Sunday, November 2, 2008

ऋण देने के नाम पर दिल्ली की कम्पनी ने 57 हजार की ठगी की

सीहोर इन्दौर स्टेट बेंक की मदद से मिल गई राशि, 40 लाख का ऋण देने की हुई थी बात, अखबार में छपा था विज्ञापन

      सीहोर 1 नवम्बर (नि.सं.)। एक अखबार में ऋण प्रदान करने वाली कम्पनी का विज्ञापन देखकर सीहोर मछली बाजार निवासी हबीब मियां ने जब दिल्ली स्थिति इस कम्पनी के मुख्य कार्यालय से सम्पर्क किया तो काफी जद्दोजहद के बाद कम्पनी ने बातचीत कर कई खानापूर्ति कराई और धीरे-धीरे इन्हे अपने झांसे में ले लिया। इन्हे दिल्ली तक बुला लिया। मोबाइल पर बातचीत करने वाली इस कम्पनी ने स्वीकृत ऋण की राशि के डेढ़ प्रतिशत को जमा कराने के नाम पर जिस 57 हजार के बैंक ड्राफ्ट प्राप्त किये हैं उसी समय से यह कम्पनी गायब है। यह तो भला हो सीहोर इर्न्दाैर स्टेट बैंक का जिसने उपरोक्त मामले में बैंक ड्राफ्ट का भुगतान होने से रुकवा दिया। अभी तक ठगी के आरोपी फरार है। उपरोक्त रोचक मामले में सीहोर के एक व्यक्ति लम्बी ठगी से कैसे बचे पढ़िये रोचक खबर।

      मोहम्मद हबी पुत्र अब्दुल हफीज कुरैशी मछली बाजार निवासी चमडे क़ा धंधा करते हैं। एक दिन बैठे-बैठे भोपाल से प्रकाशित एक अखबार में उन्होने विज्ञापन पढ़ा जिसमें उल्लेख था कि किसी भी प्रकार के  ऋण के लिये सम्पर्क करें। नीचे मोबाइल नम्बर दिया गया था 09910278592 09711024783  मोहम्मद हबीब ने जब इस पर सम्पर्क किया तो दूसरे पक्ष ने बातचीत कर यह पूछा की कितना लोन चाहिये तो श्री कुरैशी ने बताया कि 40 लाख का लोन चाहिये, इन्होने अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा भी दिया। जिस पर सामने वाले पक्ष ने यह कहा कि ठीक है आप अपने कागजात लेकर आईये  यदि उन पर लोन हो सकता होगा तो कर दिया जायेगा। आपको दिल्ली आना होगा।

      मोहम्मद हबीब ने दिल्ली जाने का मन बनाया वहाँ पहुँचे तो संबंधित ऋण देने वाली कम्पनी का कार्यालय नहीं मिला। उन्होने फिर मोबाइल किया तो एक निश्चित पते जनक पुरी पर उन्हे लेने के लिये एक इंडिका कार से एक युवक आया। इंडिका में हबीब भाई को बैठाया। कार में बैठे युवक ने बातचीत करते हुए इनके दो फोटो लिये, कार के अंदर ही कहा कि मैं चंडीगढ़ जा रहा हूं जल्दी में हूँ मैं प्रयास करुंगा की 15 दिन में काम हो जाये। उसने हबीब मियां से 35 सौ रुपये फाईल चार्ज भी मांगा, साथ ही सम्पत्ति की सारी फोटा कापी भी ली। रुपये देने में हबीब मियां ने संकोच किया तो युवक ने कई दलीलें दी और तब जाकर दिल्ली तक पहुँच चुके हबीब भाई ने अंतत: 35 सौ रुपये फाईल चार्ज के दे ही दिये। इसके  बाद वह सीहोर आ गये लेकिन उनकी नींद उड़ गई थी। धीरे-धीरे करके 15 दिन बीत गये। पन्द्रवे दिन अचानक उन्हे एक फोन आया जिसमें पीछे से एक युवती की आवाज आ रही थी। युवती ने उसी ऋण देने वाली कम्पनी का नाम लेते हुए कहा कि बधाई, चंडीगढ़ से बॉस ने 38 लाख रुपये का ऋण सेंशन कर दिया है आपको बधाई। आप दिल्ली आ जाईये। आप चाहें तो वहाँ ऋण राशि की डेढ़ प्रतिशत राशि करीब 57 हजार रुपये बनती है उसे केश लेकर आयें या फिर एकाउंट में ट्रांसफर कर दें। इतना कहकर फोन कट गया।

      अब मोहम्मद हबीब की एक तरफ खुशी का ठिकाना नहीं था, उन्हे 38 लाख रुपये की विशाल राशि का ऋण मिलने वाला था लेकिन दूसरी तरफ समस्या यह थी कि वह 57 हजार रुपये और आने-जाने के खर्च की व्यवस्था कैसे करें। लेकिन वह जानते थे कि इतनी राशि तो जमा कराई ही जायेगी इसलिये कहीं से भी हो व्यवस्था करना ही पड़ेगी।

