Friday, October 31, 2008

आज फुरसत के ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश करने पर आप सभी को बधाई

व्यावसायिक पत्रकारिता के इस दौर में जहाँ हर खबर रुपये पर तौलकर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने की रीति-नीति बन चुकी है, समस्याओं से परे भ्रष्ट जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को संरक्षण देती पत्रकारिता, सामाजिक सरोकारों से दूर, संस्कृति से परे, नगर या राष्ट्र हित को तिलांजली देकर स्वहित के लिये हो रही पत्रकारिता के इस विषम दौर में जहाँ हर तरफ नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया जा रहा है, जहाँ हर तरफ भ्रष्ट अधिकारियों को सहयोग दिया जा रहा है, राजनीतिज्ञों से मिलने वाले विज्ञापनों की आस में उन्हे मक्खन लगाया जा रहा है, अपने पाठकों का गलत लाभ उठाकर मतदान के पूर्व झूठी बिकी हुई खबरें प्रकाशित करने का चलन शुरु हो चुका है....ऐसी विषमतम स्थितियों में भी विगत 10 वर्ष से आपका फुरसत निरन्तर इन समस्त झंझावातों बुराईयों से मुक्त यदि निकल रहा है तो निश्चित ही आप सबके सहयोग, आपके प्यार की ताकत के दम पर निकल रहा है। ्र

      सीहोर जैसे छोटे-से और विषम आर्थिक स्थिति वाले शहर में जहाँ रोजगार-धंधे की कमी है, ऐसे शहर में भी फुरसत जैसे किसी अखबार को हम सबने मिलकर दस वर्ष तक निरन्तर प्रकाशित किया, समय-समय पर इसे सहयोग दिया और आगे बढ़ाया यह हम सबकी फुरसत परिवार के आप सभी पाठकों की उपलब्धि है। जहाँ कई अखबार आये और आर्थिक विषमताओं की धूप में निस्तेज हो गये...वहीं आपके प्यार और दुलार के कारण फुरसत निरन्तर प्रखरता के साथ, अपनी दमदारी के साथ, हम सबके सामने हम सबकी ताकत के रुप में खड़ा रहा।

      दसवें वर्ष में फुरसत ने अपना अंतराष्ट्रीय संस्करण निकालते हुए सुदूर क्षेत्रों में, पूरे देश भर में और विदेशों तक में नाम रोशन कर रहे सीहोर के रहवासियों, नागरिकों और जुड़े लोगों तक सीहोर की बात पहुँचाना शुरु किया। आज हमारा फुरसत इंटरनेट पर भी निरन्तर पढ़ा जाने लगा है और विदेशों तक में जो सीहोर के लोग हैं वह सीधे इंटरनेट पर फुरसत पढ़कर सीहोर की ताजा खबरों के माध्यम से सीहोर से जुड़ जाते हैं। इस प्रकार फुरसत ने सीहोर छोड़ गये उन लोगों को वापस सामाजिक रुप से जोड़ने, सीहोर से लगाव बनाने का प्रयास किया है। फुरसत उत्सव के माध्यम से संस्कृति और परम्पराओं के प्रति जाग्रति लाने के छोटे-से प्रयास में भी फुरसत के सोमवारीय उत्सव अंक ने अपना गरिमापूर्ण स्थान पाठकों के बीच विशेषकर महिला पाठकों में बनाया है।

      आज के युग में जब हर एक समाचार बिक रहा हो....जब हर एक समाचार को प्रोजेक्ट किया जा रहा हो....जब हर एक समाचार को तूल देकर नये-नये आयाम से और कई बार उसके मूल स्वरुप को बिगाड़कर उसे स्वयं के फायदे के अनुरुप रंग दिया जा रहा हो.....जब हर एक तरफ समाचारों की बोलियाँ लग रही हों....समाजवादी व राष्ट्रवादी विचारों से दूर पूंजीवादी लोग इस क्षेत्र में अपना कब्जा जमा रहे हों.....समाचार बेचने की वस्तु बन गया हो.....समाचार कमाई का साधन बन गया हो....बौद्धिक विचारक  और लेखक पूंजीवादी लोगों के हाथों की कठपुतली बनकर उनकी मानसिकता के अनुरुप लेख-टिप्पणी लिखकर जनता को भ्रमित करने में लगे हों....शासन-प्रशासन-सरकार-पुलिस से लेकर आम आदमी तक समाचारों को बिका हुआ मान रहे हों....अपराधी और पुलिस, लालफीताशाही फैलाने वाले अधिकारी और जनता के चुने नेता आपस में सांठ-गांठ कर अपनी-अपनी सोच रहे हों और जनता के पक्ष में लिखने वाले समाचार-पत्रों का उन पर कोई असर नहीं हो रहा हो....बल्कि पत्रकारिता भी बहुत बड़े स्तर पर सिर्फ इसलिये की जाने लगी हो ताकि उस पत्रकार के संबंध बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारियों से हो जायें....और आराम से अपने पक्ष में समाचार लिखवाते रहे....तो फिर ऐसी अनेक विषम स्थितियों के बावजूद निरन्तर दस वर्षों फुरसत का निकलते रहना, जहाँ फुरसत परिवार के लिये सुखद है वहीं एक बारगी यह विचार भी आता है कि क्या फुरसत जैसा छोटा-सा अखबार इन बुराईयों पर अंकुश लगा सकता है? क्या आज फुरसत का निकलते रहना प्रांसगिक है ?

