Thursday, September 25, 2008

नवविवाहिता को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों को सात वर्ष की सजा व अर्थदण्ड

सीहोर 24 सितम्बर (नि.सं.)। सत्र न्यायाधीश ए.एच.एस. पटेल द्वारा थाना दोराहा के अपराध क्रमांक 2532007, के आधार पर बने सत्र प्रकरण क्रमांक 102008 में बहू हेमलता को दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित करने तथा आत्महत्या के लिए विवश करने के अपराध में धारा 306 भा.द.वि. के तहत पांच-पांच वर्ष का सश्रम कारावास तथा दो हजार रुपये प्रत्येक पर अर्थदण्ड एवं धारा 498 ए भा.द.वि. के तहत दो-दो वर्ष का कारावास एवं एक-एक हजार रुपये का अर्थदण्ड किया गया है।
लोक अभियोजक ओ.पी. मिश्रा के अनुसार थाना दोराहा में दिनांक 27.10.07 को दर्ज मर्ग क्रमांक 412007 में मृतिका हेमलता द्वारा फांसी लगाकर आत्म हत्या किये जाने की सूचना प्राप्त हुई थी। जांच में आरोपीगण के द्वारा कू्ररतापूर्ण व्यवहार को आत्महत्या की परीनीति माना गया। जिसके आधार पर अपराध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना पश्चात अभियोग पत्र अधीनस्थ न्यायालय में पेश किया गया जो विचारण हेतु सत्र न्यायालय को प्राप्त हुआ। पति अवधनारायण पुत्र घीसीलाल एवं सास कलाबाई पत्नी घीसीलाल निवासी ग्राम खजूरियाकलां के विरूद्ध विचारण प्रारंभ हुआ। अभियोजन की ओर से प्रकरण में 11 साक्षीगण के कथन करवाये गये बचाव पक्ष की ओर से दो गवाह के कथन करवाये गये। साक्ष्य में मृतिका हेमलता का विवाह पांच जुलाई 2006 को सामूहिक विवाह सम्मेलन लालघाटी भोपाल में होने का तथ्य तथा विवाह के पश्चात से लगातार आरोपीगण द्वारा किये गये कू्ररतापूर्ण व्यवहार से त्रस्त होकर हेमलता द्वारा आत्महत्या किया जाना प्रकट हुआ।
विद्वान सत्र न्यायाधीश महोदय ने दोनों पक्ष की बहस श्रवण कर अपने 15 पृष्ठीय निर्णय में आरोपीगण के कृत्य को सामाजिक अपराध निरूपित करते हुए उक्त दण्डादेश पारित किया। अर्थदण्ड की राशि जमा होने पर पांच हजार रुपये मृतिका के पिता को प्रतिकर स्वरूप दिलवाये जाने के आदेश भी प्रदान किये गये है।
दोनों आरोपीगण को दंडादेश भुगताये जाने हेतु जेल भेजा गया। अभियोजन की ओर से पैरवी ओ.पी. मिश्रा लोक अभियोजक द्वारा की गई।