आष्टा 19 अक्टूबर (नि.सं.)। 15 अक्टूबर बुधवार को आष्टा नगर के त्रिपोलिया क्षेत्र में रहने वाले बालकिशन मेवाड़ा के परिवार के सदस्यों द्वारा रात्री में खाई गई रोटी बीमारी का कारण बन गई तथा इस बीमारी के बाद उनके एक पुत्र इंदर मेवाड़ा की 3 दिन बाद भोपाल के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। इस संबंध में आज मृतक के पिता बाल किशन मेवाड़ा एवं कल्लु मेवाड़ा ने फुरसत प्रतिनिधि को बताया कि बुधवार की शाम को इन्दर ने मण्डी के बाहर जो कि किसानाें का फुटकर गल्ला खरीदता था कुछ दिनो पूर्व 15 किलो किसी किसान का गेहूं खरीदा था ।
उक्त गेहूं घर लेकर आया था बुधवार को अचानक आटा खत्म होने पर जल्दी के चक्कर में लाये गये गेहूं में से 5-6 किलो गेहूं पिसवाकर परिवार की महिलाओं ने रोटी बनवाई।
जिसे इन्दर मेवाड़ा, छोटा मेवाड़ा, राहुल मेवाड़ा, प्रकाश (भूरी) मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा तथा बहन के लड़के अभिषेक आदि ने उक्त आटे की रोटियां खाई। रोटी खाते ही इन्दर और छोटू को उल्टियाँ होना चालू हो गई। जिन्हे तत्काल सिविल अस्पताल आष्टा ले जाया गया यहाँ से इन्हे सीहोर और सीहोर से बाद में भोपाल भेज दिया गया। परिवार के सदस्यों ने उच्च इलाज की मंशा के अनुरुप इन्हे भोपाल के एक प्रायवेट पालीवाल नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। यहाँ पर इन्दर सिंह मेवाड़ा उम्र 18 वर्ष की मृत्यु हो गई। बाद में इसका पीएम भी हमीदिया में हुआ। इसका अंतिम संस्कार आष्टा में किया गया। जिस रोटी खाने में अन्य लोग भी जिन्हे चक्कर व उल्टी आ रही थी उन्हे भी आष्टा के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था उन सभी के स्वास्थ्य ठीक हैं तथा वह सब घर आ गये हैं। परिवार सदस्य बताते हैं कि इन्दर ने जो गेहूं खरीदा था उसमें कोई दवा मिली थी। इसका आभास इस बात से हुआ की घटना के बाद जब उक्त गहूं को धोया गया तो उसमें किसी प्रकार की दवा की बदबू आई।
परिवार के लोगों ने बताया कि घटना के बाद उक्त गेहूं जो बचा था उसे जमीन में गाढ़ा गया गाढ़ते वक्त कुछ दाने जमीन पर गिरने से जब इन्हे चिड़िया ने चुगा तो एक चिड़िया की भी मृत्यु हो गई। उक्त दर्दनाक घटना के बाद पूरा परिवार तथा जहाँ यह रहने हैं पूरा क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है।