सीहोर 23 जून (विशेष सं.)। नगर पालिका में हुए करोड़ों रुपयों के कामों की सूची निकालों तो पता चलता है कि एक-दो काम ही ऐसे हैं जिनकी गुणवत्ता ठीक-ठाक हो जिन्हे पुराने अनुभवी ठेकेदारों ने किया हो शेष काम इतने गुणवत्ता हीन किये गये हैं कि आश्चर्य घटित होता है।
सीमेंट की मजबूत सड़के बनाई और दिखाई तो गई हैं लेकिन बनते ही महिने भर में पत्थर उछल गये और गड्डे हो गये हैं। सीमेंट की अधिकांश सड़कें जो नगर पालिका ने बनवाई है वह इतनी निम् स्तर की हैं और नियमों के विरुध्द बनाई गई हैं जिनकी जांच वाकई होना आवश्यक है। अधिकांश सीमेंट सड़कें बिना किसी आधार पत्थर-गिट्टी डाले डामर की सड़क पर बना डाली गई? अब जांच में सारे मामले उजागर हो रहे हैं तो ठेकेदारों के हालत पतली होती जा रही है नगर में बनी कौन-कौन-सी सड़कों की जांच हुई है आज पढ़िये ।
जब सड़कों की जांच करके उनके नमूने भरने के लिये दूसरे दिन जांच दल सीहोर आया तो वह सीधे मुर्दी गंज सुदामा नगर वार्ड 11 में उसी गली में पहुँचा जहाँ की सड़क घटिया स्तर की बनी दिख रही थी। इसकी जांच की गई जांच में पाया गया कि सीमेंट की सड़क के नीचे मिट्टी है। मतलब मिट्टी की गली में सीधे सीमेंट का माल डालकर सड़क बना दी गई थी और लाखों रुपये का काम करवा लिया गया था। यहां सड़क का कुछ मटेरियल खोद कर जप्त कर लिया गया और आसपास रहने वाले लोगों तथा कुछ पार्षदों के सामने जांच कर व दिख रही स्थिति का एक कागज पर लिखकर पंचनामा बनवाया गया।
इधर मछली बाजार से लेकर छावनी चोकी तक बनी एक सीमेंट सड़क का भी सेम्पल लिया गया है जिसमें पाया गया कि नीचे डामर बिछा है।
विशेष रुप से सबसे यादा घपला तो वार्ड 29 में नजर आया। यहाँ तो ठेकेदार ने हद ही कर दी। ऐसा लग रहा था मानों ठेकेदार और नगर पालिका के कर्मचारी एक ही नाव में सवारी करते हाें जिन्होने घटिया काम को देखा तक नहीं। यहाँ महारानी लक्ष्मीबाई विद्यालय से लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक की सड़क की जांच में पाया गया कि जितनी मोटाई होना चाहिये थी वह नहीं रखकर सड़क पतली बनाई गई थी। लेकिन बात यहाँ तक भी धक जाती जब सड़क की खुदाई हुई तो यहाँ जांच अधिकारी ए.जी.खान स्तब्ध रह गये। यहाँ भी बीच बाजार में सड़क निम् स्तर की साबित हुई नीचे डामर की सड़क निकल आई थी जिसके ऊपर सीमेंट की सड़क बना दी गई थी। जबकि नियम है कि पहले डामर की सड़क को खोदकर अलग किया जाये, उसे यहाँ से पूरी तरह हटा दिया जाये फिर मिट्टी के ऊपर मोटे-मोटे बोल्डर डाले जायें उन्हे बिछाकर दबाकर फिर उसके ऊपर बारीक चूरी की गिट्टी डाली जाये और फिर उसका लेबल हो और इसके बाद सीमेंट की सड़क इसके ऊपर बनाई जाये। हालांकि इस सड़क के लिये क्या योजना नगर पालिका ने बनाई थी और क्या निर्देश थे यह नहीं कहा जा सकता लेकिन ए.जी. खान जांच अधिकारी ने फुरसत से बातचीत करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में डामर के ऊपर सीधे सीमेंट की सड़क बनना नियमों के विपरीत कार्य है इसकी बारीकी से जांच की जायेगी।
