Tuesday, November 11, 2008

होटल रंजीत का नहीं रिसोर्ट का

               सीहोर 10 नवम्बर (नि.सं.)। एक बार फिर खाने-पीने के दिन आ गये हैं....अरे नहीं भाई शादियों के कारण नहीं बल्कि चुनावों के कारण। चुनाव जो आ गये हैं तो बड़े-बड़े लोग, नेताओं के खाने-पीने के दिन भी आ गये हैं। पाँच साल में एक बार चुनाव आते हैं तब यह नेता कुछ ऐसा खाना-पीना शुरु कर देते हैं कि इन्हे देख-देखकर लोग हतप्रभ रह जाते हैं। विशेषकर यह आदत कांग्रेस के गद्दीदार नेताओं में यादा देखने में आती है।

      पिछले ही चुनाव में एक गद्दीदार नेता जब शाम तक अपना गणित बना-बनाकर थक जाते थे तो फिर उन्हे अचानक भोपाल के प्रसिध्द होटल रंजीत की याद आती थी...धीरे-से वह प्रत्याशी की तरफ से खर्च कर रहे व्यक्ति से कहते थे, यार आज बहुत काम हो गया...एक काम करो, भोपाल होटल रंजीत से आज भोजन मंगाओ...वहाँ से डिब्बे मंगा लो यहीं बैठकर भोजन कर लेंगे अभी और भी काम करना है....। इस प्रकार पिछले चुनाव में सुरेन्द्र सिंह ठाकुर को कई ऐसे नेताओं को होटल रंजीत से लेकर अनेक प्रसिध्द स्थानों का भोजन कराना पड़ा था।

      इस बार भी ऐसे कई नेता कांग्रेस के चुनाव प्रचार में जुट गये हैं जो खाने-पीने के शौकीन है। सुबह नास्ते के समय से लेकर रात के भोजन तक की व्यवस्था वह कांग्रेस प्रत्याशी की और से ही हो जाये ऐसी अपेक्षा रख रहे हैं। लेकिन इस बार मामला कुछ गड़बड़ हो गया है। असल में कांग्रेस प्रत्याशी की खुद प्रदेश की जानी पहचानी होटल है और ऐसे में यदि इन कांग्रेस नेताओं को किसी विशेष होटल के भोजन की इच्छा हो भी रही है तो उसके लिये उन्हे होटल रिसोर्ट से लेकर वाटर पार्क की थाली तक की व्यवस्थाएं करवा दी गई हैं। इसलिये इस बार भोपाल का जायका इन नेताओं को कम ही नसीब होगा।