      बहुत सोच-समझकर अंतत: मो. हबीब ने न तो केश राशि जेब में रखी और ना ही संबंधित कम्पनी के एकाउंट में कोई राशि जमा कराई। बल्कि उन्होने इसका एक ड्राफ्ट स्टेट बैंक आफ इन्दौर सीहोर शाखा से बनवाया और वह ड्राफ्ट लेकर दिल्ली पहुँचे। और फोन आने के तीसरे दिन वह दिल्ली पहुँच गये।

      वहाँ फिर उन्होने सम्पर्क के लिये कम्पनी के उसी व्यक्ति को मोबाइल लगाया। वह व्यक्ति तत्काल इंडिका कार से आ गया। और उन्हे बैठाकर सीधे दिल्ली हाई कोर्ट अदालत में ले गया जहाँ गेट नम्बर 1 पर ले जाकर उसने उतारा। वहाँ उसने एक स्थान पर बैठाकर कहा कि मैं स्टाम्प पेपर खरीदता हूं, एग्रीमेंट कराना पड़ेगा। आप यहाँ बैठिये और मुझे रुपये दे दीजिये। तब मो. हबीब ने रुपये की उसे ड्राफ्ट पकड़ा दिये। युवक ने ड्राफ्ट सहज भाव लेते हुए कहा कि आप बैठे रहिये मैं व्यवस्था जमा कर आता हूं और इतना कहकर युवक चला गया।

      11 बजे बैठे-बैठे मो. हबीब के मन में अनेक शंका-कुशंका भरा रही थी, वह घबरा भी रहे थे। निगाह घुमाकर युवक को भी ढूंढ रहे थे लेकिन कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था। 11 के 12 और 1 फिर 2 और ढाई बज गये तब तक मो. हबीब का धैर्य जबाव देने की स्थिति में आ गया था। वह जहाँ बैठे थे वहाँ से उन्हे बेंच वाले ने आकर उठा दिया। जब मो. हबीब ने बताया कि मुझे उक्त व्यक्ति बैठाकर गया है तो उन्होने कहा कि यह बेंच मेरी है और ऐसे किसी व्यक्ति को मैं नहीं जानता।

      इसके साथ ही मो. हबीब ने उपरोक्त युवक को लगातार मोबाइल करके सम्पर्क साधना चाहा लेकिन वह मोबाइल लगातार बंद आता रहा।

      इसके बाद तो मो. हबीब और भी घबरा गये और उन्होने पहले से नियुक्ति अपने सीहोर के परिचित को फोन किया। सीहोर के परिचित ने तत्काल स्टेट बैंक आफ इन्दौर में जाकर बातचीत की कहा बताया कि आपकी बैंक के बने उक्त बैंक ड्राफ्ट एक फर्जी कम्पनी के हाथ चले गये हैं कृपया हमारी मदद कीजिये। यहाँ बैंक मैनेजर मदद करते हुए तत्काल दिल्ली की संबंधित शाखओं को फोन करते हुए विशेष रुप से न्यू दिल्ली सर्विस ब्रांच एम 46 कर्नाक सर्कस को सूचना दी तथा वहाँ सीहोर से बने ड्राफ्ट नम्बर भी बताकर कहा कि इनका भुगतान रोक दिया जाये। इसी ब्रांच में उपरोक्त ड्राफ्ट भुगतान के लिये आये थे जिसे सीहोर बैंक मैनेजर के कहने पर रोक दिया गया। यहाँ भुगतान के लिये ड्राफ्ट डाले जा चुके थे और संयोग से भुगतान होने में देरी हो रही थी बल्कि यहाँ कहा गया था कि दो दिन बाद भुगतान हो सकेगा।

      इसके बाद मो. हबीब दिल्ली की उक्त बैंक तक पहुँच गये वहाँ उन्होने ड्राफ्ट की जानकारी भी ली, जहाँ से कहा गया कि आपका भुगतान सीहोर में ही होगा।

      इसके बाद मो. हबीब सीहोर आ गये और यहाँ उनका भुगतान स्टेट बैंक आफ इन्दौर द्वारा कर दिया गया है। आज भी लगातार उपरोक्त दोनो मोबाइल नम्बर बंद आ रहे हैं। मोबाइल कभी बजता भी है तो कोई उठाने को तैयार नहीं रहता। मोहम्मद हबीब ने फुरसत को जानकारी देते हुए बताया कि अल्ला की मेहरबानी से और स्टेट बैंक के मैनेजर साहब की मदद से मैं तो किसी तरह ठगी से बचा गया लेकिन ऐसे विज्ञापनों से अन्य लोगों को भी बचना चाहिये।


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