जब वो पुलिया ढूंढते रह गये
भोपाल से आये जांच अधिकारी ए.जी.खान और उनका जांच दल तथा 13 पार्षदों का समूह जब वार्ड 29 में ही कागजों पर लिखी एक पुलिया ढूंढने का प्रयास करने लगा तो उसे वह कहीं नजर नहीं आई। असल में महारानी लक्ष्मी बाई से लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय मार्ग तक बनी सीमेंट की सड़क में ही बीच में कहीं पुलिया निर्माण किये जाने की जानकारी भी कागजों में उल्लेखित है जिसको लेकर 2 कम 40 हजार रुपये के करीब का भुगतान किये जाने की जानकारी है। इतनी बड़ी राशि की पुलिया आखिर कहाँ बनी है इसकी जांच और पुलिय ढूंढते हुए जब जांच अधिकारी और पार्षद थक गये तो उन्होने नगर पालिका के मुख्य अधिकारी और सब इंजीनियर से पूछा कि आखिर इस मार्ग जो पुलिया दर्शाई गई है वो कहाँ हैं ? तब इन दोनो ने पहले तो ना-नुकूर की लेकिन मजबूर होकर यह फाईलों की बात करते हुए कहने लगे की साहब मस्जिद के सामने बनी है, जब मस्जिद के सामने गये तो पाया गया कि मस्जिद में से जो पानी निकलता है उसके लिये बकायदा एक बंद नाली बनाई गई है उसे ही पुलिया दर्शाया गया है। इस जांच अधिकारी श्री खान ने यहाँ अधिकारियों को डांटा-डपटा भी और कहा कि क्या यही पुलिया है ? सीहोर नगर पालिका के अधिकारी इसका जबाव कुछ नहीं दे पाये और मुँह नीचा करके खड़े रहे। तब इस कथित पुलिया अर्थात नाली की जांच भी की गई और इसका पूरा आंकलन कर इसका पंचनामा बनाया गया । साथ ही वीडियो शूटिंग भी की गई। आश्चर्य है कि ठेकेदार ने इसे पुलिया कैसे बता दिया और नगर पालिका ने इसका भुगतान किस आधार पर 38 हजार रुपये कर दिया ? ए.जी.खान ने यहाँ इस कथित पुलिया की फाईल अच्छी तरह देखी-परखी और उसे अपने साथ रख लिया।
और यहाँ सामने आई ईमानदारी...
वार्ड 26 कसाई मण्डी में पिछले दिनों ही एक बोर हुआ था जो 200-400 नहीं बल्कि 510 फिट बताया जा रहा था। इतना गहरा बताकर बिल तो बन गया था लेकिन क्या वास्तव में यह इतना गहरा खुदा होगा जब इसकी जांच शुरु हुई तो जनता ने यहाँ कहा कि साहब यह पूरा-पूरा खुदा है, लेकिन विश्वास नहीं हो रहा था, जनता कह रही थी कि सांच को आंच क्या देख लीजिये जब जांच हुई तो पता चला कि पूरा 510 फिट नीचे तक जांच की रस्सी चली गई थी। यहाँ जनता ने कहा कि साहब हमने तो खोदने वाली राड भी नाप ली थी और रातभर जगे भी थे।
लेकिन यहाँ मामला उलट गया
लेकिन जब गणेश मंदिर के पीछे एक बोर की जांच करने के लिये जांच दल प्रभारी एजी खान गये यहाँ 300 फिट के आसपास खुदे बोर में मात्र 209 फिट तक ही रस्सी जा पाई थी। इसका भी पंचनामा बनाया गया है।
जब पार्षद ने ठंडा पिलाया कहा धन्यवाद
पीली मस्जिद कस्बा क्षेत्र में बनी सीमेट की सड़क के लिये यहाँ जब जनता ने जांच दल से कहा कि साहब यहाँ तो सड़क बनी ही नहीं है बल्कि प्लास्टर हुआ है प्लास्टर। तो जांच में भी कुछ ऐसा ही पाया गया लेकिन यहाँ पार्षद शमीम ने जांच दल को वार्ड में आकर जांच करने के लिये धन्यवाद दिया और उन्हे ठंडा पिलाकर स्वागत भी किया।