Wednesday, October 15, 2008

तो आज हो जायेगी... हाथ की सफाई (बैठे- ठाले)

सीहोर 14 अक्टूबर (आनन्द भैया गांधी)। चुनाव के एन समय पर जब कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आने की तैयारी में हैं अचानक बहुत बड़े स्तर पर पहली बार जिला प्रशासन हाथ धोने और धुलाने का कार्यक्रम आयोजित करने पर उतारु है। क्या इस साल ही प्रशासन को हाथ की गंदगी नजर आ रही है जो हाथ की सफाई करने का प्रयास किया जा रहा है ? और सबको सचेत भी किया जा रहा है, आखिर हाथ की इस सफाई के पीछे का राज क्या है....? क्या सिर्फ हाथ की पूरी सफाई या हाथ की गंदगी का प्रदर्शन ?

      मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक हाथ भी है। हर कार्य को करने के लिये मनुष्य को हाथ का सहयोग लेना ही पड़ता है। स्वाभाविक है कि यदि दिनभर हाथ का उपयोग किया जायेगा, उसी से सामान लिया, दिया, रखा, उठाया जायेगा तो हाथ कितना ही साफ क्यों ना हो लेकिन गंदा तो होगा ही। अब यदि इस सब कार्य से हाथ गंदा हो रहा है तो उसे साफ करने के लिये पूरा जिला प्रशासन अचानक क्यों सक्रिय हो गया है। समय आने पर वैसे भी हाथ की सफाई तो करना ही पड़ती है...क्या पहले कभी नहीं की गई थी....हाथ की सफाई तो अक्सर की जाती रही है... सबके तरीके अलग-अलग होते हैं...पर सीहोर में तो देखने में आया कि पानी की कमी हो..., दिनभर उड़ती धुल और गंदगी हो जिससे हाथ गंदे हो जाते हों...बिजली का संकट हो और अंधेरा घुप्प हो जाये ताकि रात हाथ को हाथ सुझाई ना दे....सीवन का गंदा मटमैला पानी ही क्यों ना हो...पार्वती की लाईन से आने वाला कीचड़मय पानी ही क्यों ना हो...लेकिन इन विपरीत स्थितियों के बाद भी चाहे कुछ हो जाये पर सीहोरवासी अपने हाथ तो साफ रखते ही हैं....।

      तो फिर हाथ सफाई के तरीके सिखाने की सीहोर जिले में क्या जरुरत आन पड़ी। यहाँ तो वैसे ही सबकी हाथ बचाकर चलने की आदत है....कोई बड़ी से बडी घटना हो जाये लेकिन सीहोर के धुरंधर नेता अपने हाथ बचाकर ही रखते हैं...जब नेता अपने हाथ बचायेंगे तो निश्चित ही इनके शागिर्द भी हाथ बचाना जानते हैं... और हाँ कितने ही कार्यक्रम, आयोजनों, उत्सव समितियों में तल्लीन नजर आने वाले समाजसेवियों के हाथ भी अक्सर पूरे धुले हुए नजर आते हैं... इतनी सफाई से घटनाक्रम को अंजाम दिया जाता है कि पता ही नहीं चलता काम कैसे हो गया...किसने कर दिया ....किसके हाथ थे....उसकी अंगुलियों के निशान कहाँ है....सब ढूंढते रह जाते हैं और बड़े-बड़े कामों के पीछे से उनकी ऐसी मट्टी कू ट दी जाती है कि पता ही चलता कि आखिर इसमें हाथ किसका है।

      जब हाथ बचाने में सीहोर के कई लोग माहिर हैं तो फिर हाथ की सफाई की क्या जरुरत है...। हाँ आगामी दिनों में चुनाव होने वाले हैं और अभी हाथ की सफाई करने के तरीके जिला प्रशासन सिखाना चाहता है। उसने इसका पूरा आयोजन कर भी लिया है।

      मारे कहीं पर लगे वहीं की तर्ज पर भले ही आयोजन जिला प्रशासन का हो लेकिन हाथ की धुलाई तो होना तय ही है। करे कोई भी लेकिन होगी तो हाथ की धुलाई ही। बल्कि इसके लिये बकायदा दिशा निर्देश, दलों का गठन से लेकर बहुत व्यापक तैयारियाँ की गई हैं..., इतना ही नहीं बल्कि हाथ की सफाई के लिये बकायदा दोपहर में शपथ भी दिलवाई जा रही है। यह भी गजब काम है, पहले हाथ की सफाई कराओ, फिर समझाओ की आगे और कैसे सफाई करनी है और उस पर से शपथ भी दिलवाई जाये कि हाथ की सफाई तो करना ही है चाहे कुछ भी हो जाये।

      बताया जाता है कि चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की विजय का एक बहुत बड़ा कारण पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से शासकिय कर्मचारियों का नाराज होना था आज इन्ही शासकिय-अशासकिय कर्मचारियों को एक हाथ की सफाई करने की समझाईश, तरीके और साथ में शपथ भी दिलाई जायेगी....