सीहोर। कांग्रेस से उम्मीद्वारी जता रहे कुछ कांग्रेसी नेताओं के पक्ष में और कुछ को रास्ते से हटाने अथवा मामला स्पष्ट कर देने की रणनीति के तहत संभवत: आज बैठक बुलाई गई थी। जिसमें बहुत ही कुटनीतिक अंदाज में अपनी बात सबसे कहलवाने का प्रयास किया जा रहा था। जफरलाल का यह पहला कांग्रेसी नेताओं को मिला आमंत्रण था जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता पहुँच भी गये।
इधर जिन कांग्रेस नेताओं की उम्मीद्वार दिल्ली में यादा प्रभावी है उनके सीहोर समर्थक भी और लगभग कांग्रेस के हर वजनदार नेता के समर्थकों को भी जब इस बैठक की सूचना मिली तो वह आवश्यक रुप से यहाँ उपस्थित हो गये। जब हर पक्ष के लोग उपस्थित हुए तो निश्चित ही किसी ने किसी का भी नाम नहीं लिया और खुलकर नाम लेकर विरोध भी यहाँ नहीं हो सका।
कुल मिलाकर घुमा-फिराकर बातचीत होती रही और एक-दूसरे का सब मुँह भी देखते रहे। इशारे-बाजी और आंख दिखाई भी यहाँ आपस में कुछ पार्षदों की चलती रही। जफरलाल के आमंत्रण पर पूरे अल्पसंख्यक पार्षदों की उपस्थिति नहीं होना ही यहाँ चर्चा का विषय बन गई। कुल मिलाकर बैठक क्यों रखी थी यह तो एक राज है पर उसका निष्कर्ष कुछ खास नहींनिकला...? यह बात जरुर चर्चाओं में है।