Saturday, July 12, 2008

वन्य प्राणी अगर फसल बर्वाद करेंगे तो मुआवजा देगी सरकार

सीहोर 11 जुलाई (नि.सं.)। राज्य शासन द्वारा वनों के अंदर या वन सीमा के पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित ग्रामों में वन्य प्राणियों द्वारा फसल हानि किए जाने पर सम्बंधित व्यक्तियों को मुआवजा दिये जाने का लिया गया है। फसल हानि का आंकलन राजस्व विभाग में प्रचलित प्रक्रिया अनुसार राजस्व अधिकारियों द्वारा किया जायेगा।
वनमण्डलाधिकारी द्वारा प्रभावित व्यक्ति को मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा। वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा कि इस निर्णय से वन्य प्राणियों के संरक्षण के विभागीय प्रयासों में जन साधारण का अपेक्षित सहयोग मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि जन प्रतिनिधियों द्वारा वन्य प्राणियों से फसल हानि के संबंध में प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जाता रहा है। वन मंत्री ने बताया कि अभी हाल ही में राज्य शासन ने वन्य प्राणियों द्वारा जन हानि तथा पशु हानि से प्रभावित व्यकितयों को आर्थिक अनुदान की राशि को बढ़ाने का निर्णय लिया है। प्रदेश में अभी तक केवल जंगली हाथियों द्वारा फसल हानि, मकान तथा अन्य संपत्ति की हानि के लिये क्षतिपूर्ति का प्रावधान उपलब्ध है।
अन्य वन्य प्राणियों द्वारा फसल हानि के लिये किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता का प्रावधान नहीं था। राज्य शासन के इस निर्णय से वन के अन्दर या वन क्षेत्र की सीमा के पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित ग्रामों मे वन्य प्राणियों द्वारा फसल हानि किये जाने पर संबंधित व्यक्तियों को राजस्व पुस्तक परिपत्रा में किये गये प्रावधानों के अनुरूप मुआवजा दिया जा सकेगा । फसल हानि का आंकलन राजस्व विभाग में प्रचलित प्रक्रिया अनुसार राजस्व अधिकारियों द्वारा किया जायेगा तथा क्षति का आंकलन कर दिये जाने वाले मुआवजे का निर्धारण प्रभावित क्षेत्रों के राजस्व अधिकारियों द्वारा किया जायेगा।
संबंधित वनमण्डलाधिकारी को भुगतान के लिये राशि का विवरण उपलब्ध कराया जायेगा। क्षेत्रो के संबंधित वनमण्डल अधिकारी द्वारा प्रभावित व्यक्ति को भुगतान किया जायेगा।
वन्य प्राणियों द्वारा फसल क्षति किये जाने पर प्रभावित व्यकित द्वारा फसल हानि होने के 24 घंटे के भीतर आवेदन निकटतम राजस्व अधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा। राजस्व अधिकारी द्वारा हानि का आंकलन कर जिलाध्यक्ष को प्रतिवेदन दिया जायेगा। वनमण्डलाधिकारी को कलेक्टर से मुआवजा राशि संबंधित विवरण प्राप्त होने की में एक माह के भीतर राशि का भुगतान किया जायेगा।
इछावर नादान और नसरुल्लागंज सहित अनेक ग्रामों के आसपास जंगल मौजूद है। हालांकि कितने जंगलों में स्थानीय वन विभाग जानवरों की उपस्थिति को मान्यता देता है। यूँ तो जमोनिया के आसपास के ग्रामों में कुछ हिरण देखने में आ जाते हैं, ऐसे ही इस क्षेत्र में मोर भी बहुत बड़ी संख्या में हैं इन्हे कहाँ-कहाँ तक वन विभाग मानेगा क्योंकि मोर भी कुछ फसलों को पसंद करते हैं। एक अन्य जानवर वृगदा से ग्रामीण जन परेशान रहते हैं। देखते हैं आगामी दिनों में कितने जानवर ग्रामीणों की फसलों को बर्वाद करते हैं और कितने प्रकरण वन विभाग को सूचित किये जाने के बाद पंजीबध्द होते हैं।


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