      निरन्तर प्रकाशन के साथ आज फुरसत दस वर्ष का हो गया है और ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। हम आशा करते हैं कि फुरसत अपने ग्यारहवे वर्ष में प्रवेश के साथ ही अब और भी नई ऊँचाईयों को छुऐगा। अपनी कमियों को दूर करते हुए नये कदम बढ़ायेगा। यह वर्ष फुरसत के  लिये मंगलदायक सिद्ध होगा।

      जहाँ अच्छे कार्यों को समाज सराहता है, वहीं समाज विरोधी तत्वों को इससे परेशानी भी होती है। फुरसत के साथ भी ऐसे क्षण समय-समय पर आते रहते हैं जब कहीं समाज विरोधी गतिविधियों को प्रमुखता से उठाते हुए, उससे समाज को हो रही हानियों को प्रकाशित करते फुरसत अपनी पूरी ताकत के साथ उस कार्य का विरोध करता है, सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करता है तो समाज विरोधी तत्व विचलित हो उठते हैं...लेकिन फुरसत पाठक वृंद अर्थात आपकी संयुक्त ताकत के आगे उन्हे अंतत: झुकना ही पड़ता है। किसी अखबार की ताकत उसका पाठक वर्ग ही होता है। फुरसत के पाठकों की संख्या भी गरिमापूर्ण है। हम सभी को इसे और भी अधिक हाथों में पहुँचाकर एक संयुक्त शक्ति का निर्माण करना चाहिये जिससे एक सात्विक ताकत हमारी संस्कृति की रक्षा के लिये सदैव पूरी तत्परता और मजबूती के साथ खड़ी रह सके। विज्ञापनदाताओं के निरन्तर सहयोग के चलते फुरसत की आर्थिक स्थिति अनुकू ल बनी रहती है। आज जब बड़े-बड़े अखबार सम्पूर्ण रंगीन पृष्‍ठों के साथ बहुत सस्ते मूल्य पर बिक रहे हैं ऐसे में छोटा-सा श्वेत-श्याम फुरसत आज भी आपकी पसंद बना हुआ है निश्चित ही यह सात्विक प्रयास की सात्विक शक्ति का ही परिणाम है।

      31 अक्टूबर 1998 से लेकर फुरसत के निरन्तर प्रकाशन को आज दस वर्ष पूर्ण हो गये हैं हम नये वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।  परम पूज्यनीय संस्थापक स्व.श्री ऋषभ जी गाँधी का पुण्य स्मरण भी हम करते हुए उनके द्वारा रखी हुई ठोस नींव जो आज भी अडिग है उसे नमन करते हैं। संस्थापक जी के वेबाक विशेषण और निष्पक्ष समाचारों से फुरसत की लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती चली गई थी उनकी उपस्थिति, उनकी लेखनी ने ही फुरसत को एक मजबूत आधार दिया है।

      फुरसत को आठ वर्ष पूर्ण होने पर हमारी आर्थिक शक्ति विज्ञापन-दाताओं, हमारी ताकत वृहद फुरसत परिवार व पाठक वृंद, हमारे आशीर्वादाता, मार्गदर्शक, हमारी सफलता में सहयोगी, लेखक, संवाददाता सभी को इस अवसर पर कोटश: बधाई। दीपावली हम सभी के लिये मंगलदायक हो इन्ही शुभकामनाओं के साथ....।

आपका

आनन्द ऋषभ गाँधी

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