सीहोर 23 जून (नि.सं.)। पिछले दिनों जिला मुख्यालय पर कांग्रेस ने प्रदेश शासन के खिलाफ एक धरना प्रदर्शन किया था, बड़ा भारी तामझाम था, टेंट भी था और माईक भी। बड़ी संख्या में लोग भी उपस्थित थे। भारीभरकम कांग्रेस नेता भी शामिल थे और गांव-गावं से आये नेतागण भी। शुरुआती दौर में ही जब भीड़ बढ़ने लगी तो एक नेताजी उत्साह-उत्साह में पास ही एक दुकान पर 100 चाय का आर्डर दे आये। चाय दुकानदार ने 100 चाय बनाना शुरु कर दी।
चाय बनी तो फिर उसे ट्रे में लगाया गया, जब चाय भेजी जाने लगी तो एक कार्यकर्ता ने कहा अभी थोड़ा रुक जाओ....फिर थोड़ी देर रुकने के बाद फिर पूछा गया तो कहा गया अभी थोड़ा रुक जाओ...इधर चाय ठंडी हो रही थी, इस पर दुकानदार ने फिर तीसरी बार पूछने की बजाय चाय भेज ही दी। गर्मागर्म चाय आई सबने मजे से पी भी ली। दो घंटे के भाषण खत्म भी हो गये और टेंट-तंबू उखड़ने लगे लेकिन जब चाय वाला अपना भुगतान लेने गया तो वहाँ कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हुआ....। उसने कुछ लोगों से कहा भी कि भैया चाय के रुपये तो दे दो...लेकिन सब टाल गये। मजबूर होकर चाय वाला अपनी दुकान पर लौट आया अब तलाश रहा है....अब जो भी आता है उसकी दुकान पर सहज ही उसके मुँह से निकल पड़ता है बताईये साहब कांग्रेसी चाय पी गये और रुपये नहीं दे रहे....।