Thursday, September 18, 2008

अपहरण करने के अभियुक्त को दो साल की सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपये अर्थदण्ड का फैसला

सीहोर 17 सितम्बर (नि.सं.) । अपराध क्र. 62808 अन्तर्गत धारा-363, 366,376(1)भारतीय दण्ड विधान के मामले से उत्पन्न सत्र परीक्षण क्रमांक-6908 में विद्वान अपर सत्र न्यायाधीश श्री आलोक कुमार वर्मा ने निर्णय सुनाते हुये अभियुक्त किशनलाल को धारा 363 भादवि में 2 साल के सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपये अर्थदण्ड किया। मामले में शासन की पैरवी रविप्रकाश पारे, युवा अपर लोक अभियोजक ने की।

अभियोजन की कहानी संक्षेप में इस प्रकार रही कि घटना दिनांक को रात्री 9 बजे अभियुक्त किशनलाल ने अभियोक्त्रीपीड़िता के घर से उसके संरक्षक की अनुमति के बिना भगाकर-अपहरण कर ले गया जिसकी उमाशंकर सहअभियुक्त ने सहयोग किया तथा घटना को अंजाम दिया। इस पर मामले की थाना दोराहा पर रिपोर्ट लिखाई गयी। मामला विवेचना के बाद माननीय न्यायालय में विचारण हेतु प्राप्त हुआ। अपर लोक अभियोजक रविप्रकाश पारे के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार गवाहों के न्यायालय में कथन हुये। दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद विद्वान अपर सत्र न्यायाधीश श्री आलोक कुमार वर्मा ने साक्ष्य का सूक्ष्य अवलोकन करते हुये अपना 19 पृष्ठीय निर्णय सुनाया।

निर्णय में धारा-363 भारतीय दंड संहिता में अभियुक्त किशनलाल को दोषी पाकर उसे 2 साल के सश्रम कारावास की सजा तथा 2000- रुपये का अर्थदंड किया जबकि सहअभियुक्त को साक्ष्य अभाव में दोषी मुक्त किया। म.प्र. राज्य की ओर से मामले की पैरवी रविप्रकाश पारे अपरलोक अभियोजक ने की।