Tuesday, October 21, 2008

धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी, सख्त होगी कार्यवाही

      सीहोर 20 अक्टूबर (नि.सं.)। चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने तथा इस दौरान कानून व्यवस्था दुरूस्त बनाए रखने के मद्देनजर अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्रीमती भावना वालिम्बे द्वारा भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से जिले भर में प्रभावशील हो गया है।

      आदेश के चलते मजिस्ट्रेट, पुलिस ऑफीसर एवं शासकीय तथा सार्वजनिक संस्थाओं के सुरक्षा कर्मचारियों के अलावा कोई भी व्यक्ति अब बंदूक, विस्फोटक सामग्री, किसी भी तरह का आग्नेय शस्त्र या प्राणघातक धारदार हथियार लेकर सार्वजनिक स्थान पर प्रदर्शन नहीं करेगा। अपाहिज तथा बूढ़े के अलावा कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर लाठी, डंडे लेकर नहीं घूमेगा। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह उत्तेजना भडकाने वाले भाषण नहीं करेगा और न उसमें शामिल होगा। आदेश के मुताबिक पांच या पांच से अधिक व्यक्ति एक स्थान पर बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के इकट्ठे नहीं होंगे। ईट, पत्थर, सोडा वाटर की बोतलें, एसिड या अन्य घातक पदार्थ को एकत्रित करने की मनाही भी इस आदेश में शामिल है। आदेश में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसी अफवाहें नहीं फैलायगा जिससे जनसाधारण में भय का वातावरण उत्पन्न होता हो। इसके अलावा किसी भी व्यक्ति द्वारा ऐसा कोई आचरण नहीं किया जायगा जिसके चलते शिक्षा संस्थाएं, होटल, दूकानें, उद्योग या निजी तथा सार्वजनिक सेवाओं में खलल की स्थिति निर्मित होती हो। निर्वाचन अवधि में धरना एवं प्रदर्शन पर पूर्णत: प्रतिबंध भी इस आदेश में शामिल किया गया है।

      आदेश का उगंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत कार्यवाही की जा सकेगी। यह आदेश सीहोर जिले में रहने वाले सभी व्यक्तियों और जिले में अस्थाई रूप से भ्रमण करने एवं निवास करने वाले व्यक्तियों पर प्रभावशील रहेगा। गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा म.प्र. में विधानसभा चुनाव,2008 के कार्यक्रम  की घोषणा कर दी गई है। घोषणा के अनुसार राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के आदर्श आचार संहिता के मुताबिक सभी दलों एवं अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यों से इमानदारी पूर्वक बचना चाहिए जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध की श्रेणी में आते हैं। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों को ऐसा कोई कृत्य न तो स्वयं और न ही अपने प्रतिनिधियों द्वारा करने दिया जाना चाहिए जिससे शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव में व्यवधान उत्पन्न होता हो।