Wednesday, October 15, 2008

गुणवान संगठन, रघुनाथ संघ, भूपेन्द्र पिता के भरोसे टिकिट की आस में...

आष्टा 14 अक्टूबर (सुशील संचेती)। भारतीय जनता पार्टी इस बार आष्टा से किसे अपना उम्मीद्वार बनायेगी इसको लेकर क्षेत्र में उत्सुकता का माहौल बना हुआ है। उत्सुकता भाजपा में ही नहीं अन्य दलों में भी बनी हुई है। भाजपा से टिकिट के दावेदार अपने-अपने स्तर पर तो लगे हुए हैं लेकिन वे गुप्त रुप से भी वरिष्ठ नेताओं के पास जाकर जो टिकिट वितरण में अहम भूमिका निभायेंगे जा-जाकर मत्था टेक रहे हैं। फुरसत ने विभिनन दावेदारों के बारे में जब खोजबीन की कि कौन-कौन से दावेदार कहाँ-कहाँ टिकिट मिल जाये इस प्रयास में लगे हैं तो लगा की दावेदार ऐसा कोई दरवाजा नहीं छोड़ रहे हैं जहाँ वे मत्था नहीं टेक रहे हें किसी को संगठन का पूरा भरोसा है तो कोई संघ का दामन थामने के प्रयास में लगा है किसी को अपने परिजनों व खानदार के संबंधों का फायदा मिलने की उम्मीद है तो कोई अपनी ढपली और अपना राग अलाप रहा है।

      आष्टा विधानसभा क्षेत्र से कई दावेदार मैदान में है रायसुमारी के बाद लगा कि केवल अब 3-4 ही ऐसे दावेदार हैं जो कड़े प्रयास में लगे हुए हैं। वहीं राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि टिकिट का निर्णय पूर्व और वर्तमान विधायक के बीच ही होना है लेकिन नये दावेदारों ने भी अभी आस नहीं छोड़ी है। उनका आस नहीं छोड़ने के पीछे यह भी मानना है कि दो के झगड़े में तीसरे का फायदा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो वो तीसरा नया चेहरा कौन होगा ? वहीं यह भी चर्चा कहीं उभरकर आई थी कि क्या आष्टा से भाजपा किसी महिला को मैदान में उतार सकती है वैसे इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है लेकिन फिर भी ऐसा हुआ तो आष्टा में पूर्व पार्षद श्रीमति कीर्ति खत्री ऐसा एक चेहरा है जिस पर विचार किया जा सकता है। अभी तक आष्टा विधानसभा से टिकिट पाने वालों में जो दावेदार सामने आये उसमें रंजीत सिंह गुणवान सब पर भारी नजर आ रहे हैं। गुणवान के साथ इन दिनों एक नहीं अनेकों बातें पक्ष में नजर आ रही हैं प्रथम वे पूर्व में दो बार विधायक रह चुके कार्यकाल में कोई गंभीर आरोप से बचे रहे। कार्यकर्ता की पहली पसंद वे बने हुए हैं संगठन को भी उनके नाम पर शायद कोई आपत्ति नहीं है वे बलाई समाज के हैं तथा समाज के साफ-स्वच्छ छवि के कारण पसंद किये जाते हैं। उधर प्रदेश में इनका कोई विरोध भी सामने नहीं आ रहा है।

      जबकि दूसरा नाम वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय का जो संगठन की पसंद में काफी पीछे हैं क्षेत्र में उनके खिलाफ नाराजी का जो एक माहौल बना हुआ है इसलिये उन्हे दुबारा प्रत्याशी बनाया जाये या नहीं इस पर प्रदेश काफी गंभीर बना हुआ है उनके कार्यकाल में क्षेत्र का किसान उनके खिलाफ डीपी को लेकर खड़ा है वर्तमान विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय के कार्यकाल में डीपी वितरण का कार्य जो आष्टा के संभागीय कार्यालय से होता था उस स्थान को बदल कर डीपी वितरण का जो कार्य कोठरी से किया गया वो सबसे बड़ा उनके विरोध का कारण बना हुआ है। प्रदेश के एक सांध्य दैनिक ने तो खुलकर इस मामले को लेकर वर्तमान विधायक पर कई गंभीर आरोप भी लगाये हैं। रायसुमारी पर उन आरोप सामने आये कि उनके कार्यकाल में पार्टी के सरपंच परेशान हुए हैं और अन्य दलों के सरपंच मजे में रहे हैं ऐसा क्यों हुआ यह भी क्षेत्र में चर्चा का कारण बना हुआ है। आष्टा नगर पालिका के पार्षदों ने तो आंकलन समिति की बैठक में खुलकर कहा कि विधायक ने पार्षदों को पाँच साल में विधायक निधि से कितनी राशि दी है वे संगठन को बतायें वहीं  रघुनाथ मालवीय के साथ कोठरी के सरपंच जगदीश पटेल जैसा एक मात्र वजनदार नेता  साथ है शेष नेता उनके नाम पर विरोध में खड़े हैं। वैसे प्रदेश भाजपा सरकार से आष्टा के लिये बहुत सी योजनाएं और कार्य आष्टा को मिले हैं निश्चित ये सभी आये कैसे भी हों लेकिन खाते में विकास के कार्य रघुनाथ सिंह मालवीय के ही जायेंगे। पहले मालवीय को जिन संघ के नेताओं के आशीर्वाद से टिकिट मिला था इस बार भी वे अपने नेता जगदीश पटेल के संघ से संबंधों का पूरा फायदा उठा कर भोपाल तक प्रयास में लगे हैं।

