सीहोर 11 अक्टूबर (आनन्द भैया)। कांग्रेस में प्रत्याशी को लेकर की जा रही जद्दोजहद में आखिर कौन-से उम्मीद्वार को कांग्रेस प्रत्याशी बनायेगी.....यह प्रश्न सीहोर के राजनैतिक गलियारों का सबसे यक्ष प्रश् बना हुआ है। सबके अपने-अपने तर्क हैं...अपने-अपने स्त्रोत हैं....अपनी-अपनी बातें हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार कांग्रेस से पूर्व दमदार प्रत्याशी रहे सुरेन्द्र सिंह ठाकुर की चर्चाएं और उनके पक्ष में वातावरण नजर आ रहा है उससे लगता है कहीं न कहीं श्री ठाकुर की तरफ झुकाव कांग्रेस में अधिक है। पिछले दिनों जिस प्रकार कांग्रेस ने अपने कुछ नियमों में परिवर्तन कर लिया है और इधर सुरेन्द्र ठाकुर के निवास पर सीहोर के कांग्रेसियों की आवाजाही बहुत तेजी से बढ़ गई है उससे लगता है कि श्री ठाकुर एक बार फिर कांग्रेस से प्रत्याशी बनाये जा सकते हैं। हालांकि यह भी सही है कि श्री ठाकुर कांग्रेस से अभी तक टिकिट मांग नहीं रहे हैं।
इस सप्ताह भर से जिस प्रकार से कांग्रेस के समीकरण बदल रहे हैं उससे लगता है कि निश्चित ही कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन को लेकर अंदर ही अंदर घमासान मचा हुआ है। अभी तक सुरेश पचौरी द्वारा राकेश राय व परिवार को लेकर जिस प्रकार तरफदारी की जा रही थी यदि उसमें थोड़ी बहुत भी दमदारी होती तो निश्चित रुप से अभी तक टिकिट तय हो जाना चाहिये था।
सीहोर के राजनैतिक गलियारों में यही चर्चा है कि नगर पालिका में राकेश राय ने जिस प्रकार कार्य संभाला और जो नगर की दयनीय स्थिति बना दी गई है उससे उनकी छवि पर विपरीत असर पड़ा है। राकेश राय की लोकप्रियता बढ़ने जैसी स्थिति भी सामने नहीं आ रही है। कांग्रेस के घाघ प्रादेशिक नेतागण यह भी बखूवी समझ रहे हैं कि राकेश राय की जीत के पीछे कहीं ना कहीं उनके छोटे भाई अखिलेश राय के लोकप्रिय व्यक्तित्व का भी हाथ था। ऐसे में इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि क्या राकेश राय को एक बार फिर जनता पचा पायेगी ? क्या उन्हे पसंद करेगी ? क्या उन्हे वोट मिल पायेंगे ? और क्या एक कांग्रेस की नगर पालिका सीट होते हुए उसी प्रत्याशी को दूसरे चुनाव में झोंकना उचित होगा ? इन सब बातों को लेकर भी कांग्रेस में मंथन-चिंतन चल रहा है।
कांग्रेस के सुविज्ञ स्त्रोतों की मानी जाये तो पहले ही दिन से सुरेश पचौरी बजाय राकेश राय को कांग्रेस से विधानसभा का प्रत्याशी बनाया जाये इसके वनिस्पत वह उनके छोटे भाई स्वदेश राय जो कि स्थानीय राय समाज के अध्यक्ष भी हैं उन्हे प्रत्याशी बनाने के यादा पक्ष में थे। हालांकि यह बात अभी तक दबी जुबान में ही कही जा रही है लेकिन स्वदेश राय के समर्थकों में प्रारंभ के दिनों से ही इसको लेकर उत्साह नजर आ रहा है।
इधर कुछ दिनों पूर्व स्वदेश राय के दिल्ली जाने, सुरेश पचौरी के निकट रहने के साथ ही साथ हवाई यात्राओं के दौरे में भी श्री पचौरी के साथ बने रहने की खबरों ने इन बातों को और बल दे दिया है कि कहीं ना कहीं राय परिवार में से राकेश राय की घटती लोकप्रियता को समझते हुए श्री पचौरी, स्वदेश राय को अपना प्रत्याशी बनाने के यादा पक्ष में हैं।
लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार कांग्रेस के बाहरी उम्मीद्वार सुरेन्द्र सिंह ने आते ही चुनावी शंखनाद किया था और अल्प समय में अपने चुनावी अनुभवों का उपयोग करते हुए कांग्रेस में एक नई जान फूंक दी थी उसके चलते कांग्रेस का आम कार्यकर्ता यही चाहता है कि एक बार फिर कांग्रेस से सुरेन्द्र सिंह ठाकुर को उम्मीद्वार बनाया जाये।
लेकिन चुनाव हारने के बाद से ही सुरेन्द्र सिंह ठाकुर का सीहोर से पलायन कर देना और उसके बाद मुँह दिखाई रस्म भी अदा नहीं करने से उनके पक्ष में अभी तक एक बड़ा धड़ा सामने नहीं आया है। जबकि उनका बाहरी होना भी एक महत्वपूर्ण बात है। हालांकि अभी तक सीहोर की कांग्रेस ने ऐसा कोई मुद्दा या बात नहीं की है जिसमें किसी बाहरी प्रत्याशी को टिकिट दिये जाने पर विरोध के स्वर मुखर होने की बात हो।
इसलिये भी सुरेन्द्र सिंह को लेकर स्थानीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में कहीं ना कहीं उत्सुकता बनी हुई लगती है।
