Tuesday, October 21, 2008

खाद्य विभाग के दलाल 50 हजार की उगाई करने में लगे, क्या विभाग के अधिकारियों की है मांग या फिर दलाल बीच में कर रहे खेल....?

      सीहोर 20 अक्टूबर (नि.सं.)। कुछ विभागों की दलाली करने में महारथ रखने वाले एक गुट ने नगर के किराना व्यापारियों पर इस बार निशाना साधा है। किराना व्यापारियों व अन्य खाद्य सामग्री से जुड़े व्यापारियों तक यह बात पहुँचाई गई है कि अधिकारियों ने सहयोग मांगा है जो सहयोग नहीं करेगा उसके यहाँ छापा पड़ सकता है। इस बात के बाद से बहुत तेजी से उगाई कार्यक्रम भी शुरु हो गया है। पहली किस्त के रुप में 50 हजार रुपये एकत्र किये जा रहे हैं....व्यापारियों तक बात पहुँचा  दी गई है। पर क्या यह राशि वाकई विभाग के उच्चस्थ अधिकारियों तक पहुँचाई जायेगी या राशि एकत्र करने वाले दलाल की जेब गर्म करेगी यह राज बना हुआ है।

      अक्सर नई-नई विधा के माध्यम से व्यापारियों को चूना लगाने वाले और अधिकारियों की दलाली में महारथ रखने वाले एक गुट ने इस बार एक नई विधा से दीपावली की मिठाई एकत्र करने की योजना बनाई है। अधिकारियों से अपने कथित सम्पर्क का झांसा देकर इन्होने नगर के कुछ प्रतिष्ठित व्यापारियों तक यह बात पहुँचा दी है कि वह चाहते हैं की किराना व्यापारी मिलकर मिठाई एक बड़ा डिब्बा भेज दें....साल में एक बार तो उनका हक बनता है....साल भर इधर देखते भी नहीं हैं....कौन क्या कर रहा है उन्हे कोई मतलब नहीं रहता.....आखिर एक बार दीपावली पर तो उन्हे मिठाई जाना ही चाहिये....ऐसी बातें कहकर व्यापारियों को बताया गया है कि कम से कम 50 हजार रुपये एकत्र कर लिये जायें ताकि इस मिठाई से अधिकारी खुश हो सकें।

      अब 50 हजार रुपये की मिठाई का पैकेट तैयार करने के लिये पहले एक बड़े व्यापारी तक बात पहुँचाई गई फिर इस व्यापारी ने दूसरे व्यापारी तक बात पहुँचाई और फिर अन्य व्यापारियों तक यह बात गई कि समय रहते रुपये एकत्र कर लिये जायें और पहुँचाये जायें ताकि संबंधित विभाग किसी तरह की परेशानी पैदा ना करें वरना सबकी दीपावली धरी रह जायेगी।

      रुपये की उगाई भी चालू हो गई है और कुछ धन संग्रह भी हो गया ।

      इधर यह चर्चा भी सरगर्म हो चली है कि क्या वाकई उपरोक्त दलाल जिसके माध्यम से खबर आई है उसने संबंधित विभाग के अधिकारियों की मांग पर ही यह रुपया एकत्र कराया है या फिर वह रुपये एकत्र करवाकर खुद ले लेगा और उसमें से कुछ थोड़ा-बहुत रुपया अधिकारी तक पहुँचायेगा तथा बाकी रुपया खुद के विज्ञापन प्रसार-प्रचार में खर्च कर देगा।

      दीपावली के पहले एकत्र की जा रही मिठाई क्या वाकई अधिकारियों की कुर्सी के ऊपर रखायेगी या अन्य के घर चली जायेगी यह बात चर्चाओं में है। अब व्यापारी तो उलझ गये हैं यदि रुपया एकत्र ना भी करें तो कहीं उपरोक्त दलाल इनके पीछे अधिकारी को ना लगा दें यह भय उन्हे सता रहा है ? और यदि रुपया एकत्र करें तो क्या वह सही हाथों में जायेगा इसको लेकर उन्हे संदेह है ? इन दोनो ही बातों के बीच परेशान व्यापारी अभी तो चुपचाप रुपया एकत्र कर रहे हैं। देखते हैं आगे क्या होता है। मामले में एक पत्रकार का नाम भी होने के कारण मामला पेचीदा हो गया है।