      अब दुबारा टिकिट मिलने पर मालवीय जीतेंगे या हारेंगे यह कहना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन जनता का मुँह नहीं बंद किया जा सकता है। एक और दावेदार हैं जावर क्षेत्र से जिला पंचायत के सदस्य देवी प्रसाद परमार वे भी इस बार मैदान में है उन्हे जावर क्षेत्र के कुछ नेताओं का समर्थन मिला है जो नेता उनका समर्थन कर रहे हैं उसमें से कुछ सीहोर के विधायक रमेश सक्सेना से जुड़े हैं और चैनल चला रहे हैं इस बार संगठन ने जावर का नया मंडल बनाया है जावर क्षेत्र का होने के कारण देवी प्रसाद को जावर  से आशा के अनुरुप समर्थन नहीं मिल पाया है उनके साथ दिक्कत यह है कि वे ना ही कभी चर्चाओं में रहे और ना ही चर्चित चेहरा हैं आष्टा में उन्हे संगठन का बहुत कम समर्थन रायसुमारी में मिला है। वहीं इस बार जो कभी रघुनाथ सिंह मालवीय को टिकिट दिलाने में उन्हे चुनाव लड़ाकर जिताने में प्रमुख थे आज कल नये चेहरे भूपेन्द्र केसरी को लेकर दम-खम लगा रहे हैं भूपेन्द्र केसरी का आष्टा में कुछ भी नहीं है उनके खाते में शून्य ही है वे केवल अपने पिता नारायण केसरी और वर्तमान विधायक के पुराने मित्रों के सहारे मैदान में है कुछ लोग यह भी कह रहे हैं टिकिट तो भूपेन्द्र केसरी को ही मिलेगा। क्योंकि उनके पिता के संबधं दिल्ली तक हैं जो ऐसा कह रहे हैं शायद वे यह भूल रहे हैं कि यह भाजपा है कांग्रेस नहीं जिसमें टिकिट का निर्णय होने का कार्य नीचे से शुरु होकर भोपाल में खत्म हो जाता है दिल्ली से टिकिट केवल कांग्रेस में ही निर्णित होते हैं फिर भी पिताश्री पुत्र के लिये आष्टा भोपाल दिल्ली में प्रयास कर रहे हें। इसी प्रकार कुछ ऐसे भी दावेदार हैं जिन्हे काफी दिनों से कुछ छोटे-छोटे नेताओं ने टिकिट की पुड़िया देकर उनकी आत्मा जगा रखी है वे इतने जाग्रत हो गये हैं कि पार्टी को कहीं ऐसे पुड़िया दिये दावेदार चुनाव में परेशानी का क ारण ना बन जाये। आष्टा से इस बार खत्री परिवार से ही एक नहीं 3 दावेदार टिकिट मांग रहे हैं इनके नाम है घनश्याम खत्री जो आष्टा से भोपाल तक सम्पर्क बनाये हुए हैं दूसरे हैं पूर्व विधायक नंद किशोर खत्री के पुत्र मनोज खत्री जो अचानक सक्रिय हो गये हैं तीसरे हैं वर्तमान में पार्षद जगदीश खत्री, जो पूरी जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं कि मेरे नाम पर भी विचार किया जाये।

      वहीं हर बार की तरह इस बार भी मीसा बंदी गुराड़िया वर्मा निवासी विश्राम सिंह टिकिट की दौड़ में आष्टा से भोपाल तक एक करे दे रहे हैं। विश्राम सिंह भी पार्टी का एक पुराना कार्यकर्ता हैं तथा पिछले 15-20 वर्षों से जब भी चुनाव आते हैं वे सक्रिय हो जाते हैं वो टिकिट की मांग करते हैं। विश्राम सिंह 1975 से जब आपातकाल लगा तब भी वे पार्टी के कार्य सक्रियता से करते हुए जेल गये और 8 माह तक जेल में रहे थे। विश्राम सिंह का एक वाक्य सभी को काफी पसंद आता है जो उन्होने अपने परिचय में नेताओं को सौंपा भी है उनका कहना है कि मैं भाजपा का हूँ तथा भाजपा मेरी है, इस वाक्य से ही उनकी पार्टी के प्रति कितनी अटूट निष्ठा है दिखाई देती है। विश्राम सिंह का कहना है कि एक बार मुझे भी अवसर दिया जाना चाहिये। भाजपा में टिकिट को लेकर जमकर उठा-पटक चल रही है प्रमुख दावेदार प्रयासों में कोई कसर नहीं रख रही हैं।