असल में कांग्रेस में एक नियम है कि जिसके चलते जो प्रत्याशी कांग्रेस से 3 बार हार चुका हो उसे पुन: कांग्रेस प्रत्याशी नहीं बनाती है ? और इसी नियम के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी सुरेन्द्र सिंह का टिकिट स्पष्ट रुप से कांग्रेस ने काट रखा था। लेकिन पिछले दिनों जिस प्रकार कांग्रेस की प्रादेशिक राजनीति में भूचाल आया और दिल्ली तक में प्रादेशिक कांग्रेसी नेताओं ने हो-हल्ला मचाया उसके चलते कांग्रेस ने इस नियम को अचानक परिवर्तित कर दिया है।
सुविज्ञ जानकारों के अनुसार कांग्रेस नेत्री जमना देवी दिल्ली में इस बात पर अड़ गई थीं कि चाहे कुछ भी हो लेकिन माणक अग्रवाल को टिकिट मिलना ही चाहिये। भोपाल के कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल चूंकि 3 बार हार चुके हैं इसलिये कांग्रेस इन्हे टिकिट नहीं दे रही थी। जमना देवी को दिल्ली में काफी समझाया गया लेकिन जमना देवी टस से मस नहीं हुई और अड़ी रहीं। इस प्रकार के क्राइट एरिये में प्रदेश भर से करीब 6 ऐसे नाम थे जो 3 बार हार चुके हैं लेकिन उन्हे टिकिट दिया जाना लाजमी लग रहा था। इनमें एक नाम माणक अग्रवाल के अलावा, श्रीनिवास तिवारी जैसे कद्दावर नेता का भी था वहीं सुरेन्द्र सिंह ठाकुर का नाम भी शामिल था। अंतत: जमना देवी की बात मानते हुए इस चुनाव में कांग्रेस ने 3 बार हारने वाला नियम शिथिल कर दिया है। जैसे ही यह नियम शिथिल हुआ और माणक अग्रवाल का टिकिट तय हुआ उसी दिन से सुरेन्द्र सिंह ठाकुर समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। सूत्रों का यह भी कहना है कि श्री ठाकुर की भी जमना देवी निवास पर काफी लम्बी बातचीत पिछले दिनों हुई थी।
सीहोर से आज तक किसी कांग्रेस प्रत्याशी को जिन क्षेत्रों से और जिस प्रकार के मत नहीं मिले थे उन क्षेत्रों से भी पूरी विपरीत लहर के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह ठाकुर ने पिछले चुनाव में 40 हजार मत प्राप्त करके एक बारगी भाजपा प्रत्याशी रमेश सक्सेना को भी सोचने पर मजबूर कर दिया था। उस समय भाजपा प्रत्याशी श्री सक्सेना ने कई बार सार्वजनिक रुप से कहा था कि हम 5 साल तक अपने क्षेत्र में लगातार जीवंत सम्पर्क बनाकर रखते हैं और एक बाहरी प्रत्याशी मात्र 2-3 महिने में आकर इतने अधिक मतदान ले जाता है तो हमें भी अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना होगा। असल में सुरेन्द्र सिंह ठाकुर एक बाहरी प्रत्याशी के रुप में कांग्रेस से लड़े थे लेकिन विपरीत लहर में भी उन्होने ऐसा वातावरण बना दिया था कि दमदार भाजपा प्रत्याशी श्री सक्सेना को काफी दौड-भाग करवा दी थी और चुनाव काफी गहमा-गहमी भरा हो गया था।
इधर जब से कांग्रेस के नियम शिथिल हुए हैं तब से ही सीहोर के कांग्रेस के हर एक नेता और बड़ी संख्या में कांग्रेसी पार्षदों की टोलियाँ भोपाल में सुरेन्द्र सिंह ठाकुर के बंगले में हर दिन पहुँच रही हैं। कल तक राकेश राय के आगे-पीछे रहने वाले पार्षदों ने जहाँ पिछले दिनाें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से श्री राय का विरोध कर दिया था वहीं अब यह पार्षद सुरेन्द्र ठाकुर के निवास पर लगातार पहुँचकर अपना समर्थन दे रहे हैं। इनके अलावा अनेक कांग्रेस नेता दिन में, तो कुछ रात में भोपाल जाकर श्री ठाकुर को यह विश्वास दिलाने में लगे हैं कि यदि वह टिकिट ले आते हैं तो उनका पूरा काम वह करेंगे।
74 बंगले स्थित श्री ठाकु र निवास पर सीहोर के कांग्रेसियों की अचानक भीड़ का लगना शुरु हो जाना.... राकेश राय के आसपास रहने वाले लोगों का गायब हो जाना....स्वदेश राय का प्लेन से जाना और फिर वापस आ जाना.....कांग्रेसी नेताओं का मौन रहना....बहुत कु छ संकेत दे रहे हैं।
तो फिर ऐसा लगता है कि अक्षत कासट जिनका नाम बहुत तेजी से चल रहा है उनके सहित अब सुरेन्द्र सिंह ठाकुर और इसके बाद स्वदेश राय का नाम भी चर्चाओं में शामिल है। सभी को विश्वास है कि यदि ठाकुर को टिकिट मिला तो सीहोर में एक बार फिर जबर्दस्त चुनावी भिडण्त देखने को मिलेगी।