Sunday, December 28, 2008

दस हजार वर्ष तक भोगनी पड़ती है प्रेतयोनी-पं.उपाध्याय

               सीहोर27 दिसम्बर (नि.सं.)। माता-पिता को जो पीड़ा पहुंचाते हैं जो कपूत उन्हें वृद्धास्था में सहारा न देकर वृद्ध आश्रम पहुंचाते हैं पर स्त्रीगमन करते हैं। निर्धनों को सताते हैं और दूसरों का धन हड़प लेते हैं। दान पुण्य से जो दूर रहते हैं ऐसे दुष्ट दुर्जन मानवों को दस हजार वर्ष तक प्रेत योनी भोगनी पड़ती है। उनका कल्याण भगवान भी नहीं करते हैं।

      उक्त प्रेरणादायी उदगार भागवत कथा वाचक पंडित चेतन्य उपाध्याय ने श्रद्धालुओं ने श्रवण कराएं। इंदौर नाका स्थित वटेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में सोमवार से श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ कथा प्रारंभ की गई। इससे पूर्व कलश यात्रा निकाली गई जिसमें मुख्य यजमान के रूप में सन्नी महाजन तथा पत्नि शोभना महाजन सम्मिलित हुए।

      नवयुवक मारूति नंदन मण्डल द्वारा इंदौर नाका स्थित वटेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में श्रीमद भागवत कथा आयोजित की जा रही है। कथा के पहले दिन वटेश्वर महादेव मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा ढोल ढमाकों के साथ दशहरा मैदान स्थित राधाकृष्ण मंदिर पहुंची जहां पर पंडित चेतन्य उपाध्याय के सानिध्य में यजमान सन्नी महाजन ने सपत्निक तथा भूपेन्द्र सिंह पटेल ने भगवान कृष्ण तथा व्यास गादी और देवी देवताओं की विधिवत पूजा अर्चना की तत्पश्चात कलश यात्रा दशहरा बाग और बजरंग कालोनी का भ्रमण करती हुई वापस कथा स्थल पर पहुंची जहां पर विधि विधान से पंडित चेतन उपाध्याय द्वारा श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ किया गया उन्होंने पहले दिन श्रद्धालुओं को भक्ति वैराग्य और गीताजी का महत्व धार्मिक प्रसंगों के माध्यम से श्रवण कराया।

      उन्होंने धुंधली तथा गोकरण कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जो पर स्त्री गमन करते हैं अपने माता-पिता का अपमान करते हैं, पराया धन हड़पते हैं, निर्धनों को कष्ट पहुंचाते हैं ऐसे दुर्जनों को दस हजार वर्ष तक प्रेत योनी भोगनी पड़ती है जिसमें उन्हें मनुष्य योनी से भी कई अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। यह दस हजारी प्रेत योनी गंगाजी में पिण्डदान और तर्पण करने से भी नहीं छूट पाती है। पहले दिन ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंडाल में कथा श्रवण करने उपस्थित हुए थे।

      सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में अजामिल, प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, रामअवतार, कृष्ण जन्म, महारास, भ्रमर गीत, गोर्वधन पूजा, रूकमणी विवाह, सुदामा चरित्र इत्यादि कथाएं होंगी। समिति के देवेन्द्र सेंगर ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर एक बजे से शाम 4 बजे तक कथा आयोजित की जा रही हैं। कथा स्थल पर महिला श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था विशेष रूप से की गई है।