Wednesday, October 8, 2008

700 सौ रुपये में बिक रही 1 के नोट की गड्डी, दिल्ली के व्यापारी बटोरने में लगा करोड़ों रुपये के नोट, बाजार 1,2 व 5 के नोट से हो रहा खाली

10 का सिक्का 500 और 100 का नोट 5000 रुपये में खरीदने को तैयार
सीहोर 8 अक्टूबर (आनन्द)। जी हाँ सनक है या व्यापार यह तो राम जाने लेकिन जिस प्रकार पिछले दिनों 1 रुपये के कलदार की बोरियाँ की बोरियाँ दिल्ली भराकर गई थीं अब उसी तर्ज पर 1 रुपये, 2 रुपये और 5 रुपये के फ्रेश नोट के लाखों रुपये दिल्ली की और रवाना हो रहे हैं। इस बार दाम कल्पना से भी अधिक 7 गुना है। 1 रुपये के फ्रेश नोट की गड्डी मतलब 100 को खरीदने वाले 7 गुना मूल्य देकर 700 रुपये में खरीद रहे हैं। युध्द स्तर पर हर एक दुकानदार के पास यह आफर आ चुका है और नोट दिल्ली जाना जारी है। भारतीय मुद्रा की यह कालाबाजारी आखिर किस उद्देश्य से की जा रही है यह समझ से परे है...। लेकिन इस तरफ किसी भी विभाग का ध्यान नहीं जा रहा है ना ही गुप्तचर पुलिस को इस संबंध में कोई सूचना है।
हर बार की तरह भारतीय मुद्रा के साथ हो रहे खिलवाड़ क ा क्रम अनवरत जारी है। यूं तो भारत नकली नोटों की भरमार से वैसे ही परेशान रहता है लेकिन अक्सर वर्षों वर्ष से भारतीय मुद्रा व सिक्कों को गलाने की गैर कानूनी विधा भी वर्षों से चली आ रही है। पूर्व वर्षों में जहाँ अन्य धातुओं के सिक्के गलाये जाते रहे, उसके बाद एल्युमिनियम के सिक्कों को भी नहीं छोड़ा गया था। और पिछले वर्ष तो तब हर हो गई थी जब 1 रुपये के पुराने सिक्कों को 10 पैसे अधिक के भाव में कुछ लोगों ने खरीदा कर कई बोरे कलदार एकत्र कर लिये और वह उसे दिल्ली जाकर गलाने के लिये बेच आये। इस प्रकार भारतीय मुद्रा के साथ खिलवाड़ होता ही रहा।
लेकिन इस बार जो मामला प्रकाश में आया है वह सबसे जुदा और अलग है। दिल्ली के ही एक व्यापारी द्वारा बहुत बड़े स्तर पर लाखों-करोड़ो रुपये के एक, दो व पाँच के नोट संग्रहित करने का क्रम जारी हो चुका है। दिल्ली के इस व्यापारी के दलाल सीहोर तक में बड़े दुकानदारों के पास पहुँच चुके हैं। यह दलाल 1 रुपये के फ्रेश नोट की गड्डी को जो मात्र 100 रुपये की होती है उसे 700 रुपये में खरीदने का आफर दे रहे हैं। इसके अलावा 2 रुपये के अच्छे नोट की गड्डी यह 600 रुपये में खरीदने की बात कह रहे हैं इतना ही नहीं 5 रुपये के फ्रेश नोट की गड्डी यह 150 रुपये अधिक मतलब 650 रुपये में खरीदने को तैयार हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कलदार जैसे पुराने जमाने में एक 10 रुपये का कलदार चला करता था उसको यह 500 रुपये में खरीदने को तैयार हैं। इतना ही नहीं एक 100 का नोट जो आजादी के शुरुआती दिनों में हरा रंग का चला करता था बड़े आकार वाला उसे यह लोग 5000 रुपये में खरीदने को तैयार हैं। इस प्रकार पुराने नोटों की आशा से बहुत अधिक दामों पर खरीदी का यह सिलसिला जारी है। लोग एक-दूसरे से नोट पूछ रहे हैं। कई गड्डियाँ जा चुकी हैं। आखिर इस प्रकार अत्याधिक दामों नोट क्यों खरीदे जा रहे हैं...? इनका क्या होगा....? क्या बाजार से 1, 2, 5 के नोट खत्म करने की योजना है ? या फिर कोई और बात ? यह बात अभी राज ही बनी हुई है। खरीदने वाले खुद को दलाल कहते हैं और खरीदने के कारण बताने से इंकार कर देते हैं। स्थानीय गुप्चर पुलिस और पुलिस विभाग को भी संभवत: इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।