Sunday, October 12, 2008

प्रत्याशी घोषणा में विलंब से मची खलबली, प्रत्याशी एक भी दल ने घोषित नहीं किए

आष्टा 11 अक्टूबर (नि.प्र.) अधिसूचना व प्रत्याशी की घोषणा में विलंब कार्यकर्ताओं में बैचेनी पैदा कर रहा है। आष्टा विधान सभा सीट के लिए सभी दल प्रत्याशियों की भीड़ के कारण अभी तक घोषणा नहीं होने से परेशान है। बगावत इस बार भी होने की संभावना है। भारतीय जनशक्ति पार्टी की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है उनकी ओर से चुन्नीलाल मालवीय सरपंच सिद्दीकगंज मैदान में होंगे। बार-बार रायशुमारी के बाद भी अभी तक कोई दल निर्णय नहीं कर पा रहा है। संभावना है कि दशहरा के बाद ही अब कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी का फैसला हो जाएगा। कांग्रेस के आला नेताओं में श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा सभी नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों को बैरंग लौटा दिया है। कांग्रेस में दावेदारों की काफी भरमार है, यहां कांग्रेस का भविष्य जहां उखाड़-पछाड़ से घिरा हुआ है, वहीं सीटे हथियाने पर भी काले बादल दिखाई देने लगे है, अब जबकि अन्य लोग टिकट के लिए जूझने में लगे हैं, वही भाजपा के रंजीतसिंह गुणवान और कांग्रेस के अजीतसिंह गांवों में अपने अभियान पर है। बल्कि इनके आमद के साथ ही लुंज-पुंज पड़ी बसपा व प्रजातांत्रिक पार्टी में भी जान आ चुकी है।

प्रलोभनों की बाढ़ फिर से चेहरोेंें का अभाव यद्धपि भाजपा द्वारा प्रलोभन की बाढ़ लाने में कोताही नहीं की गई है, कहीं तहसील तो कहीं डेम। फिर भी चेहरों के अभाव में बुआई में किसानों को बिजली, डीजल,खाद की किल्लत परेशानी करने जैसा है। यह भी तय है कि जातीय संतुलन के लिए बलाई समाज वाले को टिकट में महत्व भाजपा नहीं दे पाई तो अंतरिम दंगलों को रोक पाना मुश्किल होगा। दलगत टिकट में मारा-मारी का नतीजा किसी के लिए बेहतर नहीं होगा, दोनो प्रमुख दल आपसी घमासान रोक पाने में असफल हुए है। व्यापक तौर पर क्षेत्रीय अनुपात का अध्ययन कहता है कि आष्टा में हरिजन बगावत पर है और इसका फायदा दूसरे उठाऐंगे। उधर व्यापक तौर पर क्षेत्रीय अनुपात का अध्ययन कहता है कि हरिजन बगावत पर है।

प्रमुख दलों को अलग-अलग रायशुमारी की जगह सीधे मतदाता से पूछना चाहिए, जिससे उनकी पसंद का संकेत मिल सके। इस चुनाव में प्रत्याशी दोष सबसे बड़ा कारण बनना है। घोषणा हो जाती तो विवाद तो उभरकर सामने आ जाते, जिसे एन वक्त पर सुधारा जाना संभव था, लेकिन स्थिति यह है कि यहां घोषणा न होने पर सभी दावेदार आश्वस्त है कि उनको टिकिट मिलना निश्चित है। अब जबकि किसी एक को ही टिकट मिलना हे तो बाकी लोगों को संभावना पार्टियों के लिए मुश्किल होगा। ऐसे में फायदा अन्य दलों को होगा।

ठान रखी है चुनाव लड़ने की

दावेदारों में से कई तो यह ठान चुके हे कि यदि टिकिट नहीं मिला तो भी चुनाव लड़ना है, फिर भले ही पार्टी कोई भी हो या बिना दल के सही।