Tuesday, April 15, 2008

सीहोर में एक पार्षद को दिये जबरन हाथ खर्चे के रुपये....

पार्षद ने कहा : मेरी तबियत खराब है, मुझे नकली बिल से 38 हजार दे दो, और रुपये दे दिये, चर्चा चौराहे की
सीहोर 14 अप्रैल (नि।सं।)। यह है सीहोर नगरिया जब देख बाबू.....पालिका की हालत हो रही है बेकाबू.....जी हाँ साहब नगर पालिका सीहोर के भी गजब-गजब कारनामें हैं। रोज के नये किस्से नगर की सडक़ों पर चौराहों पर चर्चाएं खास और फिर चर्चाएं आम बन जाते हैं। अब इस नई चर्चा को ही देखिये, कहा जा रहा है कि गंज के एक पार्षद ने 38-40 हजार रुपये की नकली फाईल बनाई.....काहे की बनाई वो भी बतायेंगे भैया लेकिन वो फाईल पास भी कर दी गई और रुपये भी दे दिये गये। स्वयं को ईमानदार बताने वाले सारे वरिष्ठ गरिष्ठ लोग जो नगर पालिका में हैं उन्होने इस पार्षद को रुपये दे दिये हैं और अब यह आराम से अपने वाहन में घूम रहा है.....। अगर चौराहे पर चल रही यह चर्चा सच है तो वाकई आश्चर्य है। हालांकि यह जांच का विषय है।
नगर पालिका में हो रहे अनेक ऐसे ही घटनाक्रमों को छापने वाले भले थक जायें लेकिन करने वाले कभी पीछे नहीं हटते वह आये कोई न कोई नया खेल, कर ही लेते हैं। कुछ दिनों से नगर पालिका के पार्षदों में और कुछ खास लोगों में चर्चा थी कि एक गंज के पार्षद ने नकली फाईल बनाई है जिसमें किसी भी एक पुलिया के निर्माण कार्य को उसने लिया है, यह नकली फाईल बनकर तैयार हो गई है और नगर पालिका में आडिट के लिये रखी हुई हैं। यह चर्चा जब धीमे-धीमे चल रही थी तब भी रोचक थी लेकिन अब जब यह बाजार में आ गई है और चौराहों पर चटकारे लिये जाकर एक-दूसरे बताई जा रही है तो इसका स्वरुप यह है कि करीब 38 हजार की यह अदृश्य पुलिया के निर्माण के रुपये सांठ-गांठ कर निकाल लिये गये हैं। अब रुपये निकालने के लिये किस-किस पदाधिकारी और अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं यह तो किसी से छुपा नहीं है और फिर जिसके नीचे रेले हों वो बेचारा तो निश्चित ही ऐसे काम करने से कतरायेगा भी नहीं....।
चौराहों पर चर्चा है कि संबंधित पार्षद ने पुलिया का सहारा लेकर 38 हजार रुपये के बिल पेश किये तो एक बारगी उसमें अड़चन आई कहा गया कि यार ऐसे नकली बिल कैसे पास होंगे ? तब इन पार्षद महोदय ने कहा कि अरे साहब देखो मैं कोई ठेके भी नहीं ले रहा हूँ, कुछ दिनों से तबियत भी ठीक नहीं है, इसलिये आप तो बस रुपये दे दो, मुझे जरुरत है। इसने जिद की तो चुपचाप हस्ताक्षर करने वालों ने हस्ताक्षर कर काम कर दिया जिससे रुपये निकल गये। और इस प्रकार आसानी से एक पार्षद को नकली फाईल पर 38-40 हजार रुपये के करीब मोटी रकम हाथ में आ गई है अब वह आराम से अपने वाहन में घूम फिर रहा है और किसी की छेड़ भी नहीं कर रहा है। अगर चौराहे पर चल रही यह चर्चा सही है तो निश्चित ही जांच का विषय है।