Friday, November 7, 2008

अब कांग्रेसियों में तनातनी : खत्म हुई गोपनीय बैठक, पचौरी का पुतला दहन हुआ कांग्रेस से कई विद्रोही मैदान में

सीहोर 6 नवम्बर (नि.सं.)। आज कांग्रेस मे मचे बवाल के बाद हुई दूसरी बैठक एक तरह से विफल हो गई और सारे कांग्रेसी एक-दूसरे से खिन्न होकर अपने-अपने धाम को लौट गये। आज किसी एक नेता को सभी कांग्रेसजनों द्वारा खड़ा किये जाने तथा उसे चुनाव लड़ाने के लिये सहमति की बातें हो रही थी लेकिन इस पर अनेक लोग एक साथ चुनाव लड़ने के लिये खड़े हो गये जिससे मामला बिगड़ गया।

      इसी दौरान कुछ लोग सुेश पचौरी का पुतला ले आये और उसे जलाकर एकमत होने तथा खुल्ला विरोध जताने की बात करने लगे। पुतला देखकर तो कई पचौरी समर्थक बैठक से उल्टे पांव लौट गये। कुल मिलाकर मामला बिगड़ गया। आज दिनभर पचौरी के पुतले की जहाँ चर्चाएं सरगर्म थीं वहीं अनेक कांग्रेसियों के खड़े होने की बात भी स्पष्ट हो गई। अब निष्कर्ष के रुप में यह माना जा सकता है कि कुछ लोग तो सन्नी को सहयोग करेंगे और कुछ खुद चुनाव लड़ेंगे।

      एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सीहोर से विधानसभा सीट के उम्मीद्वार के घर आज दूसरे दिन भी एक गोपनीय बैठक आहूत की गई थी। कल बैठक में यह तय हुआ था कि आज किसी एक प्रत्याशी को लड़ाये जाने का निर्णय लिया जायेगा।

      कल ही एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस बात प्रसन्नता जाहिर करते हुए यह तक कह दिया था कि यदि सामुहिक रुप से किसी एक व्यक्ति को लड़ाया जाता है तो उसके चुनाव खर्च के लिये मैं 2 लाख रुपये देता है वह रुपये भी सामने रख चुके थे। लेकिन बात दूसरे दिन पर टल गई थी। आज सुबह से ही इस गोपनीय बैठक की चर्चाएं चोराहाें पर थी।

      सुबह जब बैठक शुरु हुई तो धीरे-धीरे समस्त कांग्रेसजन एकत्र हो गये। यहाँ बातचीत शुरु हुई और किसी एक प्रत्याशी को खड़ा किये जाने के लिये एकराय किये जाने का प्रयास हुआ। जिस पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता किशन यादव, जफरलाला, हरीश राठौर, कमलेश कटारे, दामोदर राय सहित दो-तीन अन्य नेतागणों को भी खड़ा किये जाने की बात यहाँ सामने रख दी गई। इस पर कोई एक राय नहीं हुआ। सभी चाहते थे कि उन्हे कांग्रेस के दिग्गज नेता मिलकर लड़ाये। लेकिन किसी एक नेता को लेकर शेष अन्य बैठने को तैयार नहीं थे।

      यहाँ आज भी एक कांग्रेस नेता ने यह कहा कि बैठक में कुछ लोग ऐसे भी बैठे हैं जो ना तो कांग्रेस को एक होने देना चाहते हैं, ना ही कांग्रेस को जीतने देना चाहते हैं, वह रमेश के लिये काम कर रहे हैं। इस पर लोग चुप रहे और अपनी-अपनी बात करते रहे।

      इसी दौरान कुछ लोग यहाँ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी का एक पुतला बनाकर ले आये। तब यहाँ बात रखी गई कि सुरेश पचौरी का पुतला दहन कर हम सब कांग्रेसी उनके निर्णय का विरोध करते हैं और एक-दो दिन में किसी एक नाम पर सर्वसम्मति कर चुनाव लड़ते हैं। जैसे ही सुरेश पचौरी का यहाँ पुतला आया वैसे ही कुछ नेताओं के चेहरे फक्क पड़ गये। वह अपने वरिष्ठ नेता का पुतला जलाने के इस कार्य से बचते हुए यहाँ से चले जाना चाहते थे। कुछ ही देर में एक-एक करके दो वरिष्ठ नेता यहाँ से अपने वाहन में चले गये। इनके जाते ही पीछे से एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने यह कहा कि जब वह दोनो चले गये तो क्या हमने ही बुराई का ठेका ले रखा है, उन्होने भोपाली भाषा में नाराजगी जताई। जब रहना है तो एक साथ रहो, हम क्यों जलाये पुतला। इतना कहकर वह भी यहाँ से रवाना हो गये।

      इधर सुरेश पचौरी के पुतले की जो व्यवस्था की गई थी, बकायदा उसे एक नेताजी के कुर्ते पजामे पहनाये गये थे, घर से निकल कर आये इस पुतले को जब किसी ने नहीं जलाया तब एक युवा कांग्रेस नेता ने जिन्होने एक बार कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़कर रमेश सक्सेना का काम किया था उन्होने ही सुरेश पचौरी के पुतले में आग लगा दी।

      कुल मिलाकर 2 घंटे में समाप्त हो गई इस बैठक में अंतिम रुप से यह निर्णय लिया गया कि जो भी हो हमें भाजपा को जीतने नहीं देना है, और अगर इसके लिये हमें सन्नी महाजन को सहयोग देना पड़े तो वह भी हमे करना चाहिये। सबने इसके लिये स्वीकृति दी और कहा कि हम सन्नी के साथ हैं। इसके साथ ही यहाँ उपस्थित कई ग्रामीण कांग्रेसी तो सन्नी की सभा के लिये रवाना ही हो गये।

      अब संभावित है कि कांग्रेसजन एक स्थान पर वापस एकत्र ना हों। इस प्रकार कांग्रेस का सामुहिक विरोध नहीं हो पायेगा। लेकिन अपने-अपने स्तर पर कांग्रेस नेता क्या करेंगे यह देखना शेष है।


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