Wednesday, March 12, 2008

माफ किये 60 हजार करोड़ की व्यवस्था कहां से कैसे करेंगे वित्त मंत्री-वित्तमंत्री राघव जी

आष्टा 11 मार्च (नि.प्र.)। केन्द्र सरकार ने बजट में किसानों के जो 60 करोड़ के ऋण माफ करने की घोषणा की लेकिन वित्तमंत्री ने पूरे बजट में यह कहीं नही बताया कि जो 60 करोड़ माफ किया जा रहा है उसकी भरपाई वे कैसे करेंगे ऋण माफी की घोषणा केवल चुनावी स्टंट है इस घोषणा से बैंकों पर ज्यादा बोझ आयेगा यह करना है म.प्र. के वित्तमंत्री राघव जी भाई का। वित्तमंत्री श्री राघव जी कल सपत्निक किला मंदिर पर श्री नेमिनाथ दादा की प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने आष्टा पधारे थे ।
फुरसत के क्षण में फुरसत प्रमुख सुशील संचेती ने फुरसत के लिए चर्चा की चर्चा के दौरान वित्तमंत्री ने खुलकर बात की उन्होंने किये गये प्रश्‍नों का जवाब देते हुए कहा कि वित्तमंत्री ने बजट में किसानों के 60 करोड़ के ऋण तो माफ कर दिये लेकिन यह नही बताया कि इसकी व्यवस्था वे कैसे कहा से करेंगे । कई किसान तो ऐसे है जिनकी बकाया राशि कई बैंक पहले ही बट्टे खाते लिखकर डाल चुके है । उन्होंने कहा कि जो किसान आत्महत्या कर रहे है । वे किसान बैंक के ऋण वाले नही है । ऐसे किसान आत्म हत्या कर रहे है जिन्होंने ऊंची ब्याजदर पर साहूकारों से ऋण ले रखा है । खासकर जो आत्म हत्याऐं हो रही वो महाराष्ट्र में ज्यादा है वहां साहूकारों की ब्याज दर काफी ऊंची है। ऐसे किसानों को साहूकारों के चुंगल से कैसे निकाला और बचाया जाये । इसके लिये वित्तमंत्री ने कुछ नही सोचा केन्द्र के बजट में जो यह ऋण माफी की घोषणा की है वो केवल चुनावी स्टंट और बोट की राजनीति ज्यादा है । किसान घोषणा के बाद समझा गया है और वो चुनाव में इन्हें जवाब जरूर देगा । म.प्र. के बारे में राघव जी ने कहा कि म.प्र. में पुन: भाजपा की सरकार बनेगी कांग्रेस म.प्र. में मुद्दा विहिन है । उनके पास कोई मुद्दे ही नही है जिसे लेकर वे जनता के पास जाये । म.प्र. में भाजपा की सरकार ने विकास का एक ऐसा इतिहास लिखा है जिसे प्रदेश की जनता कभी नही भूल सकेगी । श्री राघव जी ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गये वजट पर कहा कि केन्द्र का बजट आते ही देश में मंहगाई का ग्राफ और ऊॅचा चला गया । गरीब और मध्यम वर्ग के लिए तेल, दाल, चावल, आटा, खरीदना मुश्किल हो गया है। केन्द्र सरकार को बढ़ती मंहगाई क्यों नजर नही आ रही है। मंहगाई ने गरीब, मजदूर, किसान की कमर तोड़ दी है । अब उसे तेल, दाल आटा खरीदने के लिए सोचना पड़ रहा है । बढ़ी मंहगाई से गरीब परिवार का पुरा बजट बिगड़ गया है । साहूकारों की ब्याज दरों पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में साहूकारों की ब्याज दर काफी अधिक है । म.प्र. में साहूकारों की ब्याज दर महाराष्ट्र के साहूकारों से काफी कम है, और यही कारण है कि महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या ज्यादा कर रहे है । उन्होंने कहा कि केन्द्र के बजट में जो 60 हजार करोड़ की राशि किसानों की ऋण की माफ की उसकी व्यवस्था बजट में करके देश की जनता के सामने रखना चाहिये था ।