Wednesday, January 30, 2008
युवाओं में श्रीराम जैसी मर्यादा, लक्ष्मण जैसा त्याग जरुरी है -अवधेशदास जी
जावर 29 जनवरी (फुरसत) । श्रीराम कथा के संगीत मय आयोजन के समापन अवसर पर महाराज ने कहा कि युवा देश में सामाजिक परिवर्तन तथा नवीन क्रांति के संचार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करे तथा तभी हमारे सामाजिक मूल्यों की स्थापना हो सकती है। उन्होंने कहा कि युवाओं में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के आदर्श चरित्र तथा लक्ष्मण जी जैसे त्याग की आवश्यकता है यदि हम रामचरित मानस ग्रन्थ को अपने जीवन में उतारकर कार्य करे तो जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन महसूस करेंगे । उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति तथा राष्ट्रीय एकता को बचाना है तो युवाओं को आगे आकर समाज, धर्म, एवं राजनीति में व्याप्त कुरूतियों को मिटाना होगा । तभी हम भारत वर्ष को विश्व में अनूठी पहचान दे सकते है। महाराज जी ने रामचरित मानस ग्रंथ के अनूठे प्रसंगो पर प्रकरण डालकर उपस्थित जन मानस का मन मोह लिया । वही गुरूजी के भजनो की संगीत मयी प्रस्तुति पर महिला, पुरूष, नवयुवक ,जमकर नाचे तथा संगीतमय भजनो ने दिल को छू लिया । संत श्री ने आयोजन समिति के सदस्यों को आर्शीवाद प्रदान कर अनूठे आयोजन हेतू बधाई दी । श्रीराम कथा के अंतिम दिन समापन अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में पूर्व संसदीय सचिव अजीत सिंह, क्षैत्रीय विधायक रघुनाथसिंह मालवीय, गगनसिंह पटेल, फूलसिंह मालवीय, सहित आष्टा के अनेक नागरिक मौजूद थे । समिति की ओर से विशेष अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मान किया । अतिथियों ने गुरू महाराज की वंदना कर आर्शीवाद प्राप्त किया। कार्यक्र म का संचालन जयनारायण राठौर तथा आभार सुभाष भावसार ने माना।