खरीदने का मन छोड़ चुके लोग अब पुन: इसी वर्ष नये गर्म कपड़े स्वेटर, जाकेट, दुपट्टे, दस्ताने आदि खरीद रहे हैं। जबकि बाजार में चहल-पहल भी कुछ कम हो गई है। दिन में भरी दोपहर में ही लोग बाजार में आते हैं और शाम सूर्यास्त के बाद से ही बाजार सुनसान होना शुरु हो जाते हैं।

      ठंड ने सबसे अधिक विपरीत प्रभाव नन्हे विद्यार्थियों पर जमाना शुरु किया है। मध्य प्रदेश शासन हर वर्ष ठंड की अधिकता के दौरान विद्यार्थियों के लिये कुछ राहत की बाते करता है, लेकिन इस वर्ष स्थानीय शिक्षा विभाग के कारण नगर के अशासकिय विद्यालयों में नन्हे विद्यार्थियों का विद्यालय समय सुबह से ही रखा हुआ है। इन विद्यालयों में सुबह 7 बजे से बच्चों को पहुँचने के लिये सुबह 5.30 बजे से उठना पड़ता है। जिस समय चारों तरफ ओस ही ओस होती है, ठंडी हवाएं चल रही होती हैं, उस समय इन बच्चों को उठकर नहा-धोकर विद्यालय पढ़ने के लिये जाना पड़ता है। जो तांगा और आटो में जाते हैं उन्हे तो ठंडी हवा खानी ही पड़ती है लेकिन जिनके माता-पिता उन्हे अपने दो पहिया वाहन पर छोड़कर आते हैं वह भी ठंड में बुरी तरह अकड़ जाते हैं।

      ऐसी विषम स्थिति के होते हुए भी न तो ठंड के मद्देनजर स्थानीय जिला प्रशासन ने सुबह के बच्चों के लिये कुछ दिनों की छुट्टी की विशेष घोषणा की है और ना ही विद्यालयों के समय में परिवर्तन के आदेश दिये गये हैं। इस अव्यवस्था के कारण कई विद्यार्थियों को मजबूरन विद्यालय जाने और ठंड से जूझने के कारण बीमारी का सामना भी करना पड़ रहा है। पूर्व में जिला कलेक्टर के आदेश विद्यालयों का समय 8 बजे किया गया है तथा अधिक ठंड पढ़ने पर स्थानीय अवकाश की घोषणा भी पूर्ववर्ती कलेक्टर कर चुके हैं।

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