      जिन्हे नहीं मिला वे क्या करेंगे ?- भाजपा ने टिकिट के प्रमुख दावेदार 4-5 है टिकिट एक को ही मिलेगा जिन्हे टिकिट नहीं मिलेगा वे क्या करेंगे इस बात का आंकलन भी किया जा रहा है। जिस प्रकार 2003 के चुनाव में पार्टी ने टिकिट रंजीत सिंह गुणवान को दे दिया था और दूसरे दावेदार रघुनाथ सिंह मालवीय ने सफेद झंडे का सहारा लेकर नामांकन जमा कर दिया था लेकिन अंतिम वक्त पर पार्टी ने निर्णय बदलकर घोषित उम्मीदवार के स्थान पर रघुनाथ सिंह मालवीय को प्रत्याशी घोषित कर दिया और गुणवान को पार्टी ने सहारा देकर बेसहारा कर दिया था क्या इस बार भी कोई दावेदार 2003 का इतिहास दोहरायेगा और टिकिट नहीं मिलने पर उसी प्रकार वगावत कर बिगुल बजाकर सफेद झण्डे का सहारा लेकर मैदान में उतरेगा ? वैसे इसकी उम्मीद से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि भाजपा से टिकिट के दावेदारों मे से कुछ के समर्थकों ने ऐसी बात कहीं-कहीं की है कि टिकिट तो घोषित होने दो नहीं मिला तो चुप नहीं बैठेंगे मतलब बगावत तो करेंगे। बगावत किस रुप में करते हैं यह समय की बात है।

      नागौरी की जमावट काम आई- जिला अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा जिला अध्यक्ष ललित नागौरी जिन्होने जमीन से राजनीति की उसका प्राप्त अनुभव रायसुमारी के वक्त काम आया जिलाध्यक्ष बनने के बाद जिस प्रकार जिला कार्य समिति एवं आष्टा नगर तथा ग्रामीण मंडल का गठन एवं मोर्चा प्रकोष्‍ठों में नियुक्ति की उसमें नागौरी ने जो जमावट उस वक्त की वो पूरी जमावट रायसुमारी के दिन काम आई और उस जमावट का पूरा असर रायसुमारी में प्राप्त हुआ। संगठन को हासिये पर रखने वाले उस दिन से ही परेशान हैं और उन्हे अखर रही है कि हम संगठन स्तर पर रायसुमारी में असफल हो गये हैं।

      स्थानीय उम्मीद्वार से केसरी परेशान - आष्टा से जितने भी टिकिट के दावेदार हैं उसमें भूपेन्द्र केसरी को छोड़कर सभी स्थानीय है केसरी के लिये पिता पूरा सहयोग कर रहे हैं ऐसे में केसरी को कैसे कमजोर किया जाये इसको लेकर स्थानीय का मुद्दा उछाला गया और इसको लेकर सभी दावेदार जिनका एक दूसरे से गणित कहीं नहीं बैठता इस मुद्दे पर गणित बैठा लिया और एकता बैठक कर संगठन को बता दिया कि स्थानीय को ही टिकिट दिया जाये केसरी के लिये यह उठी मांग जरुर परेशानी का कारण बनी हुई है।

      संघ कार्यालय में भी दावेदार नजर आये- भाजपा में जिसे भी टिकिट संगठन दे लेकिन उस मामले में संघ की भी अप्रत्यक्ष रुप से महत्वपूर्ण भूमिका कहीं ना कहीं रहती है यह बात सब दावेदार जानते हैं यही कारण है कि संघ कार्यालय वर्धमान कुटी में भी चुनाव के इस मौसम में भाजपा के दावेदार दस्तक देते हुए नजर आ जाते हैं। 16 अक्टूबर को आष्टा में संघ का पथ संचलन है कई दावेदार इस पथ संचलन में भी नजर आयेंगे ऐसी पूरी उम्मीद है।

      भाजपा से नहीं तो क्या भाजश- वहीं टिकिट के लिये चल रही दौड़ धूप में यह भी सुर सुनाई दे रहा है कि भाजश भाजपा से टिकिट मांग रहे दोवदारों पर निगाह रखे हुए हैं तो क्या भाजपा से प्रयास कर रहे लोगों में से जिन्हे टिकिट नहीं मिला तो क्या उनमें से कोई भाजश का दामन थाम सकता है वैसे खबर है कि अभी भाजश ने सिध्दिकगंज के सरपंच चुन्नीलाल को आष्टा विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाने का मन बनाया है लेकिन अंतिम समय पर कुछ भी हो सकता है इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।