Friday, April 25, 2008

हवा चलेगी तेज, किसानों के लिये कारगार उपाय बताये, मौसम पूर्वानुमान विभाग ने दी जानकारी

सीहोर 25 अप्रैल (नि.सं.)। कृषि महाविद्यालय की मौसम वैद्यशाला की गणना के अनुसार पिछले सप्ताह 15 अप्रैल से 21 अप्रैल कहीं-कहीं हल्के बादल रहे तथा वारिश दर्ज नहीं हुई। अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के आसपास तथा न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहा। इस मौसम की अभी तक की कुल वर्षा 803.5 मि.मी. रही जो कि औसत वर्षा से 304 मि.मि.कम रही।
आगामी 96 घंटो का पूर्वानुमान करते हुए राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के अनुसार दिन और रात के तापमान में बढ़ोत्री के आसार हवाओं की तेजी में कमी, आसमान रहेगा साफ। आसपास के क्षेत्रों में अगले 96 घंटो के दौरान आसमान आमतौर पर साफ रहने की संभावना है वर्षा के आसार नहीं है। हवा 3-4 कि.मी. प्रति घंटा की गति से चल सकती है उत्तर से बाद में उत्तर पश्चिम से चलने की संभावना है। तापमान अधिकतम 40.5 से 42.5 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 22.5 से 23.5 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है।
कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आगामी मौसम को देखते हुए किसानों के लिये सामायिक सलाह देते हुए कहा है कि अनाज के उचित भण्डारण के लिये भण्डारग्रह तथा भण्डार पात्रों में मैलाथियान 5 मि.ली.प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। अनाज को सूखाकर भण्डारित करें। कोठियों में ईडीबी एम्प्यूल का उपयोग कर हवा बंद कर पैक करें।
गन्ने में पायरिल्ला फुदका कीट के नियंत्रण के लिये मेलाथियान 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। तेज हवा की संभावना को देखते हुए फलदा वृक्षों की शाखाओं को सहारा दें जिससे तेज हवा से हानि न हो।
भिण्डी में कीट के नियंत्रण हेतु मैलाथियान 1 एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
ग्रीष्म कालीन मूंग में प्रारंभिक अवस्था में पत्ती कुतरने वाले कीटों जैसे फली बीटल झिंगुर टिड्डी के नियंत्रण हेतु मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत व क्विलालफास डेढ़ प्रतिशत चूर्ण का भुरकाब 20-25 किलो ग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से करें।
गेहूँ की कटाई के बाद खेत बचे डण्ठलों में आग न लगायें। स्ट्रारीपर से भूसा बनायें। टिंडा, लोकी गिलकी, ककड़ी करेला, कद्दु तथा तरबूज, खरबूज आदि सब्जियों में दो पत्ती एवं चार पत्ती की अवस्था में इथ्रेल 1 ग्राम प्रति लीटर का घोल बनाकर शाम के समय छिड़काव करें जिससे मादा फूल की संख्या में बढ़ोत्री होती है।
कटहल, आम, नीबू के छोटे फल गिरने से रोकने के लिये प्लानोफिक्स दवा एक मिली प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। टमाटर में पत्ती सुरंग कीट एवं पत्ती सुकड़न रोग के नियंत्रण के लिये ट्रायजोफाँस 2 मिली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिडक़ाव करें। जहाँ रबी फसलों की कटाई हो गई है वहाँ मिट्टी पलट हल से गहरी जुताई करें जिससे वर्षाऋतु में अधिक से अधिक जल का अवशोषण हो सके। भिण्डी में जड़ सडन रोग के नियंत्रण हेतु पौधे के चारों और कार्बेन्डाजिम दवा 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर जमीन को तर करें। ग्रीष्म कालीन कद्दुवर्गीय सब्जियों जैसे कद्दु, लोकी, गिलखी, ककड़ी तथा तरबूज, खरबूज आदि में प्रारंभिक अवस्था में लालभृंग व फ्लीवीटल आदि पत्ती कुतरने वाले कीटों के नियंत्रण के लिये मिथाईल, पैराथियान या क्विनालफास पाउडर 15 से 20 किलो प्रति हेक्टर भुरकाव करें। नवीन कद्दुवर्गीय सब्जियों में नत्रजन की मात्रा देकर सिंचाई करें।