Tuesday, September 16, 2008

सुरसा, गंगा अवतार, संजीवनी वूटी, ताड़का वध, द्रोपदी चीर हरण की झांकियों ने समा बांधा

12 बड़ी सहित कुल 19 झांकियाँ निकली
सीहोर 15 सितम्बर (नि.सं.)। लम्बे समय बाद एक बार फिर झांकियाें की विशाल संख्या ने अनंत चतुर्दशी चल समारोह में एक नई जान फूंक दी। इस बार कस्बा क्षेत्र के अनेक समितियों की झांकियां निकली। छोटी-बड़ी मिलाकर 19 के करीब झांकियों ने देखने वालों को बांध लिया। जबकि अखाड़ों के उन्नत व श्रेष्ठ प्रदर्शन ने निश्चित ही सभी की दाद बटोरी। पहलवानों ने जान जोखिम में डाल नये-नये करतब प्रदर्शित किये।
एक बार फिर अनंत चतुर्दशी चल समारोह का उत्साह गई रात चरमोत्कर्ष हो गया जब अखाड़ों के उन्नत प्रदर्शन के साथ ही साथ करीब 12 बड़ी व 7 छोटी झांकियों ने मेले को बांध लिया। अनेक झांकियाँ निकलने से आसपास से आई ग्रामीण जनता में एक बारगी उत्साह का संचार हो गया। सुबह 7 बजे तक सीहोर टाकीज चौराहे पर जनता एकटक निगाह से झांकियाँ देखती रही। एक के पीछे एक झांकी आती ही जा रही थी। जबकि रातभर अखाड़ों के हेरत अंगेज प्रदर्शनों ने समा बांध कर रखा था।
इस वर्ष अखाड़े गत वर्ष की अपेक्षा कुछ कम रहे लेकिन फिर भी उत्साह उमंग पहलवानों में देखने लायक थी। सीहोर के पारम्परिक अखाड़ा संचालकों ने वाकई मेहनत की थी उस्ताद खलिफाओं के प्रयास उस वक्त सफल हो गये जब भारी भीड़ में पहलवानों ने एक से बढ़कर एक हेरत अंगेज करतब दिखाये।
चल समारोह में सबसे आगे चल रही झांकी न्यू आदर्श मण्डल कस्बा सीहोर की थी जिसमें समुद्र लांघते समय हनुमान जी के सामने अचानक प्रकट हुई राक्षसी सुरसा का चित्रण किया गया था। झांकी में बकायदा सुग्रीव, अंगद के संवाद होने तथा फिर हनुमान जी के साथ सुग्रीव जी का संवाद और हनुमान जी का समुद्र पार करने के लिये उड़ना दर्शाया गया था वह उड़ते हुए जाते हैं सुरसा सामने आ जाती है जिसके विशाल मुंह के अंदर हनुमान जी बकायदा प्रवेश करते हैं फिर सुरसा का विशालकाय बंद मुँह हिलते, उसकी गर्जना होती है और फिर सुरसा के सिर के ऊपर से हनुमान जी निकलते हैं इस विशेष तकनीक के सहारे बनी झांकी ने सभी को आकर्षित लिया, जबकि हनुमान जी बाहर निकलते हैं तो दर्शक तालियाँ बजाते हैं और इधर रविन्द्र जैन की आवाज में शानदार भक्ति संगीत शुरु हो जाता है।
इसके बाद की झांकी भी इसी मण्डल की थी जिसमें पंडा कराये रहो पूजा मैया-जी की झूम-झूम के, गाने पर चित्रण करते हुए चार भक्त महिलाएं नृत्य करते हुए तथा एक पंडित को माता जी आरती करते हुए दर्शाया गया था।
इसके पीछे दुर्गा चौक गणेश उत्सव समिति कस्बा सीहोर की झांकी थी जिसके बनाने वाले कलाकार उजैन के अशोक सोभाराव व कन्हैयालाल उस्ताद थे इस झांकी में भी संवादों के साथ चित्रण किया गया था। जिसमें लक्ष्मण जी के नागपाश से मुर्छित होने के बाद राम जी का दुख, फिर हनुमान को वैद्यराज द्वारा जड़ी-बूटी समझाईश के डायलाग होते हैं इसके बाद हनुमान जी का उड़कर जाना और हिमालय पर्वत पर चमकते हुए पर्वत को हाथ में उठाकर लेकर आना दर्शाया गया था इस झांकी ने भी खूब दाद बटोरी।
इसके पीछे गंगा अवतार की झांकी थी जिसमें माता गंगा अवतार होता है तो गंगा माता के हाथ से निकल रहा पानी दूर-दूर तक चारों तरफ एक फव्वारे के रुप में फेंका गया जो लगभग सभी दर्शकों पर गिरा। कई स्टेज पर बैठे लोग पानी से भीग गये। इसके गणेश जी व कार्तिकेय जी का पृथ्वी के चक्कर काटते हुए भी दर्शाया गया था।
आजाद मित्र मण्डल कस्बा की एक झांकी पांचवे नम्बर चल रही थी जिसमें माता वैष्णो देवी की पूजा अर्चना और भैरवनाथ का माता द्वारा सिर संहार का दृष्य दर्शाया गया था।
इसके पीछे एकता क्लब सीहोर कस्बा की झांकी थी जिसमें ताड़का वध दर्शाया गया था। इस झांकी में ऋषि विश्वामित्र द्वारा राम जी को मारीच की माता ताड़का की जानकारी देकर उसका वध करने को समझाने के संवाद सुनाये गये इसके बाद रामजी द्वारा एक चमकता हुए तीर छोड़ जाना और मुँह से रंगीन धुंआ छोड़ रही ताड़का का चिल्लाते हुए मर जाने का दृष्य था।
सातवे नंबर पर चल रही आदर्श बाल मण्डल पुराना बस स्टेण्ड की 3 बड़ी झांकियाँ थी। एक में अर्जुन पुत्र अभिमन्यू द्वारा हाथ में रथ का पहिया लेना और चारों तरफ से कौरवों द्वारा उस पर हमला करने का दृष्य दर्शाया गया था। इसके पीछे एक आकर्षक झांकी थी। एक झांकी में श्रीकृष्ण को माता यशोदा द्वारा माखन खिलाते हुए दृश्य दर्शाया गया था इस झांकी में गोपियों का नृत्य भी हो रहा था।
इसके पीछे एक और बड़ी झांकी 10 नम्बर पर चल रही थी जो मण्डी गणेश उत्सव समिति की थी जिसमें होली का दृश्याकंन किया था कृष्ण जी द्वारा गोपिकाओं से होली खेलना और करीब 10 फव्वारों द्वारा चारों तरफ पानी फेंकने का दृष्य था।
इसके पीछे शकर कारखाना चौराहा की झांकियों का ताम-झाम चल रहा था जिसमें एक मगर सड़क पर चलते, दो ठेले पर छोटी झांकियाँ, नवयुवक गणेश उत्सव समिति दीपक पान सदन की झांकियाँ, फिर एक झांकी जिसमें गणेश जी एक विशाल चूहे पर सवार थे जो सीधे सड़क पर चल रही थी। इसके पीछे जयमाता गणेश उत्सव समिति की बड़ी झांकी अमरनाथ बाबा और भस्मासुर का वध करने के लिये शिव जी द्वारा उसके मोहित करने का प्रयास।
इसके पीछे धृतराष्ट्र की कौरव सभा में बैठे समस्त राजदरबार की उपस्थिति में द्रोपदी का चीरहरण का दृष्य दर्शाया गया था जिसमें बकायदा संवाद भी चल रहे थे। यह भी एक बड़ी झांकी थी। एक और झांकी जमीन पर चलते हुए नाग देवता की थी। इसके पीछे सुदामा नगर की गणेश उत्सव समिति की झांकी भी चल रही थी। इस प्रकार अनेक झांकियाँ आज निकली।