सीहोर 4 जुलाई (नि.सं.)। द्विज जाती ब्राह्मणों के लिये आत्म शोधन का पुण्य पर्व श्रावण स्नान उपाकर्म जो प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। वह इस वर्ष भद्रा दोष संक्रांति दोष तथा चन्द्र ग्रहण का सूतक होने की वजह से नागपंचमी हस्त नक्षत्र युक्त पंचमी 6 अगस्त 2008 बुधवार प्रात: 8 से 10 बजे तक हनुमान फाटक स्थित इलाही माता घांट कस्बा पर मनाया जायेगा तथा दोपहर 10.30 बजे से 12 बजे तक सप्तऋषि पूजन, यज्ञोपवीत अभिमंत्रण धारण तथा देव व ब्राह्मयज्ञ सम्पन्न कराया जायेगा। सभी ब्राह्मणों से निवेदन है कि वे केवल यज्ञोपवीत जनेऊ लेकर प्रात: 8 बजे उपस्थित हो क्याेंकि इस दिन प्रत्येक ब्राह्मण के लिये आवश्यक कर्म है।
इस वर्ष श्रावणी पूर्णिमा दिनाँक 16 अगस्त शनिवार को दोपहर 2 बजे तक भद्रा दोष है, भद्रोपरांत चन्द्रग्रहण की सूतक 4 बजे से लग जायेगी, रात्रि में सूर्य संक्रांति भी है। अत: शास्त्र सम्मत श्रावण उपाकर्म भद्रा दोष, ग्रहण युक्त पूर्णिमा, संक्राति युक्त पूर्णिमा में नहीं किया जाता तब उससे पूर्व श्रावण शुक्ल पंचमी नागपंचमी में श्रावणी स्नान उपाकर्म करने के शास्त्रोक्त निर्देश हैं। हेमाद्रिकल्प, स्कंद पुराण, स्मृति महार्णव, निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु आदि योतिष व धर्म के निर्णय ग्रंथों में इसके प्रमाण हैं। कुछ ग्रंथों के प्रमाण इस प्रकार हैं-
'श्रावण शुक्लया: पूर्णिमायां ग्रहणं संक्रांति वा भवेतदा।
यजुर्वेदिभि: श्रावण शुक्ल पंचम्यामुपाकर्म कर्तव्यं॥'
अर्थात श्रावण पूण्रिमा में यदि ग्रहण या संक्रांति हो तो श्रावणी उपाकर्म श्रावण शुक्ल पंचमी को करना चाहिये।
'भद्रायां ग्रहणं वापि पोर्णिमास्या यदा भवेत।
उपाकृतिस्तु पंचम्याम कार्या वाजसेनयिभ:'
संक्रांति व पूर्णिमा युति या ग्रहण पूर्णिमा युति में वाजसेनी आदि सभी शाखा के ब्राह्मणों को उपाकर्म (श्रावणी) पंचमी को कर लेनी चाहिये।
एक अन्य श्लोक के उल्लेख के अनुसार भद्रा में दो कार्य नहीं करना चाहिये एक श्रावणी अर्थात उपाकर्म, रक्षाबंधन, श्रवण पूजन आदि और दूसरा फाल्गुनि होलिका दहन। भद्रा में श्रावणी करने से राजा की मृत्यु होती है तथा फाल्गुनी करने से नगर ग्राम में आग लगती है तथा उपद्रव होते हैं। श्रावणी अर्थात उपाकर्म रक्षाबंधन, श्रवण पूजन भद्रा के उपरांत ही की जा सकती है। लेकिन ग्रहण युक्त पूर्णिमा भी श्रावणी उपाकर्म में निषिध्द है इसलिये यह श्रावण शुक्ल पंचमी बुधवार 6 अगस्त 08 को किया जायेगा लेकिन रक्षाबंधन के लिये इसका निषेध नहीं है। अत: भद्रा उपरांत दोपहर 2 बजे के बाद पूर्णिमा के दिन ही राखी बांधी जा सकेगी।
ब्राह्मणों के यह अतिमहत्वपूर्ण कर्म हैं अत: सभी ब्राह्मण जनेऊ लेकर 6 अगस्त को प्रात: 8 बजे इलाही माता घांट कस्बा पर अधिक से अधिक संख्या में आयें।
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