Tuesday, September 23, 2008

जब साष्टांग प्रणाम में हाथ-पांव अड़ गये...

सीहोर 22 सितम्बर (नि.सं.)। अब तो आये दिन टिकिट पाने के चक्कर में भाजपा और कांग्रेस के नेता भोपाल जाने को तैयार रहते हैं। बड़े नेताओं के आगे जितना शरणं गच्छामि होंगे उनका ही उनका टिकिट तय हो जायेगा ऐसा मंत्र सभी उम्मीद्वारों के जहन में बैठा हुआ है।
इन दिनों भोपाल के कांग्रेस और भाजपा कार्यालयों में इतनी बड़ी मात्रा में उम्मीद्वाराें की फौज नजर आती है कि देखते ही बनती है। सीहोर से भी आये दिन उम्मीद्वार अपने-अपने स्तर पर जाते हैं। कोई गाड़ियों को काफिला ले जाता है तो कोई एक-दो वजनदार लोग ले जाते हैं। सबसे यादा मजा आ रहा है भाजपा का। यहाँ कुछ लोग संघ से जुड़े लोगों पर हाथ रखते हैं, कुछ लोग वजनदार नेताओं पर हाथ रखते हैं तो कुछ उम्मीद्वार अपनी दावेदार पुराने जनसंघी परिवार के नाते करते हैं। अब भाजपा कार्यालय भोपाल में बैठने वाले सभी व्यक्तित्व पूयनीय हैं और यहाँ सीहोर से जाने वाले उम्मीद्वार अपनी सरलता और श्रध्दा दर्शाने के लिये बार-बार उन्हे प्रणाम भी करते हैं। ऐसे ही एक लम्बे-चौड़े वजन के भाजपाई उम्मीद्वार कल जब भाजपा कार्यालय भोपाल में भाजपा के एक वरिष्ठ व प्रभावी नेता के कार्यालय में पहुँचे तो उन्होने बकायदा जगह बनाकर इन्हे साष्टांग प्रणाम करने का मन बनाया और वह पूरे जमीन पर लेट गये। अब जब यह लेट ही गये तो पता चला कि कमरे की चौड़ाई इनकी लम्बाई से कम है। कहीं उनके पैर फंस गये तो कहीं हाथ बड़े पड़ने लगे। कुल मिलाकर जिन्हे वह प्रणाम कर रहे थे उन्होने ही कह दिया कि बस भैया, आपतो बहुत बड़े हैं हम क्यों प्रणाम कर रहे हैं, शांति से बैठिये और अपनी बात कहिये। लेकिन यह दृश्य देखकर इनके साथ वालों की और बाद में जिन्हे पता चला उनकी हंसी रोके नहीं रुक रही है.....।


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