Friday, October 31, 2008

धार्मिक स्थलों का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल नहीं, निजी जीवन पर आक्षेप भी नहीं लगाये जा सकेंगे

सीहोर 30 अक्टूबर (नि.सं.)। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डी.पी. आहूजा ने कहा है कि आदर्श आचरण संहिता पर अमल को लेकर भारत निर्वाचन आयोग का रूख सख्त है। चुनाव के दौरान जातिगत, धार्मिक या भाषायी तौर पर मतभेद पैदा करने और नफरत या तनाव  फैलाने वाले भाषण से बचने की समझाइश दी गई है। धार्मिक स्थानों को चुनावी प्रचार का मंच बनाने की मनाही की गई है। निर्वाचन विधि के तहत आयोग ने मतदाता को रिश्वत या किसी अन्य तरीके से लालच देने को भी भ्रष्ट आचरण और अपराध माना है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस बारे में निर्देशों का खुलासा किया है।

      राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों से कहा गया है कि वे ऐसा कोई काम न करें जो विभिन्न समुदायों के बीच मतभेदों को बढ़ावा देता हो। अन्य दलों की आलोचना करते वक्त इसे दल विशेष की नीति, कार्यम, पुराने तौर-तरीकों और काम तक ही सीमित रखा जाएगा। ऐसे मौके पर सामने वाले के व्यक्तिगत जीवन के उन पहलुओं की आलोचना नहीं की जा सकेगी जिसका संबंध उसके निजी जीवन से होगा। ऐसे आरोप नहीं लगाए जाएंगे जिनकी सच्‍चाई प्रमाणित न हुई हो।

      इसी तरह मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर आदि अन्य पूजा स्थल चुनाव प्रचार के मंच नहीं बनाए जाएंगे।

      राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को यह सलाह भी दी गई है कि वे निर्वाचन विधि के तहत भ्रष्ट आचरण और अपराध माने गए कार्यो से ईमानदारी से बचें।

      इनमें मतदाता को रिश्वत देना और डराना-धमकाना, मतदाता का प्रतिरूपण, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के दायरे में वोट मांगना, मतदान समाप्ति के तयशुदा वक्त में खत्म होने वाले 48 घंटों में आम सभाएं करना और मतदाताओं को किसी सवारी से मतदान केन्द्रों तक लाना और वापस ले जाना शामिल है। इसी तरह चुनाव प्रचार के झण्डे, बैनर, नारों आदि के लिए बगैर संबंधित व्यक्ति की इजाजत के उसकी  जमीन, भवन, अहाते और दीवार का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा।

      राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों से कहा गया है कि उनके समर्थक अन्य दलों की सभा और जुलूस में खलल न करें। दूसरे दल की सभाओं में लिखित प्रश्न पूछ कर या अपने पर्चे बॉट कर गड़बड़ी नहीं की जाए।

      अपने जुलूस उन जगहों से न गुजारें जहां दूसरे दल की सभा चल रही हो। एक-दूसरे के पोस्टरों को न हटाएं।

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