Tuesday, September 16, 2008

शुगर मील श्रमिकों के आंदोलन का आज सातवें वर्ष में प्रवेश

सीहोर 15 सितम्बर (नि.सं.)। जैसा कि सर्व विदित है कि वाघवाना प्रबंधन द्वारा पिछले 60 वर्षो से कार्यरत ऐतिहासिक शुगर उद्योग साल्वेंट प्लांट और 5000एकड़ के गन्ना फार्मो को अवैधानिक रूप से बंद कर दिया गया है। इस तालाबंदी का म.प्र. शासन (श्रम विभाग) और श्रम न्यायालय व औद्योगिक न्यायालयों ने भी अवैध घोषित करते हुये सभी श्रमिकों का ेपूर्ण वेतन के भुगतान करने के आदेश मार्च 2002 और मार्च 2003 में कर रखे है। आदेशों का पालन करने पर श्रम न्यायालय क्रमांक 02 से योगेश वाधवाना, किरण वाधवाना और यतिन वाधवाना के जमानती गिरफ्तारी वारंट अक्टूबर 2002 से निकाले गये है जिनका पालन आज दिनांक तक पुलिस द्वारा नहीं कराया जा सका है।
इस बीच जिला स्तर से लेकर राज्य और केन्द्र स्तर तक के अधिकारियों और राजनेताओं सभी से सैकड़ों बार पुकार लगा चुके हैं किन्तु नतीजा शून्य है। वाधवाना बन्धुओं का शिकंजा प्रशासन, म.प्र. शासन और दोनों प्रमुख पार्टियों के नेतागण पर इतना मजबूत है कि वह वाधवाना बंधुओं के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही भी नहीं कर सकते।
वर्ष 2003 में चुनाव से पहले वर्तमान क्षेत्रीय विधायक ने भी वादा किया था और दावा किया था कि भाजपा सरकार ही शुगर फैक्ट्री चालू करायेगी, किन्तु चुनाव जीतने और स्पष्ट बहुमत से सरकार बन जाने पर वह भी अपना वायदा पिछले पांच साल भूल चुके हैं।
11 सितम्बर को माननीय मुख्यमंत्री के सीहोर आगमन पर मजदूरों के साथ-साथ सीहोर की जनता एवं किसानों को बड़ी आशा थी कि इस विषय पर मुख्यमंत्री जी कुछ अवश्य घोषणा करेंगे, किन्तु उसी दिन से बराबर वाधवाना बंधु-कंपनी की चल अचल सम्पत्तियों को खुर्द-बुर्द एवं हेरा-फेरी कर रहे है। पिछले 6 वर्षो में 41 श्रमिकों की मौत हो चुकी है और सभी श्रमिकगण आर्थिक संकटों से जूझ रहे है।
आश्चर्य की बात है कि वाधवाना ने 150 करोड़ का गबन कर रखा है किन्तु जिला प्रशासन म.प्र. शासन एवं केन्द्रीय शासन व जवाबदार अधिकारी इन पर कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। सभी पार्टियां तथा सरकारें उद्योगपतियों के हाथों का खिलौना बनी हुई है।