Thursday, January 15, 2009

व्यवस्थापन अवकाश के लिये स्वीकृति दें...

1998 से प्रारंभ फुरसत आज ग्यारहवें वर्ष में जब प्रवेश कर चुका है तब इस लम्बे सफर में भी निरन्तर आपके प्यार-दुलार में इसके प्रति कोई कमी नहीं आई है, बल्कि वह और बढ़ गया है। शुरुआत के समय से आज एक सदी बदल गई, समाचार-पत्र जगत में आमूल-चूल परिवर्तन आ गये, हर अखबार के स्थानीय कार्यालय खुल गये, आज समाचारों की कमी नहीं रही फिर भी इस नन्हे से अखबार के प्रति आपका स्नेह निरन्तर एक समान ही बना रहा।

      इस दौरान हमनें वह सारे प्रयास किये जिससे फुरसत को और सुधारा जा सके....उसके समाचारों की रोचकता बनाई जा सके, अधिक पठनीय बनाया जा सके....साथ ही अधिक से अधिक समाचार आप तक पहुँचाये जा सकें.... लेकिन हम स्वयं को कभी संतुष्ट नहीं कर पाये हैं... ऊपर से मंहगी छपाई की मार ने, विज्ञापनों की कमी ने, व्यवस्थाओं के अभाव ने इसके सुधार में रोड़े अटकायें हैं।

      आपको मालूम होगा कि आपका फुरसत मध्य प्रदेश शासन के विज्ञापनों के लिये अधिकृत नहीं है.... क्योंकि उसके लिये जितनी खानापूर्ति आड़े आ रही है... वह फुरसत जैसा छोटा अखबार के लिये मुश्किल है...फिर भी हमारा फुरसत पाठक परिवार पूरे भारत देश का एकमात्र ऐसा अखबार निकाल रहा है जो पिछले 10 साल से निरन्तर बिना किसी शासकिय विज्ञापन के सहारे स्वयं के दम-खम पर चल रहा है...इसके निरन्तर चलते रहने पर कई बड़े अखबारों के प्रबंधन भी आश्चर्य करते हैं,  लेकिन यह संभव है तो सिर्फ आपके स्नेह और प्यार के दम पर।

      क्योंकि फुरसत जब कभी घाटे में होता है तो फिर आप-हम मिलकर कुछ विज्ञापनों के सहारे इसकी घाटापूर्ति हमेशा कर लिया करते हैं।

      फुरसत के निरन्तर प्रकाशन के कारण कुछ व्यवस्थाएं जो इसके लिये आवश्यक है उन्हे हम पूर्ण नहीं कर पाते...तथैव आज ऐसी आवश्यकता आन पड़ी है कि हमें उन व्यवस्थाओं को संभालने और दुरुस्त करने के लिये, फुरसत के ही विकास के लिये कुछ दिनों का अवकाश लेना पड़ रहा है। यह अवकाश अल्प समय का ही रहेगा। 

      शीघ्र ही आपका फुरसत फिर एक नई उर्जा, संकल्प के साथ संभावित परिवर्तनों के साथ फिर आपके हाथ में होगा.... इस दौरान हम प्रयास करेंगे की हर महत्वपूर्ण खबर फुरसत की बेवसाईट पर प्रकाशित करते रहें, किन्ही महत्वपूर्ण विषयों पर आप बेवसाईट पर भी समाचार, विशेष सम्पादकीय व टिप्पणी इस दौरान पढ़  सकें ऐसा प्रयास रहेगा।

      पाठकवृंद कृपया फुरसत प्रबंधन को अवकाश देने की कृपा  करें...।
 आनन्द भैया गाँधी.
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