सीहोर 14 जुलाई (नि.सं.)। सोयाबीन की फसल को नीला भृंग, हरी अर्ध्दकुंडलक एवं चभृंग (गर्डल बीटल) काफी नुकसान पहुंचाते है। ऐसे कीटों के प्रकोप से पांच से लेकर पचास फीसदी तक उत्पादन में कमी आ जाती है। सोयाबीन फसल पर कीट नियंत्रण के संबंध में कृषि विभाग द्वारा उपयोगी सलाह दी गई है।
उप संचालक कृषि एन. एस. रघु ने बताया कि जिले में कहीं - कहीं सोयाबीन फसल पर नीला भृंग, हरी अर्ध्दकुण्डलक एवं चभृंग (गर्डल बीटल) जैसे कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इन कीटों पर दवाओं का छिडकाव कर नियंत्रण किया जा सकता है।
ऐसे करें कीट नियंत्रण
सोयाबीन की फसल में यदि एक मीटर कतार में 3 हरी अर्ध्दकुडलक या 4 ब्ल्यू बीटल अथवा गर्डल बीटल का प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरो पायरीफॉस 20 ईसी, डेढ़ लीटर या क्यूनालफॉस 25 ईपी डेढ़ लीटर अथवा ट्रायजोफास 40 ईसी 800 मिलीमीटर दवा 700 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाब करना चाहिए। यदि फसल में रस चूसने वाले कीट का प्रकोप हो तो इथियान डेढ़ लीटर या मेटासिस्टाक 30 ईसी डेढ़ लीटर दवा को 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना फायदे मंद होगा।
जैविक कीट नियंत्रण के लिए एक लीटर पानी में नीम बीज का 5 मिलीलीटर घोल बनाकर 700 से 800 लीटर प्रति हेक्टर के मान से फसल पर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव यंत्र उपलब्ध नहीं होने पर क्यूनालफॉस दवा डेढ़ प्रतिशत पावडर या मिथाइल पैराथियान दो प्रतिशत पावडर का उपयोग 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्टर के अनुसार भुरकाव किया जा सकता है। कीट नियंत्रण के संबंध में अधिक जानकारी